The Lallantop

बारिश के मौसम में चेहरे पर इतने दाने क्यों निकलते हैं? बचने का तरीका डॉक्टर ने बता दिया

इस मौसम में उमस की वजह से पसीना भी खूब आता है. ऐसे में अगर मुंह अच्छे से न धोया जाए, तो स्किन पर मौजूद बैक्टीरिया, तेल और गंदगी के साथ मिलकर पोर्स बंद कर देते हैं. फिर मुंहासे और एक्ने की कहानी शुरू होती है.

Advertisement
post-main-image
बारिश के मौसम में निकलने वाले एक्ने 'मॉनसून एक्ने' कहलाते हैं (फोटो: Freepik)

बाहर झमाझम बारिश. अंदर आप चाय-पकौड़ों का मज़ा ले रहे हैं. कितना बढ़िया लग रहा है सुनने में. लेकिन बारिश का मौसम कितना भी रोमांटिक क्यों न हो, आपकी स्किन का दोस्त नहीं है. इस मौसम में स्किन एकदम चिपचिपी हो जाती है. दाने निकलने लगते हैं. इसे मॉनसून एक्ने कहते हैं. इसे कैसे ठीक किया जाए, ये हमने पूछा द कॉस्मो-स्क्वायर क्लीनिक में क्लीनिकल कॉस्मेटोलॉजिस्ट एंड ट्राइकोलॉजिस्ट डॉ. तृष्णा गुप्ते से.

Advertisement
dr trishna gupte
डॉ. तृष्णा गुप्ते, क्लीनिकल कॉस्मेटोलॉजिस्ट एंड ट्राइकोलॉजिस्ट, द कॉस्मो-स्क्वायर क्लीनिक

डॉक्टर तृष्णा बताती हैं कि बारिश के मौसम में हवा में नमी बढ़ जाती है. इससे सेबेशियस ग्लैंड यानी स्किन में तेल बनाने वाली ग्रंथियां ज़्यादा तेल बनाती हैं. ये तेल स्किन की सतह पर मौजूद छोटे-छोटे छेदों, यानी पोर्स में जमा हो जाता है. इससे वहां बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और मुंहासे निकल आते हैं.

इस मौसम में उमस की वजह से पसीना भी खूब आता है. ऐसे में अगर मुंह अच्छे से न धोया जाए, तो स्किन पर मौजूद बैक्टीरिया, तेल और गंदगी के साथ मिलकर पोर्स बंद कर देते हैं. इससे मुंहासे हो सकते हैं.

Advertisement

मानसून एक्ने की एक वजह और है, तली-भुनी चीज़ें खाना. बारिश में लोग खूब तली-भुनी, मसालेदार चीज़ें खाते हैं. ये मसालेदार खाना तीखा होता है और शरीर में गर्मी पैदा करता है. इससे स्किन में मौजूद तेल बनाने वाली ग्रंथियां ज़्यादा तेल बनाती हैं और एक्ने की दिक्कत होती है. कभी-कभार मसालेदार खाना खाने से ऐसा नहीं होता. लेकिन जब ये रोज़ की आदत बन जाए, तो एक्ने होने का चांस भी बढ़ जाता है.

facewash
एक्ने से बचना है तो दिन में दो बार मुंह ज़रूर धोएं

एक्ने से बचने के लिए चटपटा खाना थोड़ा कम करें. हेल्दी खाएं. दिन में दो बार फेसवॉश से मुंह धोएं. सुबह और रात में सोने से पहले. कहीं बाहर से आए हैं, तो चेहरा पानी से ज़रूर धोएं. इससे गंदगी और तेल से पोर्स बंद नहीं होंगे. इस मौसम में मॉइश्चराइज़र लगाना छोड़ना नहीं चाहिए. आप ऑयल-बेस्ड मॉइश्चराइज़र के बजाय वॉटर-बेस्ड मॉइश्चराइज़र लगा सकते हैं. इससे स्किन चिपचिपी नहीं होगी. मॉइश्चराइज़र वॉटर-बेस्ड है या नहीं, ये उस पर लिखा होता है. अपने मुंहासों को नोचें नहीं. वरना स्किन पर गहरे निशान पड़ सकते हैं.

एक्ने के लिए आप विटामिन A की क्रीम लगा सकते हैं. जैसे एडापलीन या रेटिनॉल. सैलिसिलिक एसिड और मैंडेलिक एसिड भी एक्ने पर बहुत असरदार हैं. लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के दानों पर कुछ भी नहीं लगाना चाहिए. ये नुकसानदेह हो सकता है. इसके अलावा, एक्ने से निपटने के लिए केमिकल पील, लेज़र या कॉमेडोन एक्सट्रैक्शन किया जाता है.

Advertisement

केमिकल पील में स्किन पर कुछ ख़ास केमिकल लगाकर डेड स्किन हटाई जाती है. इससे एक्ने कम होता है. लेज़र थेरेपी में लेज़र की मदद से एक्ने का इलाज होता है. वहीं, कॉमेडोन एक्सट्रैक्शन में एक खास टूल से स्किन के पोर्स को साफ़ किया जाता है. इसके अलावा डॉक्टर आपको लगाने वाली क्रीम और दवाएं दे सकते हैं. अगर आपको एक्ने की समस्या है, जो बारिश के मौसम में और ज़्यादा बढ़ गई है तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: क्यों हो जाती है खून में कैल्शियम की कमी?

Advertisement