22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक (Pahalgam Terror Attack) के बाद अगर आप भारत और पाकिस्तान (India Pakistan) में पनप रहे तनाव पर नज़र बनाए हुए हैं, तो कई खबरें आपकी निगाह से गई होंगी. कुछ खबरें पक्की, कुछ खबरें कच्ची. कच्ची खबरों वाले पुलिंदे की सबसे बहसतलब खबर ये है कि भारत से युद्ध की आशंका के बीच पाकिस्तान ने भाड़े पर विदेशी सैनिक उठाए हैं. ये विदेशी सैनिक भारतीय हमले से वहां के टॉप सैनिक अफ़सरों की रक्षा करेंगे, ऐसे भी दावे किए जा रहे हैं. कहा ये भी जा रहा है कि रूस यूक्रेन युद्ध में लड़ चुके ये अमरीकी सैनिक भारत के खिलाफ कोई स्पेशल ऑपरेशन लॉन्च कर सकते हैं. कितनी सचाई है इन खबरों में? और इन स्पेशल सैनिकों की कहानी क्या है? आइए जानते हैं.
इंस्टाग्राम से खुला पाकिस्तान का प्लान, ये तस्वीरें देखकर आपको चिंता होगी!
क्या भारत से युद्ध की आशंका के बीच पाकिस्तान ने भाड़े पर विदेशी सैनिक उठाए हैं? कहा जा रहा है कि ये अमरीकी सैनिक भारत के खिलाफ कोई स्पेशल ऑपरेशन लॉन्च कर सकते हैं. कितनी सचाई है इन खबरों में? और इन स्पेशल सैनिकों की कहानी क्या है? आइए जानते हैं.

और ये पूरी कहानी समझने के लिए एक टर्म याद करिए - PMC. यानी प्राइवेट मिलिट्ररी कंपनी.
आपको पता है कि तमाम देशों के पास अपनी सेनाएं और अपने अर्धसैनिक बल होते हैं. इनकी सैलरी सरकारी नियमों से बंधी होती है, टैक्स का पूरा हिसाब किताब दर्ज होता है. सबकुछ काग़ज़ से.
लेकिन PMC का काम बिलकुल उल्टा होता है. इनमें आप निजी सैन्य कंपनी या गैर-सरकारी सैन्य कंपनी भी कह सकते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो, ये ऐसी निजी कंपनियां होती हैं जो वित्तीय लाभ के लिए सशस्त्र युद्ध या सुरक्षा सेवाएं प्रदान करती हैं. ये सरकारी सेना या पुलिस की तरह नहीं होतीं, बल्कि लाभ कमाने के उद्देश्य से काम करती हैं. मतलब सारा काम पैसे पर.
PMC सुरक्षा, युद्ध संबंधी सेवा, ट्रेनिंग, सुरक्षा परामर्श, ख़ुफ़िया जानकारी, इवैक्यूएशन जैसी सेवाएं देती हैं. इन कंपनियों के लोग बहुत मोटे पैसे के एवज में अपनी सेवाएं देते हैं.
अब सवाल है कि इनमें काम कौन करता है? अक्सर अपना लंबा समय फ़ोर्स में देने के बाद सैनिक ही इन कंपनियों से जुड़ते हैं. और इनको चलाने वाले या मालिकान भी भूतपूर्व फ़ौजी ही होते हैं.
इनको आम भाषा में मर्सीनरी कहते हैं. मख़ौल बनाने के लिए ‘भाड़े का सैनिक’ भी कहा जाता है. साल 2004 में आई फ़िल्म ‘ट्रॉय’ में अखिलीस का किरदार याद करिए. इस फ़िल्म में अखिलीस भी एक मर्सीनरी ही होता है, जो भाड़े के लिए ग्रीक किंगडम के राजा के लिए युद्ध में उतरता है और आख़िर में अपनी एड़ी में लगे तीर के बाद मारा जाता है.
वर्ल्ड वॉर टू के बाद शुरू हुआ भाड़े के सैनिकों का सफरअखिलीस की कहानी तो कई मायनों में काल्पनिक भी कही जाती है, लेकिन बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में इस तरह की प्राइवेट मिलिट्री कम्पनीज़ का चलन बढ़ा है. ख़ासकर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद. और वो भी यूरोपीय देशों में, जहां कमांडो यूनिट्स और स्पेशल फ़ोर्सेज़ से विदा हुए जवानों को मिलाकर PMC यूनिट्स बनीं. उस समय सबसे ज़्यादा सुर्ख़ी बटोरी थी ऐसी ही एक कंपनी 'वॉच गार्ड इंटरनेशनल' ने.
अगर देशवार तरीक़े से PMC कंपनियों की चर्चा करें तो -
अमरीका - ब्लैकवाटर, डाइनकॉर्प इंटरनेशनल, ट्रिपल कैनोपी, MPRI
यूनाइटेड किंगडम - G4S, एज़िस डिफ़ेंस सर्विस
साउथ अफ़्रीका - एग्जीक्यूटिव आउटकम्स, स्टेप इंटरनेशनल
रुस - वैग्नर ग्रुप, स्लोवानिक ग्रुप
इनमें से कुछ कंपनियों में उनके देश की सरकारों ने भी पैसा लगाया है. या किसी बड़े मिशन में उनकी हेल्प ली है, या आज तक हेल्प ले रहे हैं.
क्या पाकिस्तान में भी भाड़े के सिपाही हैं?अगर आप इंटरनेट सर्च करें, तो आपको पता चलेगा कि पाकिस्तान की नीति नहीं है कि वो अपने देश में सुरक्षा और युद्ध का काम PMC को दे. लेकिन इंटरनेट का ज्ञान, चीन का सामान और पाकिस्तान की ज़ुबान - सब अधूरे होते हैं.
इंटरनेट ही बताता है कि इस समय पाकिस्तान में प्राइवेट मिलिट्री एक्टिव है. और वो है चीन की. दरअसल चीन ने पाकिस्तान में भारीभरकम निवेश किया हुआ है. इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा - China-Pakistan Economic Corridor (CPEC) बनाता है. साल 2024 में पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और बलूचिस्तान के इलाक़े में विद्रोहियों के हमले हुए, सेनाओं के साथ गोलीबारी हुई. सबसे अधिक नुक़सान CPEC ने उठाया. अक्टूबर 2024 में कराची में बलूच लिबरेशन आर्मी के बम धमाके में तो दो चीनी इंजीनियर्स की मौत हो गई थी. बीजिंग और इस्लामाबाद में तल्ख़ी बढ़ी. चीन ने साफ़ किया - हमारे लोगों की सुरक्षा ज़रूरी है.

एकाध महीने तक बातचीत का दौर जारी रहा. चीन ने दबाव डाला. वो लगातार कहता रहा कि अपनी फौज पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की एक टुकड़ी वो पाकिस्तान में तैनात करेगा, पाकिस्तान ने साफ मना कर दिया.
और फ़रवरी के महीने में दबाव में पाकिस्तान ने चीन के साथ Joint Security Companies Framework पर साइन किए. इसके तहत चीन की प्राइवेट मिलिट्री कंपनीज़ की तैनाती पाकिस्तान में की जा सकती थी. इंडिया टुडे में प्रकाशित शिवानी शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक़, चीन की ड्यूवी सिक्योरिटी फ्रंटियर ग्रुप, चाइना ओवरसीज़ सिक्योरिटी ग्रुप और वाशिन हांगशान सिक्योरिटी सर्विसेज़ की तैनाती पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में हो गई. इससे ये तय हो गया कि चीन के पैसों से प्राइवेट फौज की तैनाती होगी, लेकिन चीनी सेना का कोई रोल नहीं होगा. ये कान घुमाकर पकड़ने वाली स्थिति थी.
लेकिन ध्यान रहे कि ये चीन के पैसे पर आए चीनी प्राइवेट सैनिक हैं. और ये रक्षा कर रहे हैं चीन के प्रोजेक्ट्स की. इनमें पाकिस्तान का रोल क्या है? कुछ खबरें ये भी दावा करती हैं कि इन PMC की आड़ में चीन की सेना से जुड़े लोग पाकिस्तान के LOC वाले इलाक़े में बंकर बना रहे हैं. साथ ही ड्रोन और UAV की सप्लाई भी चीन की ओर से हो रही है. इन सारी वजहों से पाकिस्तान के सर्विलांस और मारक क्षमता को कुछ हद तक बढ़त मिल रही है.
पाकिस्तान में घुसे फिरंगी सैनिकपाकिस्तान के रोल पर बात यही नहीं ख़त्म होती है. इस कहानी में कुछ और एजेंसीज़ का भी नाम शामिल है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक अल्फ़ा डिफ़ेंस नाम का एक हैंडल है. इसने 29 अप्रैल को पोस्ट किया - ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि पाकिस्तान ने डेल्टा PMC नाम की मर्सिनरी कंपनी को हायर किया हुआ है. इसी आशय के पोस्ट कुछ और सोशल मीडिया हैंडल्स ने किए, पुष्टि कहीं नहीं.
ये डेल्टा PMC क्या है? अभी तक आई कच्ची जानकारियों के मुताबिक़, डेल्टा PMC, ब्रिटिश आर्मी के पूर्व Special Air Service (SAS) जवानों द्वारा बनाया गया ग्रुप है. Indian Defence Research Wing नाम की वेबसाइट पर छपे आर्टिकल के मुताबिक़, इस एजेंसी को इसलिए हायर किया गया है ताकि पाकिस्तानी आर्मी के टॉप अफ़सरों और उनके घरवालों की हमले की सूरत में बचाया जा सके. लेकिन डेल्टा PMC वाली थ्योरी थोड़ी कच्ची है.
लेकिन एक और थ्योरी है, जो थोड़ी ज़्यादा गंभीर है. और जन्म ले रही थी इंस्टाग्राम पर. एक हैंडल है Forward Observations Group 2.0. ये Forward Observations Group नाम की कंपनी का इंस्टा हैंडल है. इस हैंडल से 26 अप्रैल को किए गए पोस्ट में सूट पहने एक बंदा हाथ में ऑटोमैटिक वेपन लिए तैनात दिख रहा था. हैंडल से पोस्ट किया गया - Doc in Pakistan on a PSD contract. अगर डॉक का आशय किसी व्यक्ति से लगायें, तो समझ आता है कि PSD यानी पर्सनल सिक्योरिटी डीटैचमेंट में इस कंपनी का बंदा पाकिस्तान में है. फ़ोटो में बंदे का चेहरा छुपाया हुआ था.

कुछ और भी सुराग हैं, जिनकी ओर ध्यान दिलाना ज़रूरी है. लेकिन उनकी ओर बढ़ें, उसके पहले Forward Observations Group या FOG की कहानी जान लेते हैं. ये है अमरीकी कंपनी. नींव रखी US आर्मी के इंफ़ैंट्रीमैन डेरिक बेल्स ने. कंपनी दावा करती है कि ये फ़ौजियों द्वारा पहने जाने वाले टैक्टिकल कपड़े और वर्दी बनाती और बेचती है. लेकिन रुस और यूक्रेन में जब हालिया युद्ध शुरू हुआ, तो इस कंपनी की ओर लोगों का ध्यान गया. खबरें बताती हैं कि FOG के लोगों ने डोनबास और डोनेस्क के फ्रंट पर यूक्रेन की ओर से लड़ाई की. और रशियन आर्मी के एज़ोव बटालियन से फ़ाइट की. FOG के लोग कह रहे थे कि वो जंग में सैनिकों द्वारा पहने गये उनके कपड़ों की तस्वीरें खींचने गये थे. लेकिन तस्वीरें दिखा रही थीं कि FOG के फ़ाउंडर समेत तमाम लोग हथियारों से लैस थे, और रुस-यूक्रेन वॉर फ्रंट के आसपास चक्कर लगा रहे थे. इल्ज़ाम लगा कि इस युद्ध में यूक्रेन की मदद कर रही अमरीकी सरकार के इशारे पर सबकुछ हो रहा है.
मार्च 2022 में रशियन विदेश मंत्रालय FOG के लोगों को निशाने पर लिया. कहा कि ये लोग यूक्रेन में कैमिकल हमले वास्ते कैमिकल्स डिलीवर कर रहे थे, लेकिन FOG और अमरीकी सरकार ने मना कर दिया.

फिर बात गड़बड़ हो गई अक्टूबर 2024 के महीने में. रशियन सरकार ने संस्थापक डेरिक बेल्स के ख़िलाफ़ जांच का आदेश दिया. आरोप - बेल्स ने यूक्रेन के सिपाहियों के साथ मिलकर कर्स्क में हमला किया था. वहीं रुस की PMC वैग्नर ग्रुप ने भी अपना एक टीशर्ट लॉन्च किया, जिसमें दिख रहा था कि एक आदमी कंकाल के खोपड़ी पर हथौड़े से वार कर रहा था. लोगों ने मतलब निकाल लिया कि ये वैग्नर ग्रुप का सीधा निशाना FOG पर था. क्योंकि टीशर्ट में जिस कंकाल का चित्रण था, वो FOG के लोगो में यूज़ होता आया है. अब ये एकदम ओपन ट्रुथ हो गया कि कपड़े और साजोसामान का काम करने वाली ये कंपनी एक PMC में तब्दील हो चुकी है. जो युद्ध में भी उतरती है, ताकि अमरीका की फ़ौज और सरकार पर सीधा इल्ज़ाम न लगे.
इंस्टाग्राम से खुला पाकिस्तान का खेलअब आते हैं पाकिस्तान में इनके प्रेज़ेंस की. क्या ये ग्रुप पाकिस्तान में एक्टिव है? इसकी भनक लगती है कुछ दिनों पहले इनके हैंडल पर लगाई गई स्टोरी से. इसमें एक काली गाड़ी सड़क पर चली जा रही है. सामने एक नीले रंग का डायरेक्शन बोर्ड लगा है. इमेज पर लिखा EW vehicle for convoy in PK.

इसमें EW का संभावित मतलब हुआ Electronic Warfare, और PK का अर्थ हुआ Pakistan. पूरा मतलब - पाकिस्तान में मौजूद बेड़े में Electronic Warfare गाड़ियां.
पाकिस्तान में होने की बात की पुष्टि नीले वाले डायरेक्शन बोर्ड को देखकर भी होती है. इसमें दो जगहों के नाम दिखाई दे रहे थे - DHA फ़ेज़ 10, और बेदियान लिंक. अगर आप गूगल करेंगे तो समझ आएगा कि ये दोनों ही जगहें पाकिस्तान के लाहौर में हैं. DHA यानी Defence Housing Authority. बेदियान लिंक यानी इंडो-पाक बॉर्डर के बिलकुल पास मौजूद गांव बेदियान से गुज़रने वाली नहर परियोजना.
इस पोस्ट से ये बात पुष्ट हो रही थी कि FOG की टीम लाहौर के चक्कर काट रही है.
4 मई को इस रिपोर्टर ने इस हैंडल में लगाई जाने वाली स्टोरीज़ चेक की. इसमें एक तस्वीर में उस प्रकार का टॉयलेट मिला, जो अमूमन साउथ एशिया के देशों - जैसे भारत और पाकिस्तान वग़ैरह में इस्तेमाल होता है.

वहीं एक स्टोरी में एक काली BMW कार दिखी, इसमें लिखा हुआ था ICT इस्लामाबाद. एक अन्य स्टोरी में एक काली मर्सिडीज़ पर भी ICT इस्लामाबाद लिखा मिला. ICT मानी Islamabad Capital Territory. इसके अलावा इस हैंडल ने अपने EW convoy की एक और तस्वीर पोस्ट की. एक तस्वीर में कार के अंदर बैठे हुए FOG के फ़ौजी दिख रहे थे, जो हथियारों से लैस थे.


एक अन्य स्टोरी में लगी तस्वीर एक हवाई जहाज़ के अंदर से खींची गई थी. तस्वीर में कुछ लोग दिख रहे थे. और सामने एक अन्य जहाज़ भी दिख रहा था, जिस पर बड़े-बड़े साफ़ अक्षरों में लिखा था - Pakistan Air Force. जानकारों ने बताया कि ये रावलपिंडी के चकलाला कैंट एरिया में मौजूद पाकिस्तानी एयरफ़ोर्स के नूर ख़ान एयरबेस की तस्वीर है. अब साफ़ हो गया है कि FOG पाकिस्तान में मौजूद है, और पैसे लेकर काम कर रहा है.

ये तस्वीरें और खबरें एक और इशारा भी करती हैं. चूंकि FOG की तस्वीरें सिविलियन और मिलिट्री एरियाज़ से आ रही हैं, तो एक हद तक ये बात भी क्लीयर है कि ये लोग पाकिस्तानी सरकार के कॉंट्रैक्ट पर वहां गए हैं. क्या करने? ये कहना थोड़ा मुश्किल है.
पाकिस्तान में क्या करेगी PMC?फ़ौज के सूत्रों ने बताया कि किसी भी PMC की सेवाएं लेने के लिए अमूमन बहुत सारा पैसा चुकाना होता है. और किसी भी PMC के पास इतने ऑपरेटिव नहीं होते कि वो पूरी सेना को रीप्लेस कर सकें. ऐसे में पाकिस्तान के पास अगर PMC हैं, तो निम्नलिखित संभावनाएं हो सकती हैं -
पहली संभावना - FOG के लोग पाकिस्तान सरकार और सेना के आला लोगों की सुरक्षा में लगे हों. Indian Defence Research Wing में छपे लेख की मानें तो पाकिस्तानी आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर ख़ुद अपनी सेना के अफ़सरों पर कम भरोसा करते हैं, इसलिए भी PMC की हायरिंग की जा सकती है, ऐसे अन्दाज़ लगाए जा रहे हैं.
दूसरी संभावना - FOG के लोग ट्रेनिंग में काम करें. चूंकि तमाम PMCs के पास बेहतर गियर और ट्रेनिंग होती है, इसलिए इनका उपयोग अन्य देशों की फ़ौज की स्पेशल यूनिट्स की ट्रेनिंग में भी किया जाता है. जहां इनका एक व्यक्ति, किसी देश की एक टुकड़ी को कुछ दिनों तक ट्रेन करता है.
तीसरी संभावना - FOG को किसी स्पेशल ऑपरेशन के लिए हायर किया गया हो. PMC के छोटे ग्रुप्स इस काम में सबसे बेहतर माने जाते हैं. अगर FOG जैसा ग्रुप भारतीय सीमा के अंदर किसी ऑपरेशन में शामिल होता है, तो पाकिस्तान की फ़ौज पर सीधा इल्ज़ाम नहीं लगाया जा सकेगा. 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान, और रुस-यूक्रेन युद्ध में FOG की भूमिका को देखते हुए इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता है.
जानकार कहते हैं कि पाकिस्तान ने बैन लगाने के बावजूद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को अपने यहां पनाह दी है. यहां के लोगों को पैसे दिए हैं और भारत में घुसपैठ करवाई है. ये भी एक तरीक़े से मर्सिनरी को ही हायर करना हुआ. ऐसे में अगर फॉरेन-हाईटेक मर्सिनरी पर भी पाकिस्तान पैसा खर्च कर रहा है, तो कोई ताज्जुब नहीं होना चाहिए. जानकार बताते हैं कि पाकिस्तान इस समय चीन के साथ PMC वाले करार को विस्तार देने की दिशा में भी काम कर रहा है. ऐसा हुआ, तो देखना होगा भारत का कदम और तैयारी. क्योंकि जानकार बताते हैं कि दुश्मन की जमीन पर प्राइवेट मिलिट्री की मौजूदगी चिंता पैदा करने वाली बात है.
वीडियो: पहलगाम हमले के पीछे आसिफ मुनीर, पाकिस्तान आर्मी के पूर्व अफसर का दावा