दिल्ली के रहने वाले प्रताप 45 साल के हैं. 30 जुलाई को रात दो बजे उनके सीने में तेज़ दर्द उठा. ऐसा लगा, जैसे कोई सुइयां चुभो रहा है. प्रताप घबरा गए. वैसे भी आजकल आए दिन हार्ट अटैक की ख़बरें आ रही हैं. वो अस्पताल भागे. वहां उनका ECG हुआ. कुछ टेस्ट हुए. पता चला कि उन्हें गैस हुई थी, हार्ट अटैक नहीं. प्रताप ने राहत की सांस ली.
रात को सीने में तेज दर्द, कैसे पता करें हार्ट अटैक है या सिर्फ गैस?
हार्ट अटैक और गैस, एसिडिटी के दर्द के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं. ऐसे में लोग अक्सर दोनों में फ़र्क नहीं कर पाते.
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जो प्रताप के साथ हुआ, वो काफ़ी आम दिक्कत है. गैस, एसिडिटी के चलते भी सीने में तेज़ दर्द उठता है. घबराहट होती है. लोग इसे अक्सर हार्ट अटैक समझ बैठते हैं, क्योंकि ऐसे ही लक्षण हार्ट अटैक में भी महसूस होते हैं. पर अगर सही जानकारी हो, तो इनके बीच का फ़र्क समझा जा सकता है.
डॉक्टर से जानिए कि हार्ट अटैक और गैस होने पर क्या लक्षण महसूस होते हैं. गैस और हार्ट अटैक में फ़र्क कैसे करें. गैस बनने पर क्या करना चाहिए. कौन-सी दवा लेनी चाहिए और गैस न बने, इसके लिए क्या करें.
हार्ट अटैक पड़ने पर क्या लक्षण महसूस होते हैं?
ये हमें बताया डॉक्टर गजिंदर कुमार गोयल ने.

हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण सीने में दर्द है. लोग सोचते हैं कि दिल बाईं तरफ है तो दर्द भी बाईं तरफ ही होगा. लेकिन हार्ट अटैक का दर्द सीने के बीच या दाईं तरफ भी हो सकता है. दाईं बांह और बाईं बांह में भी दर्द हो सकता है. ये दर्द बढ़कर गर्दन, जबड़े और पेट के ऊपरी हिस्से तक भी जा सकता है. अगर दर्द अचानक से शुरू हुआ है और साथ में मरीज़ को पसीना आ रहा है. घबराहट हो रही है, सांस फूल रही है या धड़कन तेज़ हो रही है. तो ये सारे लक्षण हार्ट अटैक की तरफ इशारा करते हैं.
हार्ट अटैक में मरीज़ों में तीन तरह का दर्द देखा जाता है. कुछ मरीज़ों को ऐसा लगता है जैसे किसी ने सीने पर वज़न रख दिया हो. ये वज़न 50 किलो जितना महसूस हो सकता है. कुछ मरीज़ बताते हैं कि उन्हें सीने पर हाथी के पैर जितना भार महसूस होता है. कुछ मरीज़ों को लगता है कि उनके सीने को किसी ने रस्सी से बांध दिया है. वहीं कुछ मरीज़ों को सीने में जलन और एसिडिटी जैसा महसूस होता है. जब मरीज़ों को एसिडिटी या गैस जैसा लगता है, तो वो भ्रम में पड़ जाते हैं. उन्हें समझ नहीं आता कि ये गैस का दर्द है या फिर हार्ट अटैक का.
गैस और हार्ट अटैक में फ़र्क कैसे करें?
गैस का दर्द सीने के बीच में महसूस हो सकता है. पर ये बढ़कर बांह तक नहीं पहुंचता. हार्ट अटैक का दर्द दोनों बांहों, गले और जबड़े तक जा सकता है. लेकिन गैस का दर्द आमतौर पर एक ही जगह रहता है, ये फैलता नहीं है. गैस बनने पर पसीना भी कम आता है. जबकि हार्ट अटैक में ठंडा पसीना आ सकता है. साथ ही, धड़कन तेज़ होना, घबराहट और थकावट भी हार्ट अटैक की ओर ज़्यादा इशारा करते हैं. गैस बनने पर मरीज़ पेट फूलने (ब्लोटिंग) की ज़्यादा शिकायत करते हैं. गैस से सीने में जलन होती है, जिसे गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिज़ीज़ (GERD) कहते हैं. इसमें पेट का एसिड खाने की नली में आ जाता है, जिससे सीने में जलन महसूस होती है.

अगर गैस का दर्द है, तो ऐसे लोगों में लंबे समय से एसिडिटी की शिकायत होती है. अगर अचानक या कभी-कभार सीने में जलन हो, तो ये एसिडिटी न होकर दिल की बीमारी या हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है. अगर किसी को ऐसे लक्षण दिख रहे हैं, तो उन्हें एक बार डॉक्टर से ज़रूर मिल लेना चाहिए. लक्षण समझ न पाने की वजह से हार्ट अटैक के कई मरीज़ों की घर पर ही मौत हो जाती है. अगर ये मरीज़ समय पर अस्पताल पहुंच जाएं और इलाज हो जाए, तो इनमें से कई मरीज़ों को बचाया जा सकता है.
गैस बनने पर क्या करना चाहिए?
कुछ घरेलू उपायों से एसिडिटी और गैस के दर्द से आराम मिल सकता है. जैसे डाइजीन सिरप ले सकते हैं, पानी पी सकते हैं या ईनो का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा कुछ दवाएं भी आती हैं. जैसे प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पैंटोप्राज़ोल और रैबेप्राज़ोल वगैरह). इसके अलावा, अगर दर्द हार्ट अटैक से जुड़ा हुआ लगे. तो अस्पताल पहुंचने से पहले आप कुछ चीज़ें कर सकते हैं. जैसे डिस्प्रिन की एक गोली चबाकर मुंह में रख लें. अगर आपके पास सोरबिट्रेट की गोली है, तो उसे जीभ के नीचे रखें. कई बार मरीज़ को घर पर ही हार्ट अटैक आता है और स्थिति कार्डियक अरेस्ट तक पहुंच जाती है. ऐसे में अगर दर्द के साथ मरीज़ बेहोश हो जाए, तो CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देने से उसके बचने का चांस बढ़ जाता है.
गैस से बचाव
गैस की दिक्कत बहुत आम है. भारत की करीब 25% आबादी गैस और एसिडिटी से परेशान रहती है. कुछ सावधानियां रखकर इससे बचा जा सकता है. मसालेदार खाना, ज़्यादा चाय-कॉफी, शराब-सिगरेट पीने और एक्सरसाइज़ न करने से एसिडिटी की दिक्कत ज़्यादा होती है. पानी कम पीना भी गैस बढ़ने की एक बड़ी वजह है. अगर हम ज़्यादा रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट (जैसे ज़्यादा मीठी चीज़ें) खाते हैं, तो ये बहुत जल्दी पेट और आंत में एब्ज़ॉर्ब हो जाते हैं. ये शरीर में ज़्यादा गैस बनाते हैं.
इसके अलावा कुछ खाने की चीज़ें भी गैस ज़्यादा बनाती हैं, जिन्हें पहचानकर अवॉइड करना चाहिए. अगर ये सावधानियां बरतें और समय पर खाना खाएं, तो गैस की परेशानी कम हो सकती है. कई बार हम खाना मिस कर देते हैं, जिससे दो मील्स के बीच ज़्यादा गैप हो जाता है. इसलिए एक बार में बहुत ज़्यादा खाने के बजाय छोटे मील्स लें. ये सावधानियां बरतने से गैस और एसिडिटी की दिक्कत होने का चांस काफी हद तक कम हो जाता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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