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जिसे गोद लेकर पाला, उस बेटे ने FD के लालच में मां की हत्या कर बाथरूम में गाड़ दिया, कोर्ट ने फांसी की सजा दी

हत्या को छिपाने के लिए आरोपी ने थाने में अपनी मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. ताकि किसी को शक न हो.

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आरोपी दीपक ने पिता की मौत के बाद मिले FD के 18 लाख रुपये शेयर मार्केट में इन्वेस्ट किये थे. जिसमें उसे घाटा उठाना पड़ा था. (फोटो- आजतक)

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में संपत्ति के लालच में एक बेटे ने अपनी मां की हत्या कर दी थी (Adopted son murdered mother). महिला ने लड़के को गोद लिया हुआ था. श्योपुर जिला न्यायालय ने अब इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. उसने आरोपी बेटे को फांसी की सजा सुनाई है.

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आरोपी बेटे ने अपनी मां की हत्या कर उनके शव को घर के बाथरूम में दफना दिया था. आजतक से जुड़े खेमराज दुबे की रिपोर्ट के मुताबिक इस हत्या को छिपाने के लिए उसने थाने में अपनी मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई, ताकि किसी को उस पर शक न हो. 

मामले को लेकर विशेष लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव ने बताया,

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“6 मई 2024 कोतवाली थाने में रेलवे कॉलोनी निवासी उषा देवी की गुमशुदगी की रिपोर्ट उसके दत्तक पुत्र दीपक पचैरी ने दर्ज कराई थी. जहां उसने पुलिस को बताया कि अस्पताल जाने के बाद मां घर नहीं लौटी. इसके बाद मामले में पुलिस ने छानबीन शुरू की तो मामला संदिग्ध नजर आया.”

मामला सामने आया तो पुलिस ने दोबारा आरोपी दीपक पचैरी से पूछताछ की. वो पूछताछ में बार-बार अपने बयान बदलने लगा. इस पर पुलिस का शक और गहरा गया. जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो आरोपी ने अपनी मां की हत्या कबूल कर ली. उसने पुलिस को बताया कि उसने मां को मारकर बाथरूम में दफना दिया था. इस पर पुलिस ने आरोपी दीपक की निशानदेही पर मृतका का शव बाथरूम से खोदकर निकाला और पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने इसे जज एलडी सोलंकी की कोर्ट के सामने रखा. दोनों पक्षों की दलीलें 23 जुलाई को सुनी गईं. कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया और फांसी की सजा सुनाई. साथ ही 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने धारा 201 के तहत 7 साल की सजा और 1000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया. 

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इस केस में लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव ने मध्यप्रदेश शासन की ओर से पैरवी की. जाधव ने बताया कि आरोपी दीपक ने पिता की मौत के बाद मिले FD के 18 लाख रुपये शेयर मार्केट में इन्वेस्ट किए थे. इसमें उसे घाटा उठाना पड़ा था. जिसके बाद मां के नाम 32 लाख की FD पर उसकी नजर थी.

अनाथालय से गोद लिया था

मृतका उषा देवी के भाई अशोक शर्मा ने पुलिस को बताया कि उषा और भुवनेंद्र पचौरी की कोई संतान नहीं थी. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक भुवनेंद्र वनकर्मी थे. उन्होंने ग्वालियर के एक अनाथालय से 3 साल के दीपक को गोद लिया था. अशोक ने बताया कि मां के खाते में जमा 32 लाख रुपये पाने के लालच में उसने हत्या की योजना बनाई.

घटना के बाद पुलिस पूछताछ में ये भी सामने आया कि दीपक ने इस वारदात के छह महीने पहले भी अपनी मां उषा की हत्या का प्रयास किया था. तब उसने मां को खाने में चूहा मारने की दवा खिलाई थी. उल्टी होने पर उनकी जान बच गई. तभी से वो दीपक पर संदेह करने लगी थीं.

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