पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का काम चल रहा है. हजारों बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) दिन-रात एक करके वोटर लिस्ट को दुरुस्त कर रहे हैं. इस दौरान कई जगहों से खबरें आ रही हैं कि काम का भयानक दबाव इन BLO को बीमार कर रहा है. कुछ की तो मौत भी हुई है. और कुछ ने कथित तौर पर वर्कलोड के चलते आत्महत्या कर ली है. नोएडा में एक BLO ने काम न करने पाने के दबाव का हवाला देते हुए अपनी नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया है. लेकिन इसी बीच बंगाल के बीरभूम में दो BLO ऐसे भी हैं जिन्होंने SIR का काम लगभग खत्म कर दिया है.
इन दो BLO ने 17 दिन में निपटा दिया SIR का सारा काम, वर्कलोड कैसे मैनेज किया?
जहां एक तरफ SIR के वर्कलोड के प्रेशर में लोग टूट रहे हैं, वहीं पूजा और अब्दुल ने साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और स्मार्ट तरीका अपनाएं तो असंभव कुछ नहीं.


लावपुर की पूजा घोष और साईंथिया के अब्दुल आलम ने महज 17 दिनों में अपना काम तकरीबन पूरा कर दिया है. आजतक से जुड़े सुंतुए हाजरा की रिपोर्ट के मुताबिक लावपुर विधानसभा के 166 नंबर बूथ की BLO पूजा घोष बताती हैं,
“मेरे पास कुल 1017 वोटर हैं. अभी तक 1014 की एंट्री हो चुकी है, सिर्फ 3 बाकी हैं जिनमें सर्वर NOT FOUND दिखा रहा है. शिकायत कर दी है. ये भी जल्दी हो जाएगा.”
पूजा ‘रात की योद्धा’ हैं. वो बताती हैं कि उन्होंने ज्यादातर फॉर्म्स की एंट्री रात में ही जाग-जाग कर की है. वो कहती हैं,
“मैं हर रात 11 बजे से काम शुरू करती थी और 100 से 150 फॉर्म एंट्री करती थी. कभी 2 बजे तक, कभी सुबह 4 बजे तक काम किया. दिन में सर्वर हैंग करता था, रात में नेटवर्क साफ रहता था, इसलिए रात ज्यादा आसान लगती थी.”
जब उनसे पूछा गया कि कई महिला BLO प्रेशर में टूट रही हैं, तो पूजा कहती हैं,
“काम को बोझ मत बनाइए. इसे आसान मानिए, अपनी सुविधा से कीजिए. मैंने भी यही किया. डरेंगे तो काम और भारी लगेगा.”
पूजा की काम की लगन ऐसी है कि उन्होंने कई पुरुष BLO को पीछे छोड़ दिया है. वो हंसते हुए सलाह देती हैं,
अब्दुल ने 100 फीसदी काम किया“रात में जागिए, सर्वर फास्ट रहता है. दिन में बैठे रहने से कुछ नहीं होगा.”
साईंथिया विधानसभा के 200 नंबर बूथ के BLO अब्दुल आलम ने तो 17 दिनों में ही 100 फीसदी काम पूरा कर लिया. अब्दुल बताते हैं,
“4 नवंबर को मुझे फॉर्म मिले थे. 18-19 नवंबर तक मेरा पूरा काम खत्म हो गया. कुल 930 वोटर थे, एक भी बाकी नहीं.”
पेशे से टीचर अब्दुल रात कम जाग पाते हैं, इसलिए उनकी दिनचर्या अलग थी. वो बताते हैं,
“मैं सुबह 3 बजे उठता था, 8 बजे तक एंट्री करता, फिर स्कूल चला जाता. दोपहर ढाई से 5 बजे तक गांव में घर-घर जाता, फॉर्म भरवाता, फोटो खींचता, अपलोड करता. सब कुछ अकेले.”
अब्दुल बताते हैं कि काम के दौरान उन्हें सबसे बड़ी मदद महेसाडहाड़ी गांव के लोगों से मिली.
वहीं गांव के लोगों के साथ BDO, स्थानीय प्रशासन और इलेक्शन ऑफिसर ने भी अब्दुल की तारीफ की है. भाजपा के जिला महासचिव जगन्नाथ चट्टोपाध्याय ने भी उनकी तारीफ की.
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