रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत भले ही पश्चिमी देशों के निशाने पर रहा. लेकिन उसके लिए यह फायदा का सौदा बना. रूस से तेल खरीदने के फैसले ने भारत के अरबों डॉलर बचाए. एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद ने भारत को बीते 39 महीनों (अप्रैल 2022 से जून 2025) में करीब 12.6 अरब डॉलर करीब (1.05 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा) की सीधी बचत कराई है. यही नहीं भारत के इस कदम ने वैश्विक तेल कीमतों को भी काबू में रखने में मदद की.
रूस से तेल नहीं खरीदता भारत तो दुनिया में मच जाती हड़कंप, रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत ने सिर्फ सस्ते तेल से नहीं बल्कि वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर बनाकर भी बड़ा फायदा उठाया. अगर भारत रूस से तेल नहीं खरीदता तो वैश्विक बाजार में तेल की कमी होती और कीमतें बढ़ जातीं.


इंडियन एक्सप्रेस में छपी सुकल्प शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत, रूस से बहुत कम तेल खरीदता था. तब भारत का कुल आयात का सिर्फ 2 प्रतिशत था. लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस के तेल से दूरी बनानी शुरू की तो रूस ने भारत और चीन जैसे देशों को भारी डिस्काउंट पर तेल बेचना शुरू किया जिसका भारत ने इसका पूरा फायदा उठाया.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022-23 में हुए तेल आयात की बात करें तो भारत ने तेल के लिए रूस को 162.21 अरब डॉलर का बिल चुकाया था. रूस ने डिस्काउंट रेट पर भारत को 83.24 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर तेल बेचा, जबकि अन्य देश इससे 13 डॉलर ज्यादा की कीमत पर तेल बेच रहे थे. अगर तेल रूस के अलावा अन्य देशों से खरीदा जाता तो भारत को करीब 167.08 अरब डॉलर चुकाने पड़ते. लेकिन रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत को करीब 4.87 अरब डॉलर की बचत हुई.
रिपोर्ट में छपे विश्लेषण के मुताबिक, 2023-24 में भारत को रूस की तरफ से थोड़ी कम छूट मिली. बावजूद इसके भारत फायदे में ही रहा. इस बीच में बचत 5.41 अरब डॉलर अधिक रही क्योंकि रूस से तेल आयात की मात्रा 2022-23 के 373 मिलियन बैरल से बढ़कर लगभग 609 मिलियन बैरल हो गई. अब बात करें वित्त वर्ष 2024-25 की इस साल छूट और बजट में कुछ गिरावट देखी गई. इस साल छूट सिर्फ 2.8 प्रतिशत रही और इसकी वजह से सिर्फ 1.45 अरब डॉलर की ही बचत हो पाई. इस वक्त में कच्चे तेल का दाम 78.5 प्रति बैरल था.
रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2025-26 की जून तिमाही रूस की ओर से मिलने वाला डिस्काउंट बढ़ा. यह करीब 6.2 फीसदी हो गया. अब रूस की ओर से 69.74 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर तेल बेचा जा रहा है जबकि दूसरे देशों के लिए यह कीमत 74.37 डॉलर है. इसकी वजह से भारत को अब तक 0.84 अरब डॉलर की बचत हुई है.
रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि भारत ने सिर्फ सस्ते तेल से नहीं बल्कि वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर बनाकर भी बड़ा फायदा उठाया. अगर भारत रूस से तेल नहीं खरीदता तो वैश्विक बाजार में तेल की कमी होती और कीमतें बढ़ जातीं.
उधर, डॉनल्ड ट्रंप सरकार ने रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी जताई है. ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो लागू हो चुका है. इसकी वजह से भारत के बाजार में अनिश्चितता का माहौल है. वहीं भारत भी कई मौकों पर भारत बार-बार कह चुका है कि वह वहीं से तेल खरीदेगा जहां से सस्ता और किफायती तेल मिलेगा.
वीडियो: खर्चा-पानी: भारत रूसी तेल से किनारा क्यों नहीं कर सकता?