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'बिना सुरक्षा-सम्मान के महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं पुरुष जिम ट्रेनर...', इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चिंता जताई

Allahabad High Court के जस्टिस Shekhar Kumar Yadav एक आपराधिक मामले से संबंधित अपील पर सुनवाई कर रहे थे. जिसमें एक जिम ट्रेनर पर एक महिला ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था.

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कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. (सांकेतिक फोटो: आजतक)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिम में पुरुष प्रशिक्षकों (Male Gym Trainer) द्वारा महिलाओं को ट्रेनिंग दिए जाने के संबंध में चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि मेल जिम ट्रेनर, महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना ही ट्रेनिंग दे रहे हैं. कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शेखर कुमार यादव एक आपराधिक मामले से संबंधित अपील पर सुनवाई कर रहे थे. जिसमें एक जिम ट्रेनर पर जाति-आधारित गाली का इस्तेमाल करने और एक महिला ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था. भारतीय दंड संहिता (IPC) और SC/ST (अत्याचार निवारण) एक्ट, 1989 के प्रावधानों के तहत यह मामला पिछले साल दर्ज किया गया था. 

इस मामले में, जिम ट्रेनर नितिन सैनी पर आरोप लगाया गया है कि जब पीड़िता जिम में कसरत कर रही थी. तब आरोपी ने उसे जातिसूचक शब्द कहे, उसे धक्का दिया और जिम से बाहर निकाल दिया. पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उसकी दोस्त के अश्लील वीडियो बनाए.

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27 अगस्त को पारित एक आदेश में, कोर्ट ने पुलिस से यह पता लगाने को कहा कि क्या आरोपी द्वारा संचालित जिम कानून के तहत रजिस्ट्रर्ड है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या आरोपी को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है? इसके अलावा, क्या जिम में महिला ट्रेनर है? फिलहाल, इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव इससे पहले भी अपनी टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहे हैं. 8 दिसंबर 2024 को जस्टिस यादव विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. यहां उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के मुद्दे पर कहा था,

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हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा. एक से ज्यादा पत्नी रखने, तीन तलाक और हलाला के लिए कोई बहाना नहीं है और अब ये प्रथाएं नहीं चलेंगी.

जस्टिस यादव की इस स्पीच से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. जिसके बाद उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल के नेतृत्व में 55 विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में एक नोटिस दाखिल कर जस्टिस यादव के खिलाफ ‘न्यायिक नैतिकता’ के गंभीर उल्लंघन के लिए महाभियोग चलाने की मांग की.

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