The Lallantop

कश्मीर: शारदा भवानी मंदिर 35 साल बाद फिर खुला, कश्मीरी पंडित बोले- 'मुस्लिमों के बिना ये न हो पाता'

Kashmiri Pandits ने 'प्राण प्रतिष्ठा' कार्यक्रम आयोजित किया. मंदिर के परिसर में ही मिली भगवान शिव की प्रतिमा को विधिवत तरीके से स्थापित किया गया. इस मौके पर लोकल मुस्लिमों को विशेष अतिथियों के तौर पर बुलाया गया.

Advertisement
post-main-image
लोकल मुस्लिमों के सहयोग से बडगाम के शारदा भवानी मंदिर को दोबारा खोला गया. (India Today)
author-image
मीर फरीद

कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर घाटी में वो पल बहुत भावुक था, जब उन्होंने 35 साल बाद एक मंदिर को फिर से खोला. बडगाम जिले के इचिकूट में शारदा भवानी मंदिर में एक बार फिर से पूजा-पाठ शुरू की गई. यह मंदिर 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से बंद पड़ा था. लेकिन अब लोकल कश्मीरी मुस्लिमों और कश्मीरी पंडितों के आपसी सहयोग से इसे फिर से सजाया-संवारा जा रहा है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

इंडिया टुडे से जुड़े मीर फरीद की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कश्मीरी पंडित परिवारों और बडगाम में रहने वाले पीएम पैकेज के कर्मचारियों ने लोकल मुस्लिमों की मदद से मंदिर और उसके परिसर का पुनरुद्धार शुरू कर दिया है.

दोबारा मंदिर खोलने के मौके पर 'प्राण प्रतिष्ठा' कार्यक्रम आयोजित किया गया. मंदिर के परिसर में ही मिली भगवान शिव की प्रतिमा को विधिवत तरीके से स्थापित किया गया. इसके बाद पूजा, भजन और कीर्तन का आयोजन हुआ. खास बात यह रही कि इस मौके पर लोकल मुस्लिमों को विशेष अतिथियों के तौर पर बुलाया गया.

Advertisement

स्थानीय मुस्लिमों ने मंदिर की सफाई और परिसर को संवारने में भी कश्मीरी पंडितों की मदद की. जिला प्रशासन ने भी इसमें सहयोग दिया और अब जल्द ही मंदिर को पूरी तरह से दोबारा बनाने की योजना है. कश्मीरी पंडित समुदाय ने एलान किया कि आगे से मंदिर में साप्ताहिक और मासिक धार्मिक सभाएं की जाएंगी. इससे घाटी में धार्मिक और सांस्कृतिक क्रियाकलाप का नया चैप्टर शुरू होने की उम्मीद जगी है.

एक कश्मीरी पंडित ने बताया,

"हम इस वक्त इचिकूट विलेज में है. ये हमारा पैतृक गांव है. हम यहीं रहते थे. हम यहां पर 35 पंडित फैमिली रहती थीं. ये शारदा माता मंदिर हमारी श्रद्धा का एक प्रतीक था... पाकिस्तान में जो इस वक्त शारदा टेंपल है, इसे वहीं की एक शाखा मान सकते हैं."

Advertisement

उन्होंने लोकल मुस्लिमों के सहयोग पर कहा,

"इनके बगैर ये पॉसिबल नहीं है. हम परसों इधर आए. हम कुल चार लोग थे और गांव पूरा था. आज भी अगर आप देखें कि हम कम है, गांव ज्यादा है. ये खुद बताता है कि जब तक लोकल कम्युनिटी का साथ नहीं होगा, ये पॉसिबल नहीं है."

इसी के साथ एक और अहम पहल काजीगुंड के गंगबल नाग में देखने को मिली. यहां वीसु माइग्रेंट कॉलोनी के कश्मीरी पंडित परिवारों ने 35 साल बाद पवित्र स्नान किया. उन्होंने बताया कि इस जगह पर पहले हर साल यात्रा होती थी, लेकिन 1990 के बाद यह परंपरा टूट गई.

अब कश्मीरी पंडित समुदाय ने फैसला किया है कि यात्रा को दोबारा शुरू किया जाएगा. इसके लिए इस जगह का नवीनीकरण कर उसकी पुरानी पहचान और धार्मिक महत्व को फिर से जिंदा किया जाएगा.

वीडियो: LOC से LAC तक दुश्मन पर कहर बरपाएंगे ‘भैरव कमांडो’, जानिए स्पेशल फोर्स क्या है खास?

Advertisement