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लेओ, यूनेस्को ने भारत को पहला कैशलेस देश घोषित कर दिया

इसके लिए उन्होंने देश के महानगरों से महाकचरों तक का सर्वे किया.

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कुछ चीजें यूनिवर्सल ट्रुथ होती हैं. जैसे CBI तोता है. भारत में हर गड़बड़ की जिम्मेदार ISI है. दुनिया में हर खुराफात की जिम्मेदार CIA है. उसी तरह ये भी एक सच है कि जिसका कोई नहीं होता, उसका??? भगवान नहीं. यूनेस्को होता है. वो किसी भी चीज को 'दुनिया का बेस्ट' घोषित कर सकता है. इस बार यूनेस्को ने थोड़ी देर कर दी. एक महीने से ऊपर लगा दिया. लेकिन फाइनली भारत को सबसे पहला कैशलेस कंट्री घोषित कर दिया है.
नतीजे पर पहुंचने के लिए यूनेस्को ने बड़े पैमाने पर सर्वे किया. स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक जैसी सरकारी बैंकों के अलावा HDFC और ICICI जैसी बड़ी प्राइवेट बैंकों की ब्रांच में अपने आदमी लगाए. एक दिन नहीं 17 दिन. कहीं कैश नहीं मिला. वो आदमी ब्रांचों से निकलकर इन्हीं बैंकों के एटीएम की लाइन में लगे. पहले के तीन चार दिन लगे रहे. पैसा भरने वाली गाड़ी नहीं आई. ये लोग रात में कंपनी के ऑफिस लौट आते थे. फिर यूनेस्को ने इनके लिए वहीं एटीएम के सामने पुआल बिछाकर कंबल दे दिए.
फिर ये लोग रात दिन एटीएम के सामने ही लगे रहने लगे. तीन चार दिन और गाड़ी नहीं आई. लाइन में लगने पर इन लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा था. क्योंकि बीच में भूख लग जाती तो इनको खाना खाने लाइन से बाहर निकलना पड़ता था. चौराहे तक जाने और 25 रुपए वाला आलू प्याज पराठा खाकर लौटने में देर हो जाती. तो लोग इनको बीच लाइन में घुसने नहीं देते थे. इसलिए कंपनी ने इनको छोटा 4kg गैस सिलेंडर और चूल्हा वहीं लाइनों में मुहैया करा दिया. राशन पानी पिट्ठू बैगों में बांधकर दे दिया गया. इस तरह एक हफ्ता और गुजर गया. आखिर एक दिन गाड़ी आ गई. जब ये सर्वे मुंबई में हो रहा था तो लाइन पुणे तक लगी हुई थी. लाइन के किनारे किनारे खीरे, मूंगफली, नमकीन सेव, बर्गर वगैरह बेचने वालों की अस्थाई दुकानें खुल गई थीं. ये सारे लोग डेबिट कार्ड से पेमेंट ले रहे थे. इससे यूनेस्को को पक्का पता चल गया कि ये लोग कैशलेस हो चुके हैं. बाकी का काम लाइन में लगे उनके लोगों ने पूरा किया. जैसे ही उनका नंबर आने वाला होता था. पचास लोग बचे और एटीएम में कैश खत्म हो गया. इस तरह ये कन्फर्म हो गया कि बैंक की ब्रांचों से लेकर एटीएम तक कैशलेस हो चुके हैं. beggar-atm_281116-091829 उसके बाद सर्वे कराने के लिए यूनेस्को ने जनता रुख किया. किसी के पास कैश नहीं है. किसी का एक महीने का मकान का किराया बाकी है. कोई कामवाली दीदी को चेक से पेमेंट कर रहा है. कामवाली दीदी चेक को मेथी वाले डिब्बे में सुरक्षित रखे हुए हैं. कि जब कभी कैश आएगा तो वो चेक कैश करा लेंगी. अर्थात अभी कामवाली दीदी भी कैशलेस हैं. स्कूलों की फीस बाकी है. वहां मैनेजर बता रहा है कि कोई रास्ता नहीं है. आपके पास जब हों तब देना. हमको फीस अकाउंट में नहीं चाहिए. हम भी कैशलेस ही ठीक हैं. कभी तो कैश आएगा. इन सारे लोगों की रिपोर्ट यूनेस्को तक पहुंच गई. इस तरह देश के सारे शहरों में सब लोगों के बीच सर्वे किया. उनके कितने एंप्लॉई लाइन में सर्वे करते हुए निपट गए. कुछ चक्कर खाकर गिर गए तब भी जनता लाइन से हटी नहीं. उनको अंदाजा हो गया कि बैंक कैशलेस हुए, जनता करेक्टरलेस. खुद उठकर अस्पताल पहुंचे. वहां फूफा कहने से तो डॉक्टर सुई लगाएंगे नहीं. डॉक्टर ने वहां से भगा दिया. कहा कि हमारे पास डाक्टरी सलाह है. दवाएं हैं. लेकिन कैश नहीं है. हम भी कैशलेस हैं. बंदे ने पेटीएम से फोन रिचार्ज करके तुरंत अपने ऑफिस फोन किया कि "हां साब. इंडिया पूरी तरह कैशलेस हो चुका है. हम थोड़ी देर यहां और रुके तो सेंसलेस हो जाएंगे. आप यही रिपोर्ट फाइनल कर लो." बस हो गया फैसला. भारत पहला 100 परसेंट कैशलेस कंट्री घोषित हो चुका है. यूनेस्को से.
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