जमात-ए-उलमाए हिन्द के मौलाना महमूद मदनी का कहना है कि निजामुद्दीन में गलती हुई है लेकिन ये वक्त ठोस कार्रवाई की बजाय, प्यार से काम लेने का है.
दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात हुई. इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. सरकार के मुताबिक, तबलीगी जमात की वजह से करीब
नौ हज़ार लोगों पर कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है. इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोग देश के अन्य राज्यों में गए. ऐसे में कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ गया है. इस पर कई लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है. जमात-ए-उलमाए हिन्द के मौलाना महमूद मदनी ने इंडिया टुडे से बातचीत की. उन्होंने कहा, 'ये काफी कॉम्प्लिकेटेड इशू है. जो हुआ है वो नहीं होना चाहिए था. जिस तरह की बातें मीडिया में आ रही हैं, उसे देखकर लगता है कि ये जुर्म है. लेकिन दोनों तरफ की बातें सुननी चाहिए. हम वहां मौजूद नहीं थे. इसलिए क्लियरकट कहना मुश्किल है कि जानबूझकर हुआ है या अनजाने में हुआ है. किस वजह से, किस तरह हुआ है. लेकिन गलत हुआ है ऐसा होना नहीं चाहिए था कि इतने सारे लोग एक साथ इंफेक्टेड हो जाएं.' एक सवाल के जवाब में मदनी ने कहा,
हमारी सलाह ये है कि ऐसे लोग जो इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे उन्हें खुद से आगे आकर ये कहना चाहिए कि हां हम भी वहां गए थे. आप हमारा चेकअप करना चाहें, हमें क्वारंटीन करना चाहें तो करें. उन्हें कोऑपरेट करना चाहिए. अधिकारियों को भी इसे ह्यूमन एंगल से देखना चाहिए. न कि क्रिमिनल एंगल से. अगर क्रिमिनल एंगल से देखना भी है तो उसे बाद में देखा जाना चाहिए. हो क्या रहा है कि अगर कोई मस्जिद से निकले तो वैसे ही पुलिसवाले उसे मारते पीटते हैं.
इस सवाल के जवाब में कि लोग इस घटना के बाद गुस्सा कर रहे हैं. नफरत कर रहे हैं, मदनी ने कहा कि लोगों का गुस्सा और नाराजगी जायज है, लेकिन परसेप्शन और सच्चाई में फर्क है. मौलाना साद के ऑडियो के बारे में उन्होंने कहा कि ये देखा जाना चाहिए कि किस संदर्भ में कहा गया है. लेकिन ये गलत है.
कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों में कोरोना की जांच करने गए डॉक्टर पर हमले का मामला सामने आया था. इस पर मदनी ने कहा,
हेल्थ वर्कर और उनके साथ काम करने वाले प्रशासन का सम्मान करना चाहिए. नफरत नहीं मोहब्बत करनी चाहिए. इस तरह के कई इंसिडेंट हुए हैं. मैं सबसे अपील करना चाहता हूं कि ऐसा न करें. खुद लोगों को आगे आना चाहिए. ये जुर्म है, गुनाह है, कत्ल के बराबर है, कत्ल ही. अगर आप सोशल डिस्टेन्सिंग नहीं मानते हैं या इसे छिपाते हैं तो. इसे छिपाया नहीं जा सकता. अल्लाह इससे नाराज होंगे. मुसलमान के लिए ये बिल्कुल हराम है कि अपने को और अपने चहेतों को मुश्किल में डाले. हम डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स को सम्मानित करना चाहते हैं. गिफ्ट देना चाहते हैं.
मौलाना साद पर मदनी ने कहा कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने केजरीवाल पर सवाल उठाए. केंद्र सरकार पर सवाल उठाए और पूछा कि क्या सरकार ने जो चाहा वो नहीं किया. ये काम पहले ही किया जा सकता था. लेकिन ट्रेने बंद हैं, हवाई जहाज बंद हैं. लोग निकल नहीं पाए. सरकार चाहती तो पहले ही लोगों को निकाला जा सकता था. सीनियर लेवल पर तरीके से बात करनी चाहिए थी. मदनी ने कहा,
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजित डोभाल चाहते थे कि मैं एक बार उन लोगों से बात करूं. मैंने फोन पर पूछा कि प्रॉब्लम क्या है. बताया गया कि हम तो तैयार हैं. उसके बाद एनएसए ने जो चाहा उन्होंने किया. इसे ये कहना कि बगावत कर रहे हैं, टेररिस्ट लिंक है,मरवा रहे हैं मरवाने के लिए ही लोगों को जमा किया था. देश में आफत लाना चाहते थे. जो काम 20-22 घंटे में हो गया वो पहले भी हो सकता था. इस काम के लिए एनएसए साहब को क्यों आगे आना पड़ा.
यह पूछे जाने पर कि कार्यक्रम क्यों नहीं कैंसल किया. उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी ने नहीं बोला. पाकिस्तान की बात पर उन्होंने कहा कि वहां बहुत बड़ी पब्लिक मीटिंग होने वाली थी, लेकिन यहां छोटी-छोटी गैदरिंग हो रही थी. इसलिए पाकिस्तान में कैंसिल हो गई. मदनी ने कहा कि तबलीगी जमात ने अगर गलती की है तो केस तो कर ही दिया है, फांसी चढ़ाएंगे क्या? जो काम 28 को हुआ है 18 को क्यों नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि लाखों मस्जिदों ने सरकारी आदेश का पालन किया है. मुसलमान इस देश के साथ था है और रहेगा. इस मामले को प्यार से निपटाइए. ये वक्त गुस्से का नहीं है. बाद में गुस्सा निकाल लेंगे. मुसलमानों से अपील है कि इसे हल्के में मत लीजिए. खुदा न करे कि कोई अपना साथ छोड़ दे. सोशल डिस्टेंसिंग नहीं मानने वाले को अल्लाह भी माफ नहीं करेंगे.
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