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प्रोस्टेट कैंसर के मामले शहरों में ज़्यादा क्यों सामने आ रहे? डॉक्टर ने 'असल' वजह बताई है

द लांसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ने वाले हैं. 2040 तक हर साल प्रोस्टेट कैंसर के 70 हज़ार नए मामले सामने आएंगे.

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प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला एक कैंसर है (फोटो: Getty Images)

प्रोस्टेट कैंसर. ये पुरुषों में होने वाला एक बहुत ही आम कैंसर है. दरअसल पुरुषों में अखरोट के आकार की एक ग्रंथि यानी ग्लैंड होती है. इसे ही प्रोस्टेट ग्लैंड कहते हैं. इसका काम है सीमन यानी वीर्य बनाना. प्रोस्टेट ग्लैंड पेशाब की थैली के ठीक नीचे होता है. इसमें होने वाले कैंसर को प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है.

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भारत में कैंसर के बढ़ते खतरे को देखते हुए एक स्टडी की गई है. ये स्टडी 20 अगस्त 2025 को जामा नेटवर्क ओपन में छपी है. इसे National Cancer Registry Programme Investigator Group ने किया है. इस स्टडी के मुताबिक, साल 2024 में भारत में प्रोस्टेट कैंसर के 49,998  मामले रिपोर्ट किए गए. वहीं 23,498 लोगों की मौत हुई. 

ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी द लांसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ने वाले हैं. 2040 तक, हर साल प्रोस्टेट कैंसर के 70 हज़ार नए मामले सामने आएंगे.  

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प्रोस्टेट ग्रंथि पेशाब की थैली के ठीक नीचे होती है. इसमें होने वाले कैंसर को प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है. (फोटो: Getty Images)

वहीं, डेक्कन हेराल्ड में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, शहरी पुरुषों में दूसरा सबसे आम कैंसर प्रोस्टेट कैंसर ही है. HCG Cancer Hospital के डॉक्टर Raghunath S K का कहना है, ‘शहरों में रहने वाले पुरुषों को गांव में रहने वाले पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा प्रोस्टेट कैंसर होता है.’ 

जामा नेटवर्क ओपन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोस्टेट कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले श्रीनगर, दिल्ली और गौतमबुद्ध नगर में रिपोर्ट किए गए. 

क्या वाकई शहर में रहने वाले लोगों को कैंसर का रिस्क ज़्यादा है? डॉक्टर से समझेंगे. पता करेंगे कि शहर में रहने वाले पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर ज़्यादा क्यों हो रहा है. प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण क्या हैं और इससे बचा कैसे जा सकता है. 

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क्या शहरों में कैंसर ज़्यादा होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर वहीद ज़मान ने. 

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डॉ. वहीद ज़मान, डायरेक्टर, यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट, मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली

हां, शहरी लोगों को गांववालों से ज़्यादा कैंसर होता है. इसके पीछे वजह है शहरी लाइफस्टाइल. शहरों में हवा साफ़ नहीं है, प्रदूषण है. एक्सरसाइज़ की कमी है. मोटापा ज़्यादा है. जंक फूड ज़्यादा खाया जाता है. लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां ज़्यादा होती हैं. प्रदूषण एक बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर है. इसके कारण कैंसर ज़्यादा होता है. शहरों में कैंसर का टेस्ट ज़्यादा आसानी से हो जाता है, इसलिए ये पकड़ में आ जाता है. इन वजहों से शहरों में कैंसर के ज़्यादा मामले सामने आते हैं.

शहर में रहने वाले पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर ज़्यादा क्यों हो रहा है?

शहरों में प्रोस्टेट कैंसर ज़्यादा होने के कई कारण हैं. अव्वल तो शहरों में प्रोस्टेट कैंसर के टेस्ट आसानी से हो जाते हैं, इसलिए ये पकड़ में आ जाता है. प्रोस्टेट कैंसर के लिए सीरम पीएसए टेस्ट किया जाता है. ये शहरों में आसानी से हो जाता है, लेकिन गांवों में नहीं. 

इसके अलावा शहरों में प्रदूषण ज़्यादा है, जिस वजह से कैंसर ज़्यादा होता है. शहरों में लाइफस्टाइल काफ़ी सुस्त होता है, जिसकी वजह से मोटापा बढ़ता है. 

फास्ट फूड ज़्यादा खाया जाता है, हाई फैट डाइट ली जाती है. ये भी प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क बढ़ाते हैं. शहरों में लोगों को प्रोस्टेट कैंसर के बारे में ज़्यादा जानकारी है. इसलिए जांच की दर ज़्यादा है. शहरों में फिजिकल एक्टिविटी कम होती है.

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प्रोस्टेट कैंसर होने पर मरीज़ को कमर में तेज़ दर्द होता है (फोटो: Freepik)

लक्षण

कई बार प्रोस्टेट कैंसर के कोई भी शुरुआती लक्षण महसूस नहीं होते. मरीज़ को कमर में दर्द होता है, जांच की जाती है. तब पता चलता है प्रोस्टेट कैंसर है. आमतौर पर वही लक्षण महसूस होते हैं, जो प्रोस्टेट का साइज़ बढ़ने पर होते हैं. जैसे बार-बार पेशाब आना. रात को बार-बार पेशाब के लिए जाना. पेशाब का फ्लो सही न होना. पेशाब लग रहा होता है, पर होता नहीं. पेशाब में खून आना. कमज़ोरी और कमर दर्द. ये लक्षण प्रोस्टेट कैंसर और प्रोस्टेट का साइज़ बढ़ने, दोनों में महसूस होते हैं. इसलिए जांच होना बेहद ज़रूरी है. प्रोस्टेट कैंसर के लिए सीरम पीएसए टेस्ट किया जाता है. अगर लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.

बचाव

प्रोस्टेट कैंसर से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है प्रदूषण से बचना. हेल्दी खाना खाएं. साग, सब्ज़ी, फल खाएं. हाई फैट डाइट कम करें. रेड मीट का सेवन कम करें. पानी ज़्यादा पिएं. अगर उम्र 50 साल से ज़्यादा है तो रेगुलर स्क्रीनिंग ज़रूरी है. सीरम पीएसए टेस्ट करवाएं. अगर प्रोस्टेट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है, तो 40 के बाद हर दो साल में एक बार सीरम पीएसए टेस्ट करवाना चाहिए. इससे प्रोस्टेट कैंसर जल्दी पकड़ में आ जाएगा. 

कैंसर के इलाज से बेहतर है बचाव. एक्सरसाइज़ करें. हेल्दी खाना खाएं. स्मोकिंग न करें. शराब का लिमिटेड सेवन करें. हेल्दी लाइफ जिएं, जिससे कैंसर का रिस्क कम होगा.

प्रोस्टेट कैंसर का इलाज मुमकिन है. ये कैंसर की स्टेज और पेशेंट की सेहत पर निर्भर करता है. इलाज में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, कीमोथेरेपी, और टार्गेटेड थेरेपी जैसी चीज़ें शामिल हैं. हर पेशेंट का इलाज उसकी मेडिकल कंडीशन देखकर किया जाता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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