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बहुत तीखा खाने से पेट का कैंसर हो सकता है? डॉक्टर ने लक्षण तक बताए

कभी-कभार मसालेदार खाने से कुछ नहीं होता. लेकिन अगर कोई व्यक्ति रोज़ या हफ्ते में कई बार तीखा और मसालेदार खाना खाता है. तब पेट में कुछ दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं. जो आगे चलकर कैंसर कर सकती हैं.

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पेट में कैंसर है या नहीं, ये पता लगाने के लिए डॉक्टर एंडोस्कोपी कर सकते हैं (फोटो: Getty Images)

किसी को कैंसर क्यों होता है, इसकी कोई सटीक वजह आज तक पता नहीं चल पाई है. लेकिन कुछ फैक्टर्स हैं, जो कैंसर का रिस्क बढ़ाते हैं. जैसे तीखा और मसालेदार खाना. माना जाता है कि बहुत मिर्च-मसाले वाला खाना नहीं खाना चाहिए. क्योंकि, इससे पेट में कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है.

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अब इस बात में कितनी सच्चाई है? क्या वाकई तीखा खाना पेट में कैंसर कर सकता है? ये हमने पूछा किम्स हॉस्पिटल्स, ठाणे में ऑन्कोलॉजिकल साइंसेज़ के डायरेक्टर, डॉक्टर अनिल हेरूर से.

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डॉ. अनिल हेरूर, डायरेक्टर, ऑन्कोलॉजिकल साइंसेज़, किम्स हॉस्पिटल्स, ठाणे

डॉक्टर अनिल बताते हैं कि कभी-कभार मसालेदार खाने से कुछ नहीं होता. लेकिन अगर कोई व्यक्ति रोज़ या हफ्ते में कई बार तीखा और मसालेदार खाना खाता है. तो उसके पेट में जलन और सूजन हो सकती है. अल्सर यानी घाव भी बन सकते हैं. अगर ऐसा लंबे वक्त तक हो, तो कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है.

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मिर्च और मसालों में कैप्साइसिन नाम का कंपाउंड होता है. इसकी थोड़ी मात्रा शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती. बल्कि ये कुछ हद तक सूजन कम करने में मदद कर सकती है. लेकिन जब इसे बहुत ज़्यादा मात्रा में और लगातार खाया जाता है. तब पेट की भीतरी परत यानी गैस्ट्रिक म्यूकोसा को नुकसान पहुंचने लगता है. इससे पेट में एसिड बढ़ता है. पेट की दीवारों पर सूजन होती है और अल्सर बनने का ख़तरा बढ़ जाता है. अगर ये सूजन कई सालों तक बनी रहे, तो पेट के सेल्स में बदलाव आने लगते हैं, जो आगे चलकर कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं.

ये ख़तरा उन लोगों में और भी ज़्यादा होता है, जो शराब-सिगरेट पीते हैं. लंबे समय तक दर्द की दवाइयां खाते हैं. या जिन्हें एच. पाइलोरी इंफेक्शन है. एच. पाइलोरी यानी हेलिकोबैक्टर पाइलोरी. ये इंफेक्शन पेट की दीवार में सूजन और अल्सर की बड़ी वजह माना जाता है.

कई स्टडीज़ में पाया गया है कि जो लोग 10–15 सालों तक लगातार बहुत मसालेदार खाना खाते हैं. उनमें पेट के कैंसर का रिस्क ज़्यादा होता है. वहीं, अगर परिवार में किसी को पेट का कैंसर हुआ है, या व्यक्ति को क्रोनिक गैस्ट्राइटिस या फिर पेप्टिक अल्सर डिज़ीज़ है. तब भी कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है. इसलिए ज़रूरी है कैंसर के लक्षणों को पहचानना.

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पेट में भारीपन, भूख कम लगने जैसे लक्षण लगातार हों तो पेट का कैंसर हो सकता है (फोटो: Freepik)

पेट के कैंसर के लक्षण

पेट के कैंसर की शुरुआती स्टेज में आमतौर पर कोई खास लक्षण नहीं दिखते. लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, कुछ संकेत नज़र आने लगते हैं. जैसे पेट में भारीपन, भूख कम लगना, वज़न घटना और खाना खाने के बाद पेट जल्दी भर जाने जैसा महसूस होना. जब बीमारी और बढ़ जाती है. तब पेट में दर्द, लगातार उल्टी आना, खून की उल्टी होना, काला स्टूल आना और निगलने में दिक्कत होना, जैसे लक्षण दिखते हैं. कई मरीज़ों में कमज़ोरी, थकान और एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी भी हो सकती है.

अक्सर लोग इन लक्षणों को गैस या एसिडिटी समझकर अनदेखा कर देते हैं. जिससे कैंसर होने का पता देर से चलता है. इसलिए अगर किसी को लक्षण हों, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

पेट के कैंसर की जांच

पेट में कैंसर है या नहीं, ये पता लगाने के लिए डॉक्टर एंडोस्कोपी कर सकते हैं. इसमें एक पतली ट्यूब से पेट की दीवारों को देखा जाता है. अगर कुछ गड़बड़ लगती है, तो बायोप्सी की जाती है. ज़रूरत पड़ने पर CT स्कैन और पैट स्कैन भी किया जाता है.

पेट के कैंसर का इलाज उसकी स्टेज पर निर्भर करता है. अगर शुरुआती स्टेज है, तो सर्जरी की जा सकती है. अगर कैंसर फैल चुका है, तो कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी या टारगेटेड ड्रग थेरेपी दी जा सकती है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: कैंसर की किस स्टेज तक पूरी तरह इलाज किया जा सकता है?

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