जयपुर के महारानी कॉलेज (Jaipur Maharani College) के अंदर बनी तीन मजारों को लेकर बीते दो हफ्तों से विवाद चल रहा है. ‘धरोहर बचाओ समिति’ का आरोप है कि ये मजारें अवैध रूप से बनाई गईं. मंगलवार, 15 जुलाई को ये विवाद और ज्यादा गहरा गया. ‘धरोहर बचाओ समिति’ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग जुटे और विरोध जताने के लिए कॉलेज के गेट पर हनुमान चालीसा पढ़ने लगे.
जयपुर के महारानी कॉलेज में बनी मजारों के खिलाफ हनुमान चालीसा पढ़ी जा रही, वक्फ पर बड़ा आरोप
Jaipur Maharani College के अंंदर ये मजारें कैसे बनीं? इस पर सवाल उठ रहे हैं. ‘धरोहर बचाओ समिति’ का दावा है कि ‘वक्फ अधिनियम’ की आड़ में और कॉलेज की संपत्ति पर अवैध कब्जा करने की 'साजिश' के तहत इन मजारों को बनाया गया है.
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महारानी कॉलेज की स्थापना 1944 में हुई थी. यह लड़कियों के लिए प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक है. इंडिया टुडे से जुड़े देव अंकुर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कॉलेज कैंपस के भीतर तीन मजारों के निर्माण को लेकर विवाद पैदा हो गया है. ये मजारें कॉलेज के भीतर कैसे बनीं, इस पर सवाल उठ रहे हैं. कॉलेज प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है. जो जांच करेगी कि ये मजारें कब बनी थीं? साथ ही इन मजारों के लेकर क्या कार्रवाई करनी चाहिए? इसका फैसला भी कमेटी लेगी.
‘धरोहर बचाओ समिति’ के प्रमुख भरत शर्मा ने बताया,
हमने 2 जुलाई को ज्ञापन दिया था. जिसमें कार्रवाई करने के लिए 10 दिन का वक्त दिया गया था. कार्रवाई न करने पर हमने आंदोलन करने की चेतावनी दी थी. इसलिए आज विरोध जताने के लिए हमने सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, भरत शर्मा ने दावा किया था कि ‘वक्फ अधिनियम’ की आड़ में और कॉलेज की संपत्ति पर अवैध कब्जा करने की 'साजिश' के तहत इन मजारों को बनाया गया है. ये मजारें कॉलेज कैंपस के अंदर पंप हाउस और पानी की टंकी के पास बनी हुई हैं.
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कॉलेज की प्रिंसिपल पायल लोढ़ा ने इस मामले को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा,
मैंने पिछले दिसंबर में ही प्रिंसिपल के तौर पर कार्यभार संभाला है. मुझे बस इतना पता है कि ये मजारें कुछ साल पुरानी हैं. यह एक शैक्षणिक संस्थान है और इसका ध्यान केवल शिक्षा पर होना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में पर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ छात्रों ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि कॉलेज कैंपस के अंदर कोई धार्मिक स्थल है.
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