भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता से हर भारतीय गदगद है. पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) में निर्दोष पर्यटकों की नृशंस हत्या के बाद हर कोई ऐसे एक्शन की उम्मीद सेना और सरकार से कर रहा था. बुधवार की सुबह जब भारतीय सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi) ने हमले की ब्रीफिंग की तो देश के हर नागरिक का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. गुजरात के वड़ोदरा में उनके पिता भी ये सीन देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे.
कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता ताज मोहम्मद बोले, "मौका मिले तो पाकिस्तान को खत्म कर दें"
बुधवार की सुबह जब भारतीय सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi) ने हमले की ब्रीफिंग की तो देश के हर नागरिक का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. गुजरात के वड़ोदरा में उनके पिता भी ये सीन देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे.

न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी ने कहा, “हमें हमारी लड़की पर गर्व है. उसने देश के लिए कुछ किया.” ताज मोहम्मद ने बताया कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समय उन्होंने भी जंग लड़ी थी. वह कहते हैं, “अब मन में यही आता है कि हमको अभी मौका दिया जाए तो उनको (पाकिस्तान) जाकर खत्म करें. पाकिस्तान दुनिया के अंदर रहने लायक कंट्री नहीं है.”
कुरैशी ने बताया कि आर्मी में जाना उनके परिवार की परंपरा रही है. उनके पिता और दादा आर्मी में थे. इसके बाद उन्होंने भी सेना की वर्दी पहनी और अब बेटी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है.
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पिता के अलावा सोफिया की बहन शायना को भी उन पर बेहद गर्व है. सेना की वर्दी में बहन को एयर स्ट्राइक की ब्रीफिंग करते देख उनकी आंखों में आंसू आ गए. शायना मुंबई में एक फिल्म प्रोडक्शन हाउस चलाती हैं. इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा,
“हमारी कल ही फोन पर बात हुई थी. वह एक कर्तव्यनिष्ठ आर्मी ऑफिसर हैं और इस नाते उन्होंने आज सुबह होने वाली घटना के बारे में एक शब्द भी नहीं बताया था. हम सभी के लिए ये आश्चर्य की बात थी, लेकिन सोफिया को इस पद पर देखना गर्व की बात थी.”
शायना ने आगे बताया कि सोफिया में देश के लिए कुछ करने का जज्बा हमेशा से था. हालांकि वह वैज्ञानिक बनकर डीआरडीओ में शामिल होना चाहती थीं. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम करना उनका सपना था. अमेरिका से उन्हें कई ऑफर मिले थे, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहना चुना और सेना में शामिल होकर देश सेवा करने को प्राथमिकता दी.
शायना ने बताया कि सोफिया अपने पहले प्रयास में ही सेना में शामिल हो गई थीं. वह बताती हैं कि शुरू में उनका भी सपना सेना में शामिल होना था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया. उन्हें आज भी इसका अफसोस है. शायना ने कहा कि जब भी वो सोफिया को वर्दी में देखती हैं तो ऐसा लगता है कि उनके जरिए अपना सपना जी रही हैं.
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