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'जो आज साहिबे मसनद हैं, कल नहीं होंगे', MP हाई कोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन ने ऐसा क्यों कहा?

Justice Atul Sreedharan को मार्च 2025 में Jammu Kashmir High Court से Madhya Pradesh High Court भेजा गया था. इसके बाद Supreme Court Collegium ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में उनका ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी. लेकिन बाद में इसे बदलकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया.

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जस्टिस अतुल श्रीधरन का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुआ है. (Photo: X)

जस्टिस अतुल श्रीधरन का गुरुवार, 6 नवंबर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आखिरी दिन था. उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में हो गया है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में विदाई समारोह के दौरान वह थोड़ा भावुक भी हुए. उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड में केवल बदलाव ही स्थायी चीज है. इसके बाद उन्होंने शायराना अंदाज में कहा, "जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे, किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी हैं." उनकी इस शायरी के अलग-अलग मायने भी निकाले जा रहे हैं. मालूम हो कि यह मशहूर शायर राहत इंदौरी के बोल हैं, जिसका संदर्भ आमतौर पर सत्ता या शासन के खिलाफ माना जाता है.

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जस्टिस श्रीधरन का सात महीने में यह तीसरा ट्रांसफर है. मार्च 2025 में उन्हें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट भेजा गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में उनका ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी. हालांकि, बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के अनुरोध के बाद कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर छत्तीसगढ़ की बजाय इलाहाबाद हाई कोर्ट में करने की सिफारिश की. रिपोर्ट में बताया गया है कि जस्टिस श्रीधरन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य थे और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में भी इसी पद पर होते. हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट में वह वरिष्ठता में सातवें नंबर पर होंगे.

जम्मू-कश्मीर में हुआ था ट्रांसफर

इससे पहले मार्च 2023 में जस्टिस श्रीधरन ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से खुद अपने ट्रांसफर की मांग की थी. उनका कहना था कि उनकी बेटी मध्य प्रदेश में वकालत शुरू कर रही है, इसलिए वह ट्रांसफर कराना चाहते हैं. इसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट भेजा गया था. बहरहाल, अपने विदाई समारोह में जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि ट्रांसफर भी सर्विस का एक अनुभव है. वह देश के सबसे बड़े हाई कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में सेवा करने के लिए उत्साहित और उत्सुक हैं. उन्होंने कहा,

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ब्रह्मांड में एकमात्र स्थायी चीज अस्थिरता (बदलाव) है और मैं इन तबादलों को इंदौर के गौरव राहत इंदौरी के शब्दों में बयां करना चाहूंगा, जिन्होंने कहा था: जो आज साहिबे मसनद हैं, कल नहीं होंगे. किराएदार हैं, जाती मकान थोड़ी हैं.

इसके बाद जस्टिस श्रीधरन ने अपने साथी जजों का धन्यवाद किया. साथ ही उन्होंने बार और वकीलों का भी सहयोग के लिए आभार जताया. उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि बार ही बेंच का सबसे मजबूत रक्षक है. समारोह में मौजूद वकीलों ने भी उन्हें उनकी सेवा के लिए धन्यवाद किया और भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं.

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जस्टिस अतुल श्रीधरन का करियर

बार एंड बेंच के मुताबिक जस्टिस श्रीधरन 1992 में दिल्ली में सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की टीम का हिस्सा बने थे. फिर 1997 से 2000 तक उन्होंने दिल्ली में स्वतंत्र रूप से वकालत की. फिर 2001 में वह इंदौर आ गए. यहां उन्होंने सीनियर एडवोकेट सत्येंद्र कुमार व्यास के साथ मिलकर काम किया. उन्होंने एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में राज्य के लिए पैनल एडवोकेट और सरकारी एडवोकेट के रूप में भी काम किया. 7 अप्रैल, 2016 को उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया था. फिर 17 मार्च, 2018 को उन्हें स्थायी जज बनाया गया.

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