कम वज़न और कुपोषण. अब तक बच्चों की ये सबसे बड़ी समस्या थी. लेकिन अब पहली बार, पूरी दुनिया में मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या कम वज़न वाले बच्चों से ज़्यादा हो गई है. यानी अब दुनियाभर में मोटापे से जूझ रहे बच्चे ज़्यादा हैं. कुपोषित बच्चे कम.
दुनिया में मोटापे से जूझ रहे बच्चों की संख्या कुपोषित बच्चों से ज़्यादा, क्या करें पेरेंट्स?
UNICEF की रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया में 39 करोड़ से ज़्यादा बच्चे ओवरवेट हैं. इन्हीं में से बच्चों की एक बड़ी आबादी मोटापे से ग्रस्त है.
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ये सामने आया UNICEF की एक रिपोर्ट से. UNICEF यानी United Nations Children's Fund. ये United Nations यानी संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है.
UNICEF की रिपोर्ट बताती है कि हर 10 में से 1 बच्चा ओबीस है. यानी दुनियाभर में साढ़े 18 करोड़ से ज़्यादा बच्चे और किशोर मोटापे से जूझ रहे हैं.
अगर सिर्फ ओवरवेट बच्चों की बात की जाए. तो पूरी दुनिया में उनकी संख्या 39 करोड़ से ज़्यादा है. और, इन्हीं में से बच्चों की एक बड़ी आबादी मोटापे से ग्रस्त है.
रिपोर्ट में 190 से ज़्यादा देशों का डेटा शामिल किया गया. पता चला कि साल 2000 में करीब 13% बच्चे कम वज़न से परेशान थे. जो अब घटकर करीब 9% रह गया है. वहीं, मोटापे से जूझ रहे बच्चों की दर 3% से बढ़कर साढ़े 9% के करीब आ गई है.
कई हाई-इनकम वाले देशों में अभी भी मोटापा एक बड़ी समस्या बना हुआ है. जैसे चिली में 5 से 19 साल के 27% बच्चे ओबेसिटी से ग्रस्त हैं. वहीं अमेरिका और UAE में 21% बच्चे मोटापे से परेशान हैं.
यही हाल भारत का भी है. हमारे देश के बच्चों में भी मोटापा तेज़ी से बढ़ रहा है. पर आखिर इसकी वजहें क्या हैं? बचपन का मोटापा कितना खतरनाक है? और बच्चों में मोटापा रोकने के लिए पैरेंट्स क्या-क्या कर सकते हैं? ये हमने पूछा मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली में लैप्रोस्कोपिक एंड रोबोटिक सर्जरी के सीनियर डायरेक्टर, डॉक्टर आशीष गौतम से.

डॉक्टर आशीष कहते हैं कि बच्चों में मोटापे का एक बड़ा कारण अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड है. UNICEF की रिपोर्ट में भी इसका ज़िक्र है. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में चिप्स, बिस्किट, चिकन नगेट्स, कोल्ड ड्रिंक जैसी पैकेटबंद चीज़ें शामिल हैं. इनमें बहुत ज़्यादा कैलोरी, फैट, नमक और चीनी होती है. ये फूड मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं. इनकी कीमत भी कम होती है. बच्चे इन्हें खूब खाते हैं, जिससे उनका मोटापा बढ़ता है.
बच्चों में मोटापा बढ़ने का दूसरा कारण आलस है. आजकल बच्चे अपना खाली समय टीवी और मोबाइल पर ज़्यादा बिताते हैं. वो बाहर कम खेलने जाते हैं. कई बच्चे तो बिल्कुल बाहर नहीं जाते. इस वजह से भी उनका वज़न बढ़ता है.
बचपन का मोटापा बहुत ज़्यादा खतरनाक है. क्योंकि इससे आगे चलकर कई बीमारियां हो सकती हैं. जैसे टाइप-2 डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में, सोते समय व्यक्ति की सांस रुक जाती है.

अब बात आई, बच्चों में मोटापा बढ़ने से कैसे रोकें?
डॉक्टर आशीष की सलाह है कि बच्चे को मोबाइल या टैबलेट बहुत ज़्यादा चलाने न दें. पैरेंट्स खुद भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का कम इस्तेमाल करें ताकि बच्चों को भी ये आदत न लगे. खाली समय में, बच्चे को बाहर जाकर खेलने को कहें. कभी-कभी खुद उनके साथ खेलने जाएं.
साथ ही, हफ्ते में एक दिन तय करें, जब बच्चा बाहर का खाना खा सकता है. बाकी दिन उसे घर का बना खाना खिलाएं. अगर बच्चे को कोई चीज़ खाने का बहुत ज़्यादा मन करे. तो वो चीज़ घर पर हेल्दी तरीके से बनाकर दें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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