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कोरोना के JN.1 वेरिएंट की वजह से बढ़ रहे मरीज, जानें कितना खतरनाक है

JN.1 कोई नया वेरिएंट नहीं है. अगस्त 2023 में JN.1 वेरिएंट से जुड़ा पहला मामला सामने आया था. JN.1 वेरिएंट, ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही एक म्यूटेटेड सब-वेरिएंट है.

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देश में बढ़ने लगे हैं कोविड-19 के मामले (फोटो: Freepik)

क्या कोरोनावायरस लौट आया है? कोविड की ख़बरों की बाढ़ देखकर, ये सवाल सबके मन में है. कई एशियाई देशों में फिर से कोविड-19 के मामले बढ़ने लगे हैं. मामले भारत में भी बढ़ रहे हैं. एशिया का क्या हाल है, ये हम आपको इस खबर में बता चुके हैं. आज पता करेंगे भारत का हाल. Ministry Of Health And Family Welfare के मुताबिक, 19 मई तक देश में कोरोना वायरस के 257 एक्टिव मामले थे.

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अलग-अलग राज्यों की बात करें, तो महाराष्ट्र में 12 से 20 मई के बीच कोविड-19 के 12 मामले सामने आए थे. इन्हें मिलाकर, इस साल आए कोविड-19 के मामलों की संख्या 1,332 हो गई है. मुंबई में, सिर्फ मई के महीने में कोविड-19 के 95 मामले रिपोर्ट किए गए हैं. इनमें से 16 मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है. मुंबई में पिछले हफ्ते दो मरीज़ों की मौत भी हो गई है. हालांकि दोनों ही मरीज़ों को कोविड-19 के साथ-साथ दूसरी बीमारियां भी थीं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वालों में एक 14 साल का बच्चा था. नेफ्रोटिक सिंड्रोम की वजह से उसकी किडनी फेल हो गई थी. दूसरे मौत 54 साल के व्यक्ति की हुई. उन्हें कैंसर था. 

वहीं कर्नाटक में कोविड-19 के 16 एक्टिव मामले हैं. तमिलनाडु और केरल में भी मामलों की संख्या बढ़ी है. गुजरात के अहमदाबाद में एक दिन में 7 नए मामले सामने आए हैं. पिछले एक साल से यहां हर महीने औसतन एक केस आ रहा था. राहत की बात ये है, कि ये सातों मरीज़ अभी अपने घर पर ही ठीक हो रहे हैं. इन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत नहीं पड़ी है.

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एशिया के तमाम देशों में जो मामले बढ़ रहे हैं, वो कोरोनावायरस के JN.1 वेरिएंट की वजह से बढ़ रहे हैं. ये कोई नया वेरिएंट नहीं है. अगस्त 2023 में JN.1 वेरिएंट से जुड़ा पहला मामला सामने आया था. JN.1 वेरिएंट, ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही एक म्यूटेटेड सब-वेरिएंट है. म्यूटेशन यानी जब किसी वायरस के जीन में कोई बदलाव आए. उसकी उसकी बनावट बदल जाए.

आज इसी JN.1 वेरिएंट पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि कोविड-19 के मामले फिर से क्यों बढ़ रहे हैं. फिर समझेंगे कि ये JN.1 वेरिएंट क्या है. ये कोरोनावायरस के पुराने वेरिएंट्स से कैसे अलग है. क्या ये ख़तरनाक है? JN.1 वेरिएंट के लक्षण क्या हैं और इससे बचा कैसे जाए.

कोविड-19 के मामले फिर से क्यों बढ़ रहे हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर नेहा रस्तोगी पांडा ने. 

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डॉ. नेहा रस्तोगी पांडा, सीनियर कंसल्टेंट, संक्रामक रोग विभाग, फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ने के दो कारण हैं. पहला कारण गर्मियों का मौसम है. ऐसा देखा गया है कि गर्मियों में वायरस का इंफेक्शन तेज़ी से बढ़ता है. दूसरा कारण वायरस में बदलाव है. समय के साथ वायरस भी अपने रूप-रंग को बदलता है. नया वेरिएंट JN.1, ओमिक्रॉन का ही म्यूटेट होकर बना एक सबटाइप है. इस वेरिएंट के जीन्स में कुछ बदलावों के कारण ये पुराने कोविड वेरिएंट्स की तुलना में 30% तेज़ी से फैल सकता है.

JN.1 वेरिएंट क्या है?  

JN.1 वेरिएंट, कोविड-19 के BA.2.86 वेरिएंट (जिसे पेरोला वेरिएंट कहा गया था) का ही एक और म्यूटेटेड वेरिएंट है, जो पिछले साल सामने आया था. जब भी कोई वायरस अपना रूप-रंग बदलता है, तो उसकी कोशिश होती है कि वो और अधिक टिकाऊ बने. वो शरीर के अंदर ज़्यादा दिनों तक रुका रहे और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से फैल सके. JN.1 वेरिएंट भी ऐसा ही तेज़ी से फैलने वाला एक कोविड वेरिएंट माना जा रहा है. ये एक समय में 5 से ज़्यादा लोगों को संक्रमित कर सकता है.

JN.1 वेरिएंट कोरोनावायरस के पुराने वेरिएंट से अलग कैसे?  

JN.1 वेरिएंट में कोरोनावायरस के पुराने वेरिएंट्स की तुलना में 30 अलग तरह के म्यूटेशन पाए गए हैं. इन म्यूटेशन्स की वजह से ये और ज़्यादा शक्तिशाली और तेज़ी से फैलने वाला बन गया है. इसकी शरीर की इम्यूनिटी से बचने की ताकत, पहले से ज़्यादा हो गई है. इस वजह से ये वायरस शरीर में लंबे समय तक ठहर सकता है. ये सामान्य सर्दी-जुकाम के लक्षणों के साथ-साथ, गंभीर निमोनिया भी कर सकता है. ये वेरिएंट बहुत तेज़ी से संक्रमित कर सकता है.

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अगर कोविड-19 से जुड़े लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत मास्क लगाएं और डॉक्टर से मिलें (फोटो: Freepik)

JN.1 वेरिएंट के लक्षण

- खांसी आना

- ज़ुकाम होना

- फ्लू होना

- छींके आना

- सूखी खांसी आना

- खांसी में बलगम आना

- कंपकपी के साथ बुखार आना

- सांस लेते समय सीने में दर्द होना

- सांस लेने में परेशानी होना

ये वही लक्षण हैं जो सामान्य फ्लू और पहले के कोविड वेरिएंट्स में भी देखे गए हैं. इसमें आमतौर पर PCR टेस्ट किए जाते हैं. ये टेस्ट पुराने वेरिएंट्स और नए JN.1 वेरिएंट को पकड़ सकता है. हालांकि, जीनोमिक सर्विलांस यानी जेनेटिक टेस्टिंग के ज़रिए इन नए वेरिएंट्स की गहराई से स्टडी की जा सकती है

JN.1 वेरिएंट से बचाव

इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका कोविड-19 की वैक्सीन है. कई लोगों ने कोविड बूस्टर डोज़ नहीं लगवाया. लेकिन, वायरस हमेशा अपने आप को बदलता रहता है. इसलिए, बहुत ज़रूरी है कि हम अपनी ढलती इम्यूनिटी को फिर से मजबूत करें. इसके लिए कोविड बूस्टर डोज़ ज़रूर लगवाएं. साथ ही, पब्लिक प्लेस पर मास्क पहनें. सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें और बार-बार हाथ धोते रहें. फिजिकल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) का ध्यान रखें. युवाओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है, उन्हें पब्लिक प्लेस पर मास्क पहनना चाहिए. साथ ही साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना चाहिए.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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