हफ्ता भर पहले छत्तीसगढ़ के जंगलों से एक बूढ़ी मां अपने बेटे से गुहार लगा रही थी कि बेटा वापस आ जाओ. अपने लोगों के साथ रहो. हम यहीं कुछ कमाकर खा लेंगे. बेटा देश के सबसे खतरनाक नक्सलियों में से एक था, जो 26 से ज्यादा घातक माओवादी हमलों में शामिल था. नाम था- मादवी हिडमा. 1 करोड़ का इनामी. बेटे ने मां की बात नहीं मानी. ठीक 7 दिन बाद 18 नवंबर 2025 को सुरक्षाबलों ने मादवी हिडमा को आंध्र प्रदेश की सीमा के पास घने जंगलों में ढेर कर दिया.
बस्तर का सबसे खतरनाक माओवादी ढेर, कौन था मादवी हिडमा, जिस पर 1 करोड़ का इनाम था
Madvi Hidma Killed: कुख्यात माओवादी मादवी हिडमा को सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया. उसकी पत्नी को भी सुरक्षाबलों ने मार गिराया. हिडमा पर अलग-अलग सरकारों ने एक करोड़ का इनाम था.


इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के जंगल क्षेत्र में आतंक के एक खौफनाक चैप्टर का अंत हो गया. बताया जा रहा कि नक्सलवाद के सफाये के सरकारी अभियान में कुछ मुट्ठी भर नक्सली लीडर ही बचे हैं, जिनमें से हिडमा एक था. इस ऑपरेशन में हिडमा के साथ उसकी दूसरी पत्नी राजे (राजक्का) भी मारी गई.
कौन था हिडमा?हिडमा को बस्तर के सबसे खतरनाक माओवादियों में से एक माना जाता है. पिछले कुछ सालों में अलग-अलग सरकारों ने उसके सिर पर कुल एक करोड़ रुपये से ज्यादा का इनाम रखा था. पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के लीडर हिडमा ने भारत के माओवादी इतिहास में कुछ सबसे विनाशकारी हमलों की योजना बनाई थी. इसमें ताड़मेटला हमला (2010), झीरम घाटी हमला (2013), बुर्कापाल घात (2017), अरनपुर आईईडी विस्फोट (2023) शामिल हैं.

इन हमलों में दर्जनों सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की जान गई थी. इससे देश के आंतरिक सुरक्षा का ढांचा हिल गया था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, हिडमा का जन्म सुकमा के पुवर्ती गांव में हुआ था. उसका असली नाम संतोष बताया जाता है. इसके अलावा वह हिडमन्ना, हिडमालु, इंदमुल या पोडियाम भीमा नाम से भी जाना जाता था. ‘बाल संघम’ नक्सलियों की बाल शाखा है. हिडमा 14 साल की उम्र में बाल संघम से जुड़ गया था. 17 साल की उम्र में वह नक्सलवाद की मुख्य धारा में आ गया था. अभी उसकी उम्र 50 से 55 साल की बताई जाती है. वह माओवादियों की सबसे घातक हमलावर इकाई पीएलजीए की बटालियन नंबर-1 का प्रमुख था. साल 2019 में उसका प्रमोशन हुआ और वह CPI (माओवादी) की केंद्रीय संगठन समिति (COC) का सबसे युवा सदस्य बन गया. ये सीपीआई (माओवादी) की फैसला लेने वाली सबसे बड़ी संस्था है, जिसमें देश के सबसे कट्टर माओवादी नेता शामिल होते हैं.
बस्तर क्षेत्र से सेंट्रल कमेटी में शामिल होने वाला हिडमा एकमात्र आदिवासी था.
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिडमा ने सिर्फ 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है. बेहद स्ट्रिक्ट और अपनी गुप्तचर विशेषज्ञता के लिए कुख्यात हिडमा के बारे में कहा जाता है कि वह 5 स्तरीय सुरक्षा घेरे में काम करता था. माओवादी कार्यकर्ताओं का भी उससे मिलना आसान नहीं था. वह किसी सभा में शामिल नहीं होता था. मीडिया से भी दूर रहता था. बस्तर के घने जंगलों में वह ‘भूत’ की तरह गायब-हाजिर रहने की पैंतरेबाजी में माहिर था.
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, हिडमा की शादी डिवीजनल कमेटी की सदस्य (डीवीसीएम) राजे उर्फ राजक्का से हुई थी. वह बटालियन में टीचर के रूप में भी काम करती थी.
आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक हरीश कुमार गुप्ता ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि मादवी हिडमा के साथ उसकी पत्नी राजे मारेडुमिल्ली भी गोलीबारी में मारी गई.
मां ने की थी सरेंडर की अपीलइस घटना से हफ्ता भर पहले छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा मोटरसाइकिल से हिडमा पुवर्थी गांव पहुंचे थे. बस्तर के हालिया इतिहास में ऐसा पहली बार था, जब प्रदेश का कोई बड़ा नेता सबसे खूंखार माओवादी के घर हथियारों या वारंट के साथ नहीं बल्कि सुलह की मंशा से गया था.
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विजय शर्मा ने हिडमा की बूढ़ी मां से मुलाकात की. उनके साथ भोजन किया और उन्हें अपने बेटे को सरेंडर के लिए मनाने की अपील की. अपनी कांपती आवाज में हिडमा की मां ने कहा,
तुम कहां हो, बेटा? मैं तुम्हें वापस बुला रही हूं. वापस आओ. हम घर पर कमाएंगे और खाएंगे. वापस आ जाओ और अपने लोगों के साथ रहो.
उपमुख्यमंत्री ने हिडमा की मां से कहा कि हिंसा का अब कोई मतलब नहीं रहा. आपके बेटे को वापस आना ही होगा. आत्मसमर्पण ही अब एकमात्र रास्ता है.
इस मुलाकात के हफ्ते भर बाद हिडमा को सुरक्षाबलों ने मार गिराया. इंडिया टुडे से जुड़े जितेंद्र सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के तहत सुरक्षाबलों को 30 नवंबर 2025 तक हिडमा को ढेर करने की डेडलाइन दी थी, जिसके बाद मंगलवार 18 नवंबर को यह बड़ा ऑपरेशन हो गया.
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