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42 की उम्र में कटरीना प्रेग्नेंट, क्यों अब बड़ी उम्र में मां बनना मुश्किल नहीं?

23 सितंबर को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में कटरीना ने अपनी प्रेग्नेंसी अनाउंस की. तब से इंटरनेट पर तरह-तरह की बातें हो रही हैं. लोग कटरीना की उम्र और प्रेग्नेंसी को लेकर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं.

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आम राय ये है कि लेट प्रेग्नेंसी मां और बच्चे, दोनों की सेहत के लिए नुकसानदेह होती है

कटरीना कैफ प्रेग्नेंट हैं. सिनेमा की दुनिया में पिछले कई दिनों से ये ख़बर छाई हुई है. 23 सितंबर को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में कटरीना ने अपनी प्रेग्नेंसी अनाउंस की थी.

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कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि कटरीना अपनी प्रेग्नेंसी के थर्ड ट्राइमेस्टर में हैं. लेकिन बात सिर्फ इतनी ही होती, तो हम सेहत में इसका ज़िक्र क्यों करते. 

असल में, जब से कटरीना ने अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में बताया है. तब से इंटरनेट पर तरह-तरह की बातें हो रही हैं. लोग कटरीना की उम्र और प्रेग्नेंसी को लेकर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं. हम ट्रोल्स की बात नहीं कर रहे. उन पर ध्यान देने की ज़रूरत है भी नहीं. दरअसल आम राय ये है कि लेट प्रेग्नेंसी मां और बच्चे, दोनों की सेहत के लिए नुकसानदेह होती है. इसमें कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं.

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इस बारे में हमने बात की सेंटर फॉर इनफर्टिलिटी एंड असिस्टेड रिप्रोडक्शन, गुरुग्राम में गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, डॉक्टर पुनीत राणा अरोड़ा से. जाना क्या आज के समय में भी उम्र मायने रखती है, जब बात प्रेग्नेंसी की हो तो? या ये बस पुरानी बातें हैं?

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डॉ. पुनीत राणा अरोड़ा, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, सीआईएफएआर, गुरुग्राम

डॉक्टर पुनीत कहती हैं कि 35 या 40 की उम्र के बाद, प्रेग्नेंसी प्लान करने में कुछ चिंताएं होती ही हैं. जैसे महिलाओं के एग्स यानी अंडों की क्वॉलिटी कम होना. कंसीव करने में दिक्कतें आना. मिसकैरेज. बच्चे को जीन्स से जुड़ी दिक्कतें होने का रिस्क बढ़ जाना. उम्र बढ़ने पर शरीर में कुछ हॉर्मोन्स कम हो जाते हैं. इससे ओवुलेशन में दिक्कत आती है. ओवुलेशन यानी वो समय, जब महिलाओं की ओवरी से अंडा रिलीज़ होता है. साथ ही, ब्लड प्रेशर और प्रेग्नेंसी में डायबिटीज़ होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है.

हालांकि अगर महिला की लाइफस्टाइल हेल्दी है. वो बैलेंस्ड डाइट लेती है. रोज़ एक्सरसाइज़, योगा करती है. ध्यान करती है. फिट है. स्ट्रेस कम लेती है, तो 40 के बाद भी सेफ प्रेग्नेंसी बिलकुल मुमकिन है. अगर टाइम टू टाइम डॉक्टर से जांच कराई जाए. उनके कहने पर फोलिक एसिड और ज़रूरी सप्लीमेंट्स लिए जाएं, तो प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशंस का रिस्क न के बराबर हो जाता है. आजकल मेडिकल मॉनिटरिंग बेहतर हो गई है, जिससे हाई रिस्क के बावजूद सेफ डिलीवरी की जा सकती है.

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अक्सर लोगों को लगता है कि अगर एक खास उम्र निकल गई, तो एग्स की क्वॉलिटी कम हो जाएगी. इससे महिला का प्रेग्नेंट होना नामुमकिन हो जाएगा. मगर ऐसा नहीं है. महिलाओं के पास एग फ्रीज़िंग जैसा अच्छा ऑप्शन है. एग फ्रीज़िंग में महिला के एग्स को बाहर निकालकर फ्रीज़ कर दिया जाता है. इससे आगे चलकर हेल्दी एग्स से प्रेग्नेंसी मुमकिन हो सकती है. ये उन महिलाओं के लिए बहुत काम का है. जो अभी प्रेग्नेंट नहीं होना चाहतीं.

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अगर महिला की लाइफस्टाइल हेल्दी है, तो 40 के बाद भी सेफ प्रेग्नेंसी बिलकुल मुमकिन है (फोटो: Freepik)

अगर एग फ्रीज़ न कराने हों, तो महिला को हर कुछ समय पर अपने ओवेरियन रिज़र्व की जांच ज़रूर करानी चाहिए. ओवेरियन रिज़र्व एक टर्म है. जो बताता है कि महिला के एग्स की क्वॉलिटी और संख्या कितनी है.

एग्स की क्वॉलिटी अच्छी रखने में आपकी डाइट बहुत मदद करती है. एक ऐसी डाइट जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन-सी, डी और ई ज़्यादा हों. साथ ही, सिगरेट और शराब से दूरी ज़रूरी है.

फिर भी अगर किसी तरह की मुश्किल आए, तो IVF और ICSI जैसी एडवांस टेक्नीक मौजूद हैं. IVF में महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में मिलाया जाता है. फिर इससे बनने वाले भ्रूण यानी एम्ब्रयो को महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है. वहीं ICSI यानी इंट्रासाइटोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन, IVF का एडवांस रूप है. इसमें एक स्पर्म को सीधे अंडे में इंजेक्ट किया जाता है.

एक बार जब प्रेग्नेंसी हो जाए, तो PGT यानी Pre-implantation Genetic Testing की जाती है. इस टेस्ट से लैब में बने भ्रूण की जेनेटिक टेस्टिंग की जाती है ताकि पता चल सके कि भ्रूम में कोई जेनेटिक डिसऑर्डर या कोई दूसरी दिक्कत तो नहीं है. इसके साथ ही, रेगुलर अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट से मां और बच्चे की हेल्थ लगातार मॉनिटर की जाती है. ज़रूरत पड़ने पर समय रहते इलाज शुरू किया जाता है. प्रेग्नेंसी की हर स्टेज में डॉक्टर की गाइडेंस लेना ज़रूरी है, ताकि ख़तरों को काफी हद तक टाला जा सके और प्रेग्नेंसी और डिलीवरी दोनों सेफ रहें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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