दिल्ली, बंबई, कलकत्ता और कर्नाटक के हाई कोर्ट समेत देश के 6 राज्यों में जजों की वैकेंसी थी. व्यवस्था ये है कि चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जजों का कॉलेजियम कुछ लोगों के नामों की सिफारिश करे. इस सिफारिश के आधार पर ही राष्ट्रपति हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति करते हैं. इसी क्रम में बॉम्बे हाई कोर्ट के लिए तीन नामों की लिस्ट सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के पास पहुंची. इस लिस्ट में आरती साठे, अजीत भगवानराव कडेथांकर और सुशील मनोहर घोडेश्वर का नाम था. चीफ जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने तीनों नामों की सिफारिश हाई कोर्ट के जज के लिए कर दी, लेकिन एक नाम को लेकर बवाल मच गया है. वह नाम है आरती साठे का.
कौन हैं आरती साठे जिनके हाई कोर्ट जज बनने की सिफारिश पर बवाल मच गया?
बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के पद के लिए आरती साठे के नाम की सिफारिश की गई है. इस पर विपक्ष ने कहा कि वह भाजपा की प्रवक्ता रही हैं. ऐसे में जज बनने की 'योग्यता नहीं रखतीं'.
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हाई कोर्ट के जज के लिए आरती साठे के नाम की सिफारिश पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल उबल पड़े हैं. उनका कहना है कि आरती साठे का संबंध बीजेपी से है. कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आरती साठे तो भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक प्रवक्ता हैं. उन्हें अब बॉम्बे हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है. यह कहते हुए श्रीनेत ने ‘ज्यूडिशियल इंटेग्रिटी को श्रद्धांजलि’ भी दे दी. शरद पवार गुट की एनसीपी के विधायक रोहित पवार ने भी इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर खतरा बताया है.
इस बीच सवाल है कि आरती साठे हैं कौन? करती क्या हैं और भाजपा से इनका नाम क्यों जोड़ा जा रहा है?
आरती साठे बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील हैं और टैक्स मामलों की एक्सपर्ट मानी जाती हैं. सामान्य मराठी परिवार में जन्मीं आरती साठे का न्यायिक करियर 20 साल का है. कानून और राजनीति उन्हें अपने परिवार से विरासत में मिले हैं. वो खासतौर पर डायरेक्ट टैक्स, इनकम टैक्स जैसे मामलों में माहिर बताई जाती हैं. साठे ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI), सिक्योरिटी अपीलेट ट्राइब्यूनल (SAT), कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स ट्राइब्यूनल (CESTAT) और बॉम्बे हाईकोर्ट में फैमिली केस भी लड़े हैं.
अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने इकोनॉमिक लॉ प्रैक्टिस (ELP) नाम की कंपनी में काम किया और सीनियर वकील परसी पारडीवाला के साथ भी रहीं.
हाई कोर्ट के जज की योग्यतायहां तक तो सब ठीक है. हाई कोर्ट का जज बनने के लिए जो-जो योग्यता चाहिए वे सब आरती साठे के पास हैं. भारतीय संविधान के आर्टिकल 217 के अनुसार, किसी को भी अगर हाई कोर्ट का जज बनना है तो सबसे पहले…
- उसे भारत का नागरिक होना चाहिए.
- दूसरा, उसके पास किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से कानून की डिग्री होनी चाहिए.
- फिर, उसे भारत राज्य क्षेत्र में कम से कम 10 साल तक किसी न्यायिक पद पर रहना चाहिए.
- या हाई कोर्ट में कम से कम 10 साल तक वकील के तौर पर सेवाएं दी होनी चाहिए.
यहां तक तो उनकी योग्यता पर विपक्ष भी सहमत है.
आरती साठे बॉम्बे हाई कोर्ट में 20 साल से ज्यादा का अनुभव रखती हैं. सेबी और SAT में भी केस लड़े हैं. लेकिन फिर भी एक खास वजह से वह विपक्ष की नजर में जज बनने के 'योग्य' नहीं हैं. क्योंकि वह एक राजनीतिक पार्टी से जुड़ी रही हैं, जो महाराष्ट्र और देश में सत्ता में है. ऐसे में उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर खतरे की आशंका जताई जा रही है.
आरती साठे का राजनीतिक कनेक्शन क्या है?दरअसल, आरती साठे का परिवार भाजपा और आरएसएस से जुड़ा रहा है. उनके पिता अरुण साठे वरिष्ठ वकील के साथ-साथ भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता भी हैं. भाजपा के शुरुआती सदस्यों में से एक अरुण साठे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर भी रहे हैं. उनकी बहन सुमित्रा महाजन भाजपा से सांसद और लोकसभा की स्पीकर रह चुकी हैं.
परिवार के राजनीतिक बैकग्राउंड ने उन्हें भी पॉलिटिक्स में आने को प्रेरित किया और वह वकालत करते हुए वह भाजपा में भी एक्टिव हो गईं. उन्हें मुंबई बीजेपी की लीगल सेल का प्रमुख भी बनाया गया. साल 2023 में आरती ने एक बड़ी छलांग लगाई जब महाराष्ट्र भाजपा ने उन्हें अपना आधिकारिक प्रवक्ता बना दिया.
इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक, प्रवक्ता बनने के बाद भी वह आम कार्यकर्ताओं की तरह नियमित तौर पर दफ्तर नहीं आती थीं. उनकी प्रवक्ता के तौर पर नियुक्ति बस प्रतीकात्मक थी. हालांकि, जनवरी 2024 में उन्होंने न सिर्फ इस पद से बल्कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया.
भाजपा ने कहा, 'हमसे लेना-देना नहीं'इसके डेढ़ साल बाद अब वह बॉम्बे हाई कोर्ट में जज बनने जा रही हैं तो सवाल उठेंगे ही. हालांकि, एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आरती साठे और उनके परिवार को करीब से जानने वाले एक वरिष्ठ वकील कहते हैं, “जो लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, उन्हें उनके प्रोफेशनल काम को देखकर ही फैसला करना चाहिए. साठे ने मेहनत से अपनी पहचान बनाई है.”
उन्होंने आगे कहा, “वैसे भी शुरुआत में वो अभी प्रोबेशन पर रहेंगी. उनके फैसले सबकी नजर में होंगे. लेकिन विपक्ष बीजेपी पर हमला करने के लिए एक पेशेवर वकील को क्यों निशाना बना रहा है?”
भाजपा ने भी इस पर सफाई देते हुए कहा कि आरती साठे की नियुक्ति पूरी तरह से योग्यता के आधार पर हुई है. कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है. साठे का पार्टी से भी अब कोई लेना-देना नहीं है. पार्टी ने ये तर्क भी दिया कि पहले भी कई राजनेता जज बने हैं. इनमें बहारुल इस्लाम, केएस हेगड़े, आफताब आलम और एफआई रेबेलो जैसे कई नाम शामिल हैं.
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