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UPS पेंशन स्कीम नहीं आ रही पसंद, अभी तक 2 परसेंट कर्मचारियों ने भी इसे नहीं चुना

पुरानी पेंशन योजना (OPS) को 2004 के बाद से नए कर्मचारियों के लिए बंद कर दिया गया था. सरकार ने बढ़ते बोझ का हवाला देकर इसे बंद कर दिया और इसकी जगह नई पेंशन योजना (NPS) लाई गई. अब सरकार UPS लेकर आई है, जो पुरानी और नई योजना का मिला-जुला रूप है.

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बहुत कम लोगों ने UPS में दिलचस्पी दिखाई है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)
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अशोक उपाध्याय

केंद्र सरकार के बहुत कम कर्मचारियों ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का विकल्प चुना है. अधिकतर कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) पर ही टिके हुए हैं. UPS में एनरोल करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2025 है.

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सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिले जवाब से, इंडिया टुडे ग्रुप को पता चला है कि 20 जुलाई 2025 तक केवल 30,989 कर्मचारियों ने UPS का विकल्प चुना है. जबकि NPS में नामांकित कर्मचारियों की संख्या लगभग 23 लाख है. इस हिसाब से केवल 1.35 प्रतिशत कर्मचारियों ने UPS में अपनी दिलचस्पी दिखाई है. ये जानकारी RTI के जरिए पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) से मिली है.

इसके अलावा, 28 जुलाई को लोकसभा में एक लिखित जवाब में वित्त मंत्रालय ने भी कुछ ऐसी ही जानकारी दी. उनके मुताबिक, 20 जुलाई तक कुल 31,555 कर्मचारियों ने UPS का विकल्प चुना. 

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NPS पर इतना भरोसा क्यों?

पॉलिसी मेकर्स UPS को बड़ी उम्मीदों से देख रहे थे. सरकार भी बार-बार इसके फायदे गिना रही थी. इसके बावजूद ज्यादातर कर्मचारी या तो NPS के लचीलेपन और टैक्स फायदों से संतुष्ट हैं, या फिर नई UPS स्कीम को लेकर संदेह में हैं. शुरुआत में UPS चुनने की आखिरी तारीख 30 जून 2025 थी. लेकिन कम भागीदारी को देखते हुए सरकार ने इसे तीन महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 कर दिया. जो कर्मचारी इस तारीख तक UPS को नहीं चुनेंगे, वो NPS में ही रह जाएंगे और उन्हें दोबारा विकल्प चुनने का मौका नहीं मिलेगा.

मामले पर सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज एंड वर्कर्स के महासचिव एस बी यादव ने इंडिया टुडे ग्रुप से कहा,

कर्मचारियों की पसंद अभी भी पुरानी पेंशन योजना (OPS) ही है. वो एक ऐसी योजना चाहते हैं जो नॉन-कॉन्ट्रिब्यूटरी (जहाँ कर्मचारी को पैसा न देना पड़े), निश्चित और कानूनी रूप से गारंटीड हो.

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OPS, NPS और UPS में अंतर क्या है?

पुरानी पेंशन योजना (OPS) को 2004 के बाद से नए कर्मचारियों के लिए बंद कर दिया गया था. सरकार इसमें एक तय पेंशन देती थी, आखिरी सैलरी का 50 प्रतिशत. इसमें कर्मचारियों को कोई योगदान नहीं देना पड़ता था, पूरी रकम सरकार देती थी. लेकिन सरकार ने बढ़ते बोझ का हवाला देकर इसे बंद कर दिया और इसकी जगह नई पेंशन योजना (NPS) लाई गई. इसमें कर्मचारी अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत जमा करते हैं और सरकार 14 प्रतिशत जोड़ती है. ये योजना शेयर बाजार से जुड़ी होती है, यानी पेंशन की रकम तय नहीं होती.

अब सरकार एक नई योजना लाई है, UPS. ये पुरानी और नई योजनाओं का मिला-जुला रूप है. इसमें कर्मचारी को योगदान देना होगा, लेकिन सरकार पेंशन की गारंटी देगी. NPS शेयर बाजार पर आधारित योजना है जबकि UPS के साथ ऐसा नहीं है.

इसके अनुसार, आखिरी 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी की 50 प्रतिशत पेंशन दी जाएगी. अगर किसी ने कम से कम 10 साल नौकरी की है तो उसकी पेंशन कम से कम 10,000 रुपये महीने तय होगी. साथ ही, महंगाई के हिसाब से पेंशन बढ़ाई जाएगी. इन सुविधाओं के बावजूद UPS योजना लोगों को अभी तक खास पसंद नहीं आई है.

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