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'परिवार देखूं या पार्टी...', बहन रोहिणी आचार्य के आरोपों पर भावुक हुए तेजस्वी

Lalu Yadav ने कहा कि Tejashwi Yadav विधानसभा में पार्टी का नेतृत्व करेंगे. इस दौरान तेजस्वी ने बहन Rohini Acharya के आरोपों पर भी चुप्पी तोड़ी. क्या कहा उन्होंने?

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बैठक में तेजस्वी को सर्वसम्मति से राजद के विधायक दल का नेता चुना गया. (फाइल फोटो: आजतक)

पारिवारिक कलह में फंसे तेजस्वी यादव ने आरजेडी विधायकों से कहा कि अगर उन्हें लगता है कि उन्हें हट जाना चाहिए तो वे किसी दूसरे नेता को चुनने के लिए आजाद हैं. पिता लालू यादव उनकी ढाल बनकर सामने आए और कहा कि तेजस्वी विधानसभा में पार्टी का नेतृत्व जारी रखें. इस दौरान तेजस्वी ने बहन रोहिणी आचार्य के आरोपों पर भी चुप्पी तोड़ी. 

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आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार, 17 नवंबर को आरजेडी विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में आरजेडी के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती भी मौजूद थीं. विधायकों को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव भावुक हो गए और कहा कि अगर वे चाहें तो उनकी जगह किसी दूसरे को विधायक दल का नेता चुन सकते हैं. 

चुनावी हार के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए तेजस्वी ने नाम लिए बिना ही बहन रोहिणी आचार्य पर हमला बोला. उन्होंने विधायकों से कहा कि उन पर ‘किसी’ का टिकट काटने का दबाव डाला गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने पूछा, 

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मैं क्या करूं? पार्टी देखूं या परिवार?

विधायकों के जवाब देने से पहले ही, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने दखल देते हुए सभा में मौजूद लोगों से कहा कि तेजस्वी को विधायक दल का नेतृत्व करते रहना चाहिए. लालू के हस्तक्षेप के बाद विधायकों ने सर्वसम्मति से तेजस्वी को अपना विधायक दल का नेता चुन लिया.

ये भी पढ़ें: परिवार में विवाद के बीच लालू यादव बोले, 'तेजस्वी भविष्य का नेता, वही पार्टी चलाएगा'

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चुनावी हार की समीक्षा

बैठक में आरजेडी के खराब चुनावी प्रदर्शन की भी समीक्षा की गई, जिसमें कई सीटों पर मामूली अंतर से हार भी शामिल है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने हार के लिए EVM के दुरुपयोग का आरोप लगाया. विधायक भाई बीरेंद्र ने भी यही बात दोहराते हुए बैलेट पेपर पर वापसी की मांग की.

आरजेडी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 25 सीटें जीतीं, जो 2020 की तुलना में काफी कम हैं. 2020 में पार्टी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. तेजस्वी यादव पिछले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. किसी भी पार्टी को सदन में विपक्ष का नेता बनाने के लिए विधानसभा की कुल सीटों के कम से कम 10 प्रतिशत सीटों की आवश्यकता होती है.

बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं. इस लिहाज से नेता विपक्ष के लिए कम से कम 24 सदस्यों की जरूरत होगी. आरजेडी इस चुनाव में मामूली अंतर से नेता विपक्ष का पद बचा पाई है, क्योंकि पार्टी के सिर्फ 25 विधायक जीते हैं.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: रोहिणी आचार्य के आरोपों पर तेजस्वी यादव चुप क्यों हैं?

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