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सब कुछ ठीक है फिर भी ख़ुशी नहीं, कहीं शरीर में 'हैप्पी हॉर्मोन्स' की कमी तो नहीं, कैसे पहचानें?

इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके शरीर में ये 'हैप्पी हॉर्मोन्स' सही मात्रा में नहीं बनते.

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आपको ख़ुशी कब महसूस होती है?

एक बात बताइए. आपको खुशी कब महसूस होती है? कोई कहेगा जब बॉस तारीफ़ करता है. कोई कहेगा जब परिवार के साथ अच्छा समय बिताते हैं तब. कोई कहेगा जब सैलरी अकाउंट में आती है. कोई कहेगा जब उस स्पेशल समवन से मिलने जाते हैं.  

वजह कोई भी हो, एक चीज़ कॉमन है. वो ख़ुशी का एहसास. वो 'फील गुड' वाली फीलिंग. लगता है दुनिया अपनी मुट्ठी में है. जोश और एक्ससाइटमेंट महसूस होता है.

लेकिन, क्या आपको पता है, आप असल में ख़ुशी क्यों महसूस करते हैं? क्योंकि आपके शरीर में कुछ हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं. उनका रिसाव होता है. इन्हें कहते हैं 'हैप्पी हॉर्मोन्स'. लेकिन, इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके शरीर में ये 'हैप्पी हॉर्मोन्स' सही मात्रा में नहीं बनते. फिर पता है क्या होता है? सब कुछ ठीक होते हुए भी अच्छा महसूस नहीं होता. मन उदास रहता है. किसी भी चीज़ की ख़ुशी ही नहीं होती.

आज डॉक्टर से जानेंगे कि हैप्पी हॉर्मोन्स क्या हैं. ये कितने तरह के होते हैं. कहां बनते हैं. कुछ लोगों में हैप्पी हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन क्यों घट जाता है. अगर ऐसा हो, तो क्या होता है. और, इन हैप्पी हॉर्मोन्स को बढ़ाया कैसे जाए.

हैप्पी हॉर्मोन्स क्या होते हैं?

ये हमें बताया डॉ. आस्तिक जोशी ने.

Introducing Our New Faculty | Texas Tech University Health Sciences Center
डॉ. आस्तिक जोशी, चाइल्ड, एडोलसेंट एंड फॉरेंसिक साइकेट्रिस्ट, नई दिल्ली

-हैप्पी हॉर्मोन्स की वजह से ही हम ख़ुशी महसूस करते हैं, अच्छा महसूस करते हैं

- हैप्पी हॉर्मोन्स की लिस्ट में कई हॉर्मोन्स शामिल हैं

- जैसे सेरोटोनिन, डोपामीन, एंडॉर्फिन और ऑक्सीटोसिन

- हैप्पी हॉर्मोन्स शरीर के अलग-अलग हिस्सों में बनते हैं

- इनका रिसाव ग्लैंडुलर होता है यानी ये किसी ग्लैंड (ग्रंथि) में बनते हैं और फिर पूरे शरीर पर असर डालते हैं

- हमें जो 'फील गुड' एहसास होता है, वो ज़्यादातर दिमाग पर इनके असर की वजह से महसूस होता है

कुछ लोगों में हैप्पी हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन कम क्यों होता है?

- कुछ लोगों में हैप्पी हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन कम हो सकता है

- इसकी वजह शारीरिक, बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल या मानसिक हो सकती है

- अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से स्ट्रेस (क्रोनिक स्ट्रेस) में है या वो किसी मानसिक या शारीरिक परेशानी से गुज़र रहा है

- तब उसका शरीर हैप्पी हॉर्मोन्स के ज़रूरी लेवल मेंटेन नहीं कर पाता

- अगर ऐसा लंबे वक्त तक चलता रहे, तो धीरे-धीरे हैप्पी हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन और भी कम हो सकता है

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हैप्पी हॉर्मोन्स की लिस्ट में कई हॉर्मोन्स शामिल हैं जैसे सेरोटोनिन, डोपामीन, एंडॉर्फिन और ऑक्सीटोसिन
शरीर में हैप्पी हॉर्मोन्स की कमी से क्या होता है?

- शरीर में हैप्पी हॉर्मोन्स की कमी से कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं

- इनमें सबसे अहम है — क्रोनिक डिप्रेशन, यानी लंबे समय तक उदास और निराश महसूस करना

- मानसिक संतुलन बिगड़ना

-क्योंकि, हैप्पी हॉर्मोन्स मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं

- सही मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए हैप्पी हॉर्मोन्स की सही मात्रा ज़रूरी है

- हैप्पी हॉर्मोन्स की कमी से शरीर में एनर्जी कम हो सकती है

- कई और दिक्कतें भी हो सकती हैं, जैसे ठीक से नींद न आना

- लगातार चिंता में रहना

- चिंता का हल न निकाल पाना

- सोशल लाइफ पर भी असर पड़ता है

- रिलेशनशिप्स में भी दिक्कतें आ सकती हैं

शरीर में हैप्पी हॉर्मोन्स कैसे बढ़ाएं?

- शरीर में हैप्पी हॉर्मोन्स बढ़ाने के लिए अपने शरीर और मेंटल हेल्थ पर ध्यान दें

- इसके लिए शरीर को एक्टिव रखें

- रोज़ एक्सरसाइज़ करें

- ठीक से सोएं

- अपना खानपान सुधारें

- बुरी आदतों में न पड़ें

- गलत संगत से बचें

- अच्छे लोगों के साथ समय बिताएं

- अपने परिवार, दोस्तों से मिलते रहें

- थोड़ा हंसते रहें, मुस्कुराते रहें

- अगर शारीरिक या मानसिक परेशानी हो, तो डॉक्टर से सही इलाज कराएं

- ये सब करने के बाद आपके हैप्पी हॉर्मोन्स बढ़ने की पूरी संभावना है

देखिए, हालातों के साथ-साथ खेल हॉर्मोन्स का भी है. इसलिए अगर बेवजह आप उदास महसूस करते हैं, तो इस चीज़ पर ध्यान दीजिए. डॉक्टर ने जो टिप्स बताई हैं, इन्हें फॉलो करिए. आप चाहें तो प्रोफेशनल मदद भी ले सकते हैं. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
 

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