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मराठा आरक्षण: आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे को हाई कोर्ट का आदेश, 'कल तक मुंबई खाली करो'

हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन स्थल पर 5,000 से ज़्यादा लोग नहीं रह सकते और बाकी सभी को 2 सितंबर दोपहर तक हट जाना होगा.

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मुंबई में मराठा आरक्षण के लिए अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल और प्रदर्शनकारी. (India Today)
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दिव्येश सिंह

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार, 1 सितंबर को आज़ाद मैदान पर चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल और उनके समर्थकों पर सख़्त टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि इस आंदोलन की वजह से मुंबई की ज़िंदगी ठप हो गई है और पूरे शहर में भारी ट्रैफ़िक जाम लग गया है.

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जरांगे मराठों के लिए 10 फ़ीसदी कोटे की मांग पर अड़े हुए हैं और उन्होंने एलान किया है कि जब तक यह मांग पूरी नहीं होती, वे मुंबई नहीं छोड़ेंगे. 1 सितंबर को दक्षिण मुंबई में हज़ारों प्रदर्शनकारियों के पहुंचने से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT), फोर्ट, चर्चगेट और मंत्रालय के आसपास के रास्ते पूरी तरह जाम हो गए.

CSMT की तस्वीर.
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की तस्वीर.

डॉ. डीएन रोड, CSMT से क्रॉफर्ड मार्केट तक का इलाका पूरी तरह बंद रहा और ट्रैफ़िक को जेजे ब्रिज से डायवर्ट करना पड़ा. धोबी तालाव मेट्रो जंक्शन के पास महापालिका मार्ग दोनों तरफ से बंद कर दिया गया, जिससे बीएमसी मुख्यालय, एस्प्लेनेड कोर्ट और सीएसएमटी सबवे का रास्ता कट गया.

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मेट्रो जंक्शन से बॉम्बे जिमखाना तक केवल एक लेन खुली रही, जिससे फैशन स्ट्रीट और VSNL बिल्डिंग की तरफ जाने वालों को भीषण जाम का सामना करना पड़ा.

स्थिति पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने जरांगे और उनके समर्थकों को आदेश दिया कि वे 2 सितंबर तक सभी सड़कें खाली करें और हालात सामान्य करें. अदालत ने टिप्पणी की, “स्थिति गंभीर है और मुंबई शहर लगभग ठप हो गया है.”

हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन स्थल पर 5,000 से ज़्यादा लोग नहीं रह सकते और बाकी सभी को 2 सितंबर दोपहर तक हट जाना होगा. न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की बेंच ने कहा,

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“हम जरांगे और उनके समर्थकों को मौका दे रहे हैं कि वे तुरंत हालात सुधारें और 2 सितंबर की दोपहर तक सड़कों को खाली और साफ़ कर दें.”

अदालत ने कहा कि मंगलवार दोपहर 3 बजे सुनवाई होगी और देखा जाएगा कि आदेश का पालन हुआ या नहीं.

इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित करेगी. पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह आरोप खारिज कर दिया कि मुंबई में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों से क़ानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है.

मराठा आरक्षण आंदोलन

27 अगस्त से शुरू हुआ यह आंदोलन 29 अगस्त को तब और तेज हो गया जब जरांगे ने अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया. उनकी मांग है कि मराठाओं को कुनबी (Kunbi) मानकर ओबीसी श्रेणी में आरक्षण दिया जाए. उनका कहना है कि सरकारी रिकॉर्ड में पहले से 58 लाख मराठा कुनबी दर्ज हैं और वे तब तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे जब तक 10 फ़ीसदी आरक्षण लागू नहीं होता.

31 अगस्त को उन्होंने सरकार के ठंडे रुख के विरोध में पानी पीना भी बंद करने का एलान कर दिया. पुलिस का अनुमान है कि सिर्फ़ शुक्रवार को ही 45,000 से ज़्यादा लोग लगभग 8,000 वाहनों के काफ़िले में मुंबई पहुंचे. आज़ाद मैदान में जगह न होने से नारंगी पटका पहने प्रदर्शनकारी आस-पास की सड़कों पर फैल गए और दक्षिण मुंबई एक विशाल धरना स्थल में बदल गया.

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प्रदर्शन की तस्वीर. 

जरांगे ने सरकार द्वारा बातचीत के लिए बनाए गए सेवानिवृत्त जज संदीप शिंदे की नियुक्ति ठुकरा दी और कहा कि केवल औपचारिक समाधान ही उनकी मांग पूरी कर सकता है. उधर फडणवीस सरकार कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है, जबकि विपक्ष ने लगातार सरकारों को दशकों पुरानी मांग हल न करने के लिए जिम्मेदार ठहराया.

इसी बीच बीएमसी ने आंदोलन स्थल पर सफाई कर्मचारी, पानी के टैंकर, मोबाइल टॉयलेट और मेडिकल टीमें तैनात कर दी हैं. बातचीत अटकी होने और ट्रैफ़िक की स्थिति बिगड़ने के बीच जरांगे ने इस आंदोलन को मराठा समुदाय की “आरक्षण के अधिकार की अंतिम लड़ाई” करार दिया है.

वीडियो: आसान भाषा में: मराठा आरक्षण विधेयक से किसको फायदा?

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