The Lallantop

अफगानिस्तान भूकंप अपडेट: मरने वालों की तादाद 800 के पार, 2500 से ज्यादा घायल

Afghanistan Earthquake Update: भूंकप का सबसे ज्यादा असर महिलाओं और बच्चों पर पड़ा. पुरुषों की तुलना में बहुत कम महिलाओं को अस्पताल में मदद मिल रही है. रूढ़िवादी प्रांत कुनार में कथित रीति-रिवाजों की वजह से महिलाओं को इलाज कराने में देरी हो रही है. कुछ परिवार उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए सुबह होने तक इंतजार कर रहे हैं.

Advertisement
post-main-image
सड़कों पर दिखा तबाही का मंजर. (फोटो- AP)

अफगानिस्तान में 1 सितंबर को आए भूकंप में जान गंवाने वालों की संख्या 800 हो गई है. 2,500 से ज्यादा लोग जख्मी हैं. इलाज के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है. तालिबान सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र (UN) और भारत ने घटना पर दुखा जताया है और हर संभव मदद का वादा किया है. भूंकप के बाद सड़कों पर तबाही का मंजर देखने को मिला. 

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

अमेरिकी जियोलॉजिकर सर्वे ने बताया कि भूकंप स्थानीय समयानुसार रात 11:47 बजे आया. इसका केंद्र नंगरहार प्रांत के जलालाबाद से 27 किलोमीटर नॉर्थ-ईस्ट में था. कुनार प्रांत भूंकप के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में टॉप पर है. यहां भूकंप ने भारी तबाही मचाई. इसके अलावा, नूर गुल, सोकी, वातपुर, मनोगी और चापादारे जैसे जिलों में सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त और नष्ट हो गए.

Image
क्षतिग्रस्त घर. (फोटो- X)

भूकंप के झटके झटका पाकिस्तान और उत्तरी भारत सहित क्षेत्र के बड़े हिस्से में महसूस किए गए. यहां तक कि दिल्ली-एनसीआर समेत अन्य शहरों में रहने वाले लोगों ने झटके महसूस किए.  शुरुआती झटके के बाद 4.7, 4.3, 5.0 और 5.0 तीव्रता के कई झटके महसूस किए गए. इसने प्रभावित इलाकों में चिंता और क्षति और बढ़ा दी.

Advertisement

अफगान स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कुनार प्रांत के तीन गांव पूरी तरह से तबाह चुके हैं. कई अन्य को भारी नुकसान हुआ. मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत जमान ने कहा कि कुछ ही क्लीनिकों से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. दर्जनों लोगों की मौत हुई है. उन्होंने चेतावनी दी कि जैसे-जैसे और जानकारी सामने आएगी, हताहतों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है.

कुनार में प्रांतीय सूचना प्रमुख नजीबुल्लाह हनीफ ने पुष्टि की कि कम से कम 250 लोग मारे गए और 500 घायल हुए. उन्होंने स्वीकार किया कि ये आंकड़े शुरुआती हैं. शुरुआती रिपोर्टों में एक ही गांव में 30 लोगों की मौत होने की बात कही गई थी. सैकड़ों घायलों को आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. इन इलाकों में पक्के मकान नहीं बने होते हैं. इसलिए बुनियादी ढांचा कमजोर होता है और मिट्टी और पत्थर से घर आसानी से ढह जाते हैं. 

Advertisement
महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान

वहीं, भूंकप का सबसे ज्यादा असर महिलाओं और बच्चों पर पड़ा. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में बहुत कम महिलाओं को अस्पताल में मदद मिल रही है. रूढ़िवादी प्रांत कुनार में कथित रीति-रिवाजों की वजह से महिलाओं को इलाज कराने में देरी हो रही है. कुछ परिवार उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए सुबह होने तक इंतजार कर रहे हैं. 

मोदी और UN ने जताया दुख

2022 के पक्तिका भूकंप के बाद भी ऐसा ही देखा गया था. तब कुछ ही दिनों बाद अस्पतालों में घायल महिलाओं की संख्या बढ़ गई थी. बचाव कार्य में लगे लोगों ने बताया कि फिलहाल कोई भी महिला बचावकर्मी जमीन पर मौजूद नहीं है. 

संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि उसकी टीमें पहले से ही जमीन पर इमरजेंसी और लाइफ सेविंग मदद पहुंचा रही हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताया है. उन्होंने भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति समर्थन और संवेदना व्यक्त की. उन्होंने X पर लिखा, 

“अफगानिस्तान में भूकंप के कारण हुई जानमाल की हानि से गहरा दुख हुआ है. इस कठिन घड़ी में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं. हम घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं. भारत प्रभावित लोगों को हर संभव मानवीय सहायता और राहत प्रदान करने के लिए तैयार है.”

अफगानिस्तान में लगते रहते हैं भूकंप के झटके

अफगानिस्तान का हिंदूकुश पर्वतीय इलाका भूवैज्ञानिक रूप से काफी एक्टिव है. यहां हर साल भूकंप आते रहते हैं. यह इलाका भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट्स के जंक्शन पर स्थित है, जबकि एक फॉल्ट लाइन सीधे हेरात से होकर गुजरती है. पिछले महीने भी यहां कई झटके दर्ज किए गए थे. 2 अगस्त को 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई 87 किलोमीटर थी. वहीं 6 अगस्त को 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सतही (Shallow) भूकंप गहरे भूकंपों के तुलना में ज्यादा खतरनाक होते हैं, क्योंकि इनके झटके सतह तक कम दूरी में पहुंचते हैं. और इससे जमीन पर ज्यादा तेज कंपन होता है. जिसके चलते इमारतों को अधिक नुकसान पहुंचने की संभावना होती है.

वीडियो: दुनियादारी: भूकंप के बाद रूस में क्या हालात हैं?

Advertisement