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हामिद अंसारी की कौमी एकता पर खतरे की बात का क्या जवाब दिया नरेंद्र मोदी ने

जाते-जाते उपराष्ट्रपति योग दिवस से दूर रहने की वजह भी बता गए हैं.

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हामिद अंसारी को जन्मदिन की बधाई देते नरेंद्र मोदी

क्या आप जानते हैं कि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी इस पद पर पहुंचने से पहले अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे. इसकी एक दिलचस्प वजह है. हामिद अंसारी का जन्मदिन पहली अप्रैल को पड़ता है. राज्यसभा टीवी के लिए करण थापर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद मनमोहन सिंह की तरफ से उन्हें मैसेज मिला कि वो और उनकी पत्नी जन्मदिन के मौके पर हामिद अंसारी के आवास पर आकर उन्हें बधाई देना चाहते हैं. हामिद अंसारी के शब्दों में वो तत्कालीन प्रधानमन्त्री के इस प्रस्ताव को अस्वीकार नहीं कर पाए. इस तरह उनका जन्मदिन मनाया जाना शुरू हुआ.

2014 में देश का निज़ाम बदल गया. नरेंद्र मोदी देश के नए प्रधानमंत्री बने. तो क्या नरेंद्र मोदी ने अंसारी के जन्मदिन पर बधाई देने की मनमोहन सिंह की रवायत को निभाया? करण थापर के मन में भी यही सवाल था. हामिद अंसारी ने उसका इसके जवाब में कहा,

"हां वो मुझे हर जन्मदिन पर मुबारकबाद देने के लिए मेरे आवास पर आते हैं. मेरे एक जन्मदिन के मौके पर वो विदेश दौरे पर थे. उन्होंने उस समय मैसेज पर मुझे जन्मदिन की मुबारकबाद दी."

हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति हैं. इस लोकतंत्र में उनके पद के साथ एक गरिमा जुड़ी हुई है. परस्पर विरोधी विचारधारा होने के बावजूद देश के प्रधानमंत्री ने इस गरिमा का बखूबी पालन किया. उपराष्ट्रपति के मुंह से यह बात सुनने से बेहतर क्या हो सकता है? लेकिन क्या प्रधानमंत्री के साथियों ने इस गरिमा क्या ध्यान रखा?

21 जून 2015, भारत के अलावा दुनिया के 190 देश पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी. राजपथ पर हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूरा मंत्रिमंडल मौजूद था. बड़े संवैधानिक पद पर मौजूद एक आदमी इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं था, हामिद अंसारी. बीजेपी महासचिव राम माधव का ट्वीट इस सिलसिले में आ गया. उन्होंने उपराष्ट्रपति की गैरमौजूदगी पर सवाल खड़े कर दिए. हालांकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए अपना ट्वीट हटा लिया कि उन्हें पता नहीं था कि उपराष्ट्रपति की तबीयत नासाज़ है.

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शाम ढलते-ढलते उपराष्ट्रपति दफ्तर से इस मामले में सफाई आ गई. राम माधव ने कुछ घंटे पहले अंसारी को घेरने के लिए ट्वीट किया था, अब उनकी सरकार इस मामले में घिरती हुई दिखाई दे रही थी. अंसारी ने सफाई दी कि उन्हें इस कार्यक्रम का निमंत्रण तक नहीं भेजा गया था. इस जून 21 को तीसरी मर्तबा योग दिवस मनाया लेकिन कमाल की बात यह है कि हामिद अंसारी अब तक किसी भी योग दिवस में शामिल नहीं हुए हैं. इस शर्मनाक घटनाक्रम के बारे में  हामिद अंसारी क्या सोचते हैं? क्या उन्हें इस घटना पर दुख हुआ? हामिद अंसारी कहते हैं-

"मुझे इस बारे में कोई गिला नहीं है, हालांकि मुझे आश्चर्य जरूर हुआ. मेरे सहकर्मियों ने सारे तथ्य लोगों के सामने रखे. इस बारे में किसी किस्म का भ्रम या दुविधा की स्थिति नहीं होनी चाहिए थी."

इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या वो प्रोटोकॉल के चलते इस बारे में बात नहीं करना चाहते हैं? इसके जवाब में हामिद अंसारी ने कहा,

"हां यह सही बात है. लेकिन आज के दौर में प्रोटोकॉल अक्सर टूटते रहते हैं. मैंने इस मामले को प्रधानमंत्री के सामने नहीं रखा. यह अनर्गल किस्म की बात है. मैंने इसे वहीं पर छोड़ दिया. चलिए इस मसले को यहीं खत्म करते हैं."

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सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अलावा हामिद अंसारी ही ऐसे हैं जो दस साल तक उपराष्ट्रपति के पद पर रहे. राधकृष्णन के समय राजेंद्र बाबू लगातार दस साल तक राष्ट्रपति रहे थे. हामिद अंसारी ने प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी, दो अलग-अलग राष्ट्रपतियों का कार्यकाल देखा. इस दोनों के कार्यकाल के बारे में वो कहते हैं-

"दोनों राष्ट्रपतियों में तुलना करना गलत होगा. देश के सर्वोच्च पद पर रहने वाले हर आदमी का काम करने का अपना तरीका होता है. वैसे भी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बीच के रिश्ते बहुत पेशेवर होते हैं. कई मौकों पर उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की तरफ से 1, रायसीना हिल्स आने का न्यौता दिया जाता है. हम इन मुलाकातों में अक्सर ऐसे मुद्दों पर बात करते थे जिनमें दोनों की दिलचस्पी होती है. प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल में महज़ इतना फर्क आया कि हमारे बीच बातचीत के मुद्दे बदल गए. प्रणब मुखर्जी से बात करते समय आप आधुनिक भारत के लोकतंत्र के इतिहास पर लंबी बात कर सकते हैं. प्रतिभा जी से बात करते वक़्त मुद्दे बदल जाते थे."

हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति के तौर पर मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के आधे से ज़्यादा कार्यकाल के गवाह रहे. बीजेपी को हामिद अंसारी ख़ास पसंद नहीं हैं. उसके पीछे वजह भी है. दिसंबर 2011 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तत्कालीन यूपीए सरकार लोकपाल के मुद्दे पर राज्यसभा में घिरी हुई थी. हामिद अंसारी ने बतौर राज्यसभा सभापति बीच बहस में सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया था. 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद एक से ज़्यादा मौकों पर वो बीजेपी के निशाने पर रहे. चाहे वो झंडे को सलामी देने का मामला हो या फिर योग दिवस का. जब उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था,

"ज़्यादातर समय प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के बीच के संबंध बहुत रस्मी किस्म के होते हैं. हालांकि कुछ मौकों पर हमारे बीच कुछ मसलों पर गंभीर बातचीत भी होती है"

6 अगस्त 2017 को हामिद अंसारी बेंगलुरु के नेशनल लॉ स्कूल के दीक्षांत समाहरोह में गए हुए थे. संभवतया बतौर उपराष्ट्रपति यह उनका आखिरी सार्वजानिक संबोधन था. हामिद अंसारी ने अपने भाषण में सहिष्णुता की बजाए स्वीकार्यता की बात कही. राजनीतिक हलकों में इस भाषण की चर्चा अलग-अलग तरीके से हुई. हामिद अंसारी से जब पूछा गया कि देश में गोरक्षा के नाम पर हो रही हत्याओं को वो किस तरह लेते हैं? हामिद अंसारी कहते हैं-

"भारतीय मूल्य टूट रहे हैं. कानून व्यवस्था को लागू करने में कई स्तरों पर चूक हो रही है. किसी नागरिक की भारतीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ये परेशान करने वाले तथ्य हैं. पिछली कई सदियों से भारत एक विभिन्न धर्म और जातियों वाला समाज रहा है. ऐसा आज़ादी से पहले था और आज़ादी के बाद भी बदस्तूर चलता आया है. हमारी परवरिश ऐसे ही माहौल में हुई है. फिलहाल कौमी एकता खत्म तो नहीं हुई है लेकिन इस पर खतरा ज़रूर मंडरा रहा है."

मोदी ने विदाई भाषण में क्या कहा?

प्रधानमंत्री ने 10 अगस्त को राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी को विदाई दी. पढ़िए क्या कहा नरेंद्र मोदी ने-

आदरणीय सभापति जी,

एक दीर्घकालीन सेवा के बाद, आज आप नई कार्यक्षेत्र की तरफ प्रयाण करेंगे ऐसा मुझे पूरा भरोसा है, क्योंकि फिजिकली आपने अपने आपको काफी फिट रखा है. एक ऐसा परिवार जिसका करीब सौ साल का इतिहास सार्वजनिक जीवन का रहा हो, उनके नाना, उनके दादा कभी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष रहे, कभी संविधान सभा में रहे. एक प्रकार से आप उस परिवार की पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके पूर्वजों का सार्वजनिक जीवन में, विशेष करके कांग्रेस के जीवन के साथ और कभी खिलाफत मूवमेंट के साथ भी काफी कुछ सक्रियता रही.

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आपका अपना जीवन भी एक करियर डिप्लोमेट का रहा. अब करियर डिप्लोमेट क्या होता है, वह तो मुझे प्रधानमंत्री बनने के बाद ही समझ आया, क्योंकि उनके हंसने का क्या अर्थ होता है, उनके हाथ मिलाने का तरीके क्या अर्थ होता है, तुरंत समझ नहीं आता है! क्योंकि उनकी ट्रेनिंग ही वही होती है. लेकिन उस कौशल्य का उपयोग यहां इन 10 सालों में जरूर यहां हुआ होगा. यह सब को संभालने में, इस कौशल्य ने किस प्रकार से लाभ इस सदन को पहुंचाया होगा.

आप के कार्यकाल का बहुत सारा हिस्सा वेस्ट एशिया से जुड़ा रहा है- एज ए डिप्लोमेट. उसी दायरे में जिंदगी के बहुत सारे वर्ष आपके गए, उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में, ऐसे लोगों के बीच में रहेॉ. वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम वही रहा आपका. माइनोरिटी कमीशन हो या अलीगढ़ यूनिवर्सिटी हो, तो एक दायरा आपका वही रहा. लेकिन यह 10 साल एक अलग जिम्मा आपके हिस्से में आया और पूरी तरह एक-एक पल संविधान, संविधान, संविधान के ही के दायरे में चलाना और आपने उसको बखूबी निभाने का भरपूर प्रयास किया.

हो सकता है कुछ छटपटाहट रही होगी भीतर आपके भी, लेकिन आज के बाद वह संकट आपको नहीं रहेगा और मुक्ति का आनंद भी रहेगा और अपनी मूलभूत जो सोच रही होगी, उसके अनुसार आपको कार्य करने का, सोचने का, बात बताने का अवसर भी मिलेगा.

आपसे मेरा परिचय ज्यादा तो रहा नहीं, लेकिन जब भी मिलना हुआ, काफी कुछ आपसे जानने-समझने को मिलता था. मेरी विदेश यात्रा में जाने से पहले, आने के बाद, आपसे जब बात करने का मौका मिलता था, तो आप की जो एक इनसाइट थी उसका मैं जरूर अनुभव करता था और वह मुझे चीजों को जो दिखती हैं, उसके सिवाय क्या हो सकती हैं, इसको समझने का एक अवसर देती थी और इसलिए मैं ह्रदय से आपका बहुत आभारी हूं. मेरी तरफ से हृदय से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं.

राष्ट्र के उप-राष्ट्रपति के रूप में, आपकी सेवाओं के लिए दोनों सदन की तरफ से, देशवासियों की तरफ से भी आपके प्रति आभार का भाव है और आपका यह कर्तृत्व, यह अनुभव और इस पद के बाद निवृत्ति, अपने आप में एक लम्बे अरसे तक, सामाजिक जीवन में उस बात का एक वजन रखती है. राष्ट्र के संविधान की मर्यादाओं पर चलते हुए देश का मार्गदर्शन करने में आपका समय और शक्ति काम आएगा, ऐसी मेरी पूरी शुभकामनाएं हैं!


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