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सिर्फ ब्रेड या रोटी नहीं, किडनी में भी लगती है फंगस! जानें आपको बचना कैसे है

जब खून में लगातार शुगर का लेवल बढ़ा रहता है. बार-बार एंटीबायोटिक्स ली जाती हैं. यूरिन से जुड़ी कोई दिक्कत होती है. तब किडनी में फंगस लग सकता है.

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किडनी में फंगस लगने से रोका जा सकता है (फोटो: Freepik)

आपने ब्रेड, रोटी, कपड़ों और दीवारों पर फंगस लगते तो कई बार देखा होगा. पर क्या आपको पता है कि फंगस आपकी किडनियों पर भी लग सकता है. जब किडनी में फंगस लग जाए, तो इसे किडनी फंगल इंफेक्शन कहते हैं. ये क्यों होता है, चलिए समझते हैं. 

किडनी फंगस क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर गोपाल रामदास तक ने. 

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डॉ. गोपाल रामदास तक, कंसल्टेंट, यूरोलॉजिस्ट, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी, हैदराबाद

किडनी फंगस को फंगल पायलोनेफ्राइटिस (Fungal Pyelonephritis) के नाम से भी जाना जाता है. ये किडनी में होने वाला एक फंगल इंफेक्शन है. ये इंफेक्शन आमतौर पर कैंडिडा नाम के फंगस की प्रजाति के कारण होता है. किडनी फंगल इंफेक्शन स्वस्थ लोगों में बहुत ही कम होता है. हालांकि जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर होती है, उनमें ये गंभीर दिक्कतें पैदा कर सकता है. ये इंफेक्शन ज़्यादातर डायबिटीज़, एड्स या कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को प्रभावित करता है. कोविड-19 के बाद किडनी फंगल इंफेक्शन के मामलों में उछाल देखा गया है. दरअसल, कोविड-19 जैसी वायरल बीमारियां शरीर की इम्यूनिटी को कमज़ोर कर देती हैं.

किडनी फंगस के कारण

- हाई ब्लड शुगर लेवल इस फंगल इंफेक्शन को बढ़ा देता है.

- कमज़ोर इम्यूनिटी वालों की इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, जैसे डायबिटीज़ के मरीज़.

- बार-बार एंटीबायोटिक लेने से शरीर में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है और किडनी फंगस हो सकता है.

- यूरिन से जुड़ी कोई गड़बड़ी, जैसे पेशाब की थैली का पूरी तरह खाली न होना भी इंफेक्शन का ख़तरा बढ़ा देता है.

किडनी फंगस के लक्षण

- बुखार आना.

- ठंड लगना.

- पीठ के निचले हिस्से या बगल में दर्द होना.

- पेशाब करते हुए दर्द होना.

- पेशाब में खून आना.

- थकान महसूस होना.

- उल्टी या मतली होना.

- ये सभी किडनी फंगस के लक्षण होते हैं.

- गंभीर मामलों में, पीठ की ऊपरी स्किन कठोर और रंगहीन हो सकती है.

- ये लक्षण अक्सर म्यूकर नामक फंगस की वजह से देखा जाता है.

- इस इंफेक्शन से सेप्सिस भी हो सकता है, जिससे ICU में भर्ती कराने की ज़रूरत पड़ सकती है.

- कुछ मामलों में जान को भी खतरा हो सकता है.

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किडनी फंगस इंफेक्शन का इलाज मुख्य रूप से एंटी-फंगल दवाइयों से किया जाता है

किडनी फंगस से बचाव और इलाज

किडनी फंगस इंफेक्शन की समय पर पहचान बहुत ज़रूरी है. इसका इलाज मुख्य रूप से एंटी-फंगल दवाइयों से किया जाता है. सही समय पर इलाज मिलने से ये पूरी तरह ठीक हो सकता है और कोई गंभीर असर नहीं होता. इससे बचने के लिए हाई ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें. शरीर से फंगस को बाहर निकालने के लिए खूब पानी पिएं. अनावश्यक एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से बचें. शरीर की अच्छे से साफ-सफाई रखें. इसकी रोकथाम बहुत ज़रूरी है, खासकर हाई-रिस्क मरीज़ों में. डॉक्टर की सलाह मानें. डायबिटीज़, कैंसर और एड्स के मरीज़ अपनी दवाएं समय पर लें. 

अगर इंफेक्शन से जुड़ा लक्षण दिखे तो तुरंत इलाज कराएं. इसके इलाज में एंटी-फंगल दवाएं दी जाती हैं. जैसे फ्लुकोनाज़ोल और एम्फोटेरिसिन बी. ये टैबलेट के रूप में दी जाती हैं. गंभीर मामलों में यही दवाएं इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं. अगर इंफेक्शन कैथेटर के ज़रिए हुआ है, तो उसे हटाना ज़रूरी है. कैथेटर एक ट्यूब है जो ब्लैडर से यूरिन को बाहर निकालने में मदद करता है. गंभीर मामलों में सर्जरी करके पस या इंफेक्शन को बाहर निकालना पड़ सकता है. किडनी फे़लियर और सेप्सिस से बचने के लिए समय पर जांच और इलाज बहुत ज़रूरी है.

देखिए किडनी फंगल इंफेक्शन, वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन जितना आम तो नहीं है. लेकिन, जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है. उन्हें इसका ज़्यादा खतरा है. इसलिए, अगर किडनी फंगल इंफेक्शन के लक्षण दिखाई दें, उन्हें बिना देर किए डॉक्टर से मिलना चाहिए.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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