सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की शिकायत करने वाले वजाहत खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स को जरूरी नसीहत दी है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी की कीमत समझनी चाहिए और सोशल मीडिया पर आत्मसंयम बरतना चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर नागरिक अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का आनंद लेना चाहते हैं तो इसे एक दायरे में रहकर उपयोग करना होगा. वजाहत खान पर सोशल मीडिया पर कथित विभाजनकारी पोस्ट करने के आरोप में कई राज्यों में केस दर्ज हुए हैं. इसके खिलाफ खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये टिप्पणी की.
'सोशल मीडिया पर संयम रखें', शर्मिष्ठा पर केस करने वाले वजाहत खान को SC ने खूब सुनाया
Wazahat Khan की सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर अलग-अलग राज्यों में शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके खिलाफ उन्होंने Supreme Court में याचिका दर्ज की है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने क्या कहा?
_(1).webp?width=360)
कोलकाता के रहने वाले वजाहत खान ने शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी, जिसके बाद शर्मिष्ठा को हरियाणा से गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, कलकत्ता हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई. बाद में, सोशल मीडिया पर कथित तौर पर विभाजनकारी कंटेट पोस्ट करने के आरोप में वजाहत के खिलाफ असम, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा में FIR दर्ज की गई.
पश्चिम बंगाल पुलिस ने वजाहत के खिलाफ 2 FIR दर्ज कर 10 जून को उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने 23 जून को अपने एक आदेश में उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी. वजाहत खान ने अपनी याचिका में कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज FIR को एक साथ जोड़ने की मांग की है.
सोमवार, 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने वजाहत अली खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि लोगों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते वक्त खुद पर संयम बरतने की जरुरत है. ऐसा न करने पर राज्य हस्तक्षेप करेगा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट उन लोगों को कंट्रोल करने के लिए गाइडलाइन्स बनाने पर विचार कर रहा है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विभाजनकारी यानी फूट डालने वाला कंटेट पोस्ट करते हैं. जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा,
अगर नागरिक अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का फायदा लेना चाहते हैं तो यह जरूरी प्रतिबंधों के साथ होना चाहिए. इसके अलावा, इस आजादी का आनंद लेने के लिए आत्मसंयम भी होना चाहिए.
ये भी पढ़ें: 'जबान से लगी चोट नहीं भरती’, शर्मिष्ठा पनोली पर FIR कराने वाले वजाहत को SC ने खूब सुनाया
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना मौलिक कर्तव्यों में से एक है. इसका उल्लंघन हो रहा है. इसे लेकर कम से कम सोशल मीडिया पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा,
लेकिन राज्य किस हद तक रोक लगा सकता है? इसके बजाय, नागरिक खुद को कंट्रोल क्यों नहीं कर सकते? नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का मूल्य समझना चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो राज्य हस्तक्षेप करेगा और कोई नहीं चाहता कि राज्य हस्तक्षेप करे.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग न्याय व्यवस्था को बाधित कर सकता है. उन्होंने कहा,
यह देश में हो रहा है. इस पर कोई रोक-टोक नहीं है. बोलने की आजादी के दुरुपयोग के मामलों से अदालतों में भीड़ बढ़ रही है. ये न होता तो पुलिस अन्य जरूरी मामलों पर ध्यान देती. इसका समाधान क्या है?
जस्टिस नागरत्ना ने आगे कहा कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना मौलिक कर्तव्यों में से एक है. इसका उल्लंघन हो रहा है. कम से कम सोशल मीडिया पर समाज को बांटने वाली इन सभी चीजों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.उन्होंने साफ किया,
हम सेंसरशिप की बात नहीं कर रहे हैं. लेकिन भाईचारे, धर्मनिरपेक्षता और नागरिकों की गरिमा के हित में हमें इस याचिका से आगे जाकर इस पर विचार करना होगा.
वजाहत खान की तरफ सेे सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलील दी कि वे उनके सोशल मीडिया पोस्ट का बचाव नहीं कर रहे हैं, लेकिन वजाहत ने अपनी पोस्ट हटा ली है और माफी मांगी है. अब मामले की सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी.
वीडियो: अमिताभ बच्चन ने कोलकाता फिल्म फेस्टिवल में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बड़ी बात कह दी