The Lallantop

दवाओं को बेअसर होने से रोकेगी 'जेनिख', भारत में बने एडवांस्ड एंटीबायोटिक के बारे में जानें

ज़ेनिख को खासतौर पर ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया से निपटने के लिए बनाया गया है. ये बैक्टीरिया बहुत ख़तरनाक माने जाते हैं. ये शरीर में कई तरह के इंफेक्शन और बीमारियों की वजह बनते हैं. जैसे निमोनिया, पेशाब से जुड़े इंफेक्शन और मेनिन्जाइटिस वगैरा.

Advertisement
post-main-image
ज़ेनिख को भारत की फार्मास्युटिक कंपनी वॉकहार्ट ने तैयार किया है (फोटो: Freepik)

आप बीमार पड़े. दवा लेना शुरू की. लेकिन तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ. डॉक्टर को दोबारा दिखाया. आपकी दवा बदली गई क्योंकि वो दवा आप पर असर नहीं की. यहां तो हल्का-फुल्का बुखार था. ठीक हो गया.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

कई मरीज़ सीरियस कंडीशन में अस्पताल में भर्ती होते हैं. इलाज चलता है. दवा दी जाती है पर असर नहीं करती. नतीजा? मरीज़ की जान चली जाती है.

पता है ऐसा क्यों होता है? ऐसा होने के पीछे वजह है एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस. अब ये एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस क्या है? इसका सिंपल सा जवाब है. ज़्यादा एंटीबायोटिक खाने से बैक्टीरिया इन दवाओं के खिलाफ अपनी खुद की इम्यूनिटी पैदा कर लेते हैं. इसलिए ये दवाएं शरीर पर असर नहीं करतीं और इंफेक्शन ठीक नहीं होता. कभी-कभी ये जानलेवा साबित हो सकता है.

Advertisement

मगर मुमकिन है, अब ऐसा न हो. एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस की वजह से हो रही मौतों को रोका जा सकता है.

भारत की एक फार्मास्युटिकल कंपनी है- वॉकहार्ट. इसने एक एंटीबायोटिक दवा बनाई है. नाम है ज़ेनिख. इसे खासतौर पर ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया से निपटने के लिए तैयार किया गया है. ये बैक्टीरिया बहुत ख़तरनाक माने जाते हैं. ये शरीर में कई तरह के इंफेक्शन और बीमारियों की वजह बनते हैं. जैसे निमोनिया, पेशाब से जुड़े इंफेक्शन और मेनिन्जाइटिस वगैरा.

ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया, मरीज़ में एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस भी पैदा कर सकते हैं.

Advertisement

एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस की वजह से दुनियाभर में लाखों लोगों की जान जाती है. दि लैंसेट जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, हर साल करीब 50 लाख लोग एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस की वजह से मारे जाते हैं. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में सीनियर रिसर्च स्कॉलर और एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस पर लैंसेट की सीरीज़ के को-ऑथर हैं प्रोफेसर रामानन लक्ष्मीनारायण. उनके मुताबिक, साल 2019 में भारत में 10 लाख 43 हज़ार से ज़्यादा मौतें एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस की वजह से ही हुई थीं.

ज़ेनिख मरीज़ों में एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस का रिस्क घटा सकती है. कैसे? ये हमने समझा वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के इंटर्नल मेडिसिन डिपार्टमेंट में कंसल्टेंट, डॉक्टर हनी सावला से. 

dr honey savla
डॉ. हनी सावला, कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स, मुंबई सेंट्रल

डॉक्टर हनी बताती हैं कि जेनिख एक कॉम्बिनेशन ड्रग है. इसे सेफेपाइम और ज़िडेबैक्टम को मिलाकर तैयार किया गया है. इस वजह से ये एंटीबायोटिक-रेज़िस्टेंस मैकेनिज़्म्स पर दोहरा वार करती है. ज़ेनिख में मौजूद सेफेपाइम एक एंटीबायोटिक है. ये बैक्टीरिया के सेल वॉल यानी बाहरी परत पर हमला करता है. इससे वॉल फट जाती है और बैक्टीरिया मर जाता है. लेकिन कुछ बैक्टीरिया बड़े जिद्दी होते हैं. वो खुद को बचाने के लिए बीटा-लैक्टमेज़ नाम का एंजाइम बनाते हैं. ये एंजाइम सेफेपाइम जैसी दवाओं को तोड़ देता है. जिससे दवा बेअसर हो जाती है.

यहीं पर सेफेपाइम का बेस्टी बनकर आता है ज़िडेबैक्टम. ये थोड़ा स्पेशल टाइप का एंटीबायोटिक है. ये बीटा-लैक्टमेज़ इनहिबिटर या इनहेंसर की तरह काम करता है.

कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ज़ेनिख से इलाज करने पर मौजूदा एंटीबायोटिक्स की अपेक्षा में लगभग 20% ज़्यादा मरीज ठीक होते हैं. वहीं इसके क्लीनिकल ट्रायल्स से भी कई चीज़ें पता चली हैं. वॉकहार्ट के मुताबिक, गंभीर रूप से बीमार जिन 30 मरीज़ों को ज़ेनिख एंटीबायोटिक दी गई. जिन्हें जानलेवा, ड्रग-रेज़िस्टेंट इंफेक्शंस थे. वो सारे मरीज़ पूरी तरह ठीक हो गए. ये वो मरीज़ थे, जिन पर दूसरे एंटीबायोटिक्स काम नहीं कर रहे थे.

जनवरी 2025 में ज़ेनिख के जो क्लीनिकल ट्रायल्स हुए. उनमें से रोपेनम-रेज़िस्टेंट ग्राम निगेटिव पैथोजन्स की वजह से हुए गंभीर इंफेक्शंस के इलाज में ये 97% तक असरदार रही.

वहीं खून से जुड़े इंफेक्शन, हॉस्पिटल में हुए निमोनिया और कॉम्प्लिकेटेड यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शंस यानी पेशाब से जुड़े जटिल इंफेक्शंस पर इसका प्रभाव 98% तक रहा. यानी तमाम तरह के इंफेक्शंस पर ये काफी असरदार है.

फिलहाल ज़ेनिख को CDSCO यानी Central Drugs Standard Control Organisation से अप्रूवल नहीं मिला है. ये भारत में दवाओं को जांचने और मंज़ूरी देने वाली संस्था है. मगर उम्मीद है कि जल्द ही इसे अप्रूवल मिल जाएगा और ये जून 2026 तक लॉन्च हो सकती है.

करीब 30 सालों बाद हमारे देश में एक बहुत ही असरदार एंटीबायोटिक तैयार हुई है. कम से कम इसके क्लीनिकल ट्रायल्स से तो यही लग रहा है. इसलिए आम लोगों के साथ-साथ डॉक्टर्स को भी इससे काफी उम्मीदें हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: शरीर में क्यों बनता है ट्यूमर? कैसे पता करें ये कैंसर वाला है या नहीं?

Advertisement