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20 साल की लड़की प्रेग्नेंसी पता चलने के कुछ घंटों बाद मां बन गई, वजह अब सामने आई

क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी होना रेयर है. इसमें शुरू के काफ़ी महीनों तक प्रेग्नेंसी का पता लगाना मुश्किल होता है. कुछ मामलों में तो लेबर पेन होने तक महिला अपनी प्रेग्नेंसी से अनजान ही रहती है.

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क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी का एक केस अभी ऑस्ट्रेलिया में आया है (फोटो: Freepik)

ऑस्ट्रेलिया में शार्लोट समर्स नाम की एक महिला हैं. उम्र 20 साल. जून के महीने में वो हॉस्पिटल गईं. अपनी ग्लूटन सेंसिटिविटी की दिक्कत लेकर. ग्लूटन एक प्रोटीन है, जो खाने की कई चीज़ों में पाया जाता है. जैसे गेहूं वगैरह में. कई लोगों को ग्लूटन वाली चीज़ें खाने से पेट में दिक्कत होती है. जैसे इन महिला को थी.

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खैर, शार्लोट ने डॉक्टर को अपनी परेशानी बताई. उनका वज़न काफ़ी बढ़ गया था. डॉक्टर ने शार्लोट को प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने को कहा. जांच हुई तो मालूम चला कि शार्लोट प्रेग्नेंट हैं. जानते हैं, उनकी प्रेग्नेंसी को कितना टाइम हुआ था? 38 हफ्ते और 4 दिन. यानी लगभग 9 महीने. लेकिन हैरानी की बात तो ये थी कि इन 9 महीनों में उन्हें पता ही नहीं चला कि वो प्रेग्नेंट हैं.

मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, शार्लोट को क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी हुई थी. इसमें महिला को आखिरी वक्त तक पता नहीं चलता कि वो प्रेग्नेंट है. शार्लोट अपने वेट गेन की वजह स्ट्रेस या हेल्दी रिलेशनशिप मान रही थीं. मगर वजह निकली प्रेग्नेंसी.

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अच्छी बात ये है कि उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. लेकिन ये खबर सुनकर हमारे मन में उठा एक सवाल. भला ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी महिला को अपनी प्रेग्नेंसी का पता ही न चले.

इस सवाल का जवाब दिया क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, फरीदाबाद में कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शैली शर्मा ने. 

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डॉ. शैली शर्मा, कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉ. शैली बताती हैं कि प्रेग्नेंसी का पता न चलना बहुत ही रेयर है, लेकिन नामुमकिन नहीं. जब किसी महिला को प्रेग्नेंसी का पता नहीं चलता है, तो इसे क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है. ‘क्रिप्टिक’ यानी छुपी हुई. इसे स्टेल्थ या डिनाइड प्रेग्नेंसी भी बोला जाता है. इसमें शुरुआत के काफ़ी महीनों तक प्रेग्नेंसी का पता लगाना मुश्किल होता है. कुछ केसों में तो लेबर पेन होने तक महिला अपनी प्रेग्नेंसी से अनजान ही रहती है.

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क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी क्यों होती है, इसकी सटीक वजह अभी तक मालूम नहीं चली है. लेकिन कुछ खास कंडीशन्स में ऐसा हो सकता है. जैसे PCOS. PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम. PCOS की वजह से पीरियड्स टाइम पर नहीं होते. कई बार तो महीनों तक नहीं होते. इसलिए महिलाएं अक्सर इसे PCOS का ही लक्षण मान लेती हैं. प्रेग्नेंसी का शक नहीं होता.

इसके अलावा, अगर किसी महिला ने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है. तब डिलीवरी के बाद पीरियड्स शुरू होने में कई महीने लग सकते हैं. ये भी आम धारणा है कि जब तक मां बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवा रही है, वो दोबारा प्रेग्नेंट नहीं हो सकती. इसलिए कई कपल्स इस दौरान सेफ़ सेक्स नहीं करते.

जो लोग गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करते हैं. उन्हें लगता है कि इससे वो प्रेग्नेंसी से पूरी तरह बचे रहेंगे. लेकिन इन्हें सही से इस्तेमाल करने के बावजूद प्रेग्नेंट होने का थोड़ा रिस्क रहता ही है.

कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिनका बेबी बंप नहीं निकलता. यानी पेट नहीं निकलता. या जो प्रेग्नेंसी में भी वेट गेन नहीं करते. उन्हें ये भ्रम हो सकता है कि वो प्रेग्नेंट नहीं हैं.  

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प्रेग्नेंसी में कभी-कभी हल्का खून आने लगता है, कुछ महिलाएं इसे पीरियड्स का खून समझ लेती हैं

ये भी हो सकता है कि जो महिला पहली बार प्रेग्नेंट हो रही है, उसे प्रेग्नेंसी के लक्षण ही न पता हों. इसलिए महिला को पता ही नहीं चलता वो मां बनने वाली है.

प्रेग्नेंट होने का सबसे अहम लक्षण है पीरियड्स न आना. लेकिन प्रेग्नेंसी में कभी-कभी हल्का खून आने लगता है या खून के कुछ धब्बे दिख सकते हैं. कुछ महिलाएं इसे पीरियड्स का खून समझ लेती हैं. जबकि ऐसा नहीं होता.

प्रेग्नेंसी के 18 से 20 हफ्तों के बीच, बच्चे की किक या उसके लुढ़कने की हलचल महसूस होने लगती है. तो क्या क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी में ऐसा नहीं होता? डॉक्टर शैली कहती हैं कि अगर प्लेसेंटा, यूटेरस यानी गर्भाशय के आगे वाली दीवार से जुड़ा है. तो बच्चे के मूवमेंट जल्दी या साफ महसूस नहीं होते. इससे महिला को पता ही नहीं चलता कि वो प्रेग्नेंट हैं. प्लेसेंटा प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में बनने वाला एक अस्थाई अंग है. जो गर्भनाल के ज़रिए बच्चे को ऑक्सीजन और दूसरे ज़रूरी पोषक तत्व पहुंचाता है. ये गर्भाशय यानी यूटेरस की दीवार से जुड़ा होता है. आमतौर पर गर्भाशय की ऊपरी या किनारे वाले हिस्से से.

एक सवाल ये भी है कि क्या क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी का पता प्रेग्नेंसी टेस्ट से नहीं चलता? तो जवाब है, चलता तो है. बशर्ते उसे सही तरीके से किया जाए. अगर आप घर पर गलत तरीके से प्रेग्नेंसी टेस्ट कर रहे हैं. तो रिज़ल्ट नेगेटिव आ सकता है. लेकिन अगर आप डॉक्टर के पास जाएं. तो वो अल्ट्रासाउंट, ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट करके प्रेग्नेंसी कंफर्म कर देते हैं. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: दूसरी बार प्रेग्नेंट होने में मुश्किल आ रही? सेकेंड्री इनफर्टिलिटी हो सकती है वजह

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