1993 में एक फिल्म आई थी, 'रंग'. दिव्या भारती की आख़िरी नामलेवा फिल्म. जो उनकी बाल्कनी से गिरकर हुई ट्रेजिक मौत के तकरीबन 3 महीने बाद रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म की मुख्य जोड़ी थी दिव्या भारती और Kamal Sadanah. दोनों ही नाम भीषण ट्रेजेडी की याद दिलाते हैं. दिव्या भारती तो असमय दुनिया छोड़कर खुद ट्रेजेडी बन गईं लेकिन कमल सदाना के जीवन का एक दर्दनाक पहलू बहुत कम लोगों को पता है.
कहानी उस हीरो की, जिसके पिता ने उसकी आंखों के सामने मां और बहन को गोली मारी, फिर आत्महत्या कर ली
'तुझे ना देखूं तो चैन' गाने के हीरो Kamal Sadanah को भी उनके पिता ने गोली मारी थी. कमल बताते हैं कि गोली उनकी गर्दन के आर-पार निकल गई थी.


# जब जन्मदिन ही ज़िंदगी का सबसे मनहूस दिन बन गया
21 अक्टूबर 1990. कमल सदाना का 20वां जन्मदिन. अमूमन सालगिरह का दिन खुशियां लेकर आता है. कमल के लिए आया भी, लेकिन रात होते-होते एक दर्दनाक याद में तब्दील होकर रह गया. कमल के पिता बृज सदाना प्रोड्यूसर-डायरेक्टर रह चुके थे. उनकी बनाई 'विक्टोरिया नंबर 203', 'यकीन' और 'प्रोफ़ेसर प्यारेलाल' जैसी फ़िल्में काफी हिट रही थीं. पैसे भी ठीक-ठाक कमा लिए थे उन्होंने. ऐसा भी नहीं था कि घर में कोई कलह हो. इसलिए ये आजतक रहस्य है कि उस दिन उन्होंने जो किया उसके पीछे क्या वजह थी? क्या उस रात हुए उस छोटे से झगड़े ने वो वारदात ट्रिगर की थी, जो उनका कमल की मां सईदा खान से हुआ था?
जन्मदिन की पार्टी ठीक-ठाक गुज़र गई. सब सही था. फिर अचानक बृज सदाना और सईदा के बीच झड़प होने लगी. छोटी सी झड़प का अंत भयानक था. बृज सदाना ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल निकाल ली और सईदा को गोली मार दी. अपनी बेटी नम्रता पर भी गोली दाग दी. दोनों की तत्काल मौत हो गई. उसके बाद कमल पर भी गोली चलाई. जो उनके गले को छूते हुए गुज़र गई. आज भी उस पल को याद कर के कमल सिहर जाते हैं. खून-खराबा करने के बाद आखिरकार बृज सदाना ने खुद को भी गोली मार ली. एक नामालूम सा झगड़ा तीन जिंदगियां लील गया.

उस घटना को याद करते हुए कमल, महेश भट्ट का एक कोट दोहराते हैं,
हर किसी के अंदर बिजली का एक नंगा तार झूल रहा होता है. कुछ कमनसीब उसको छू बैठते हैं और भयानक झटके से मर जाते हैं.
अपने पिता की उस हौलनाक हरकत को वो इसी नंगे तार को छू जाना मानते हैं. कमल ने हाल ही में
# 'रंग' ही पहचान है कमल सदाना की
उस घटना ने कमल सदाना को तोड़कर रख दिया. वो गहरे अवसाद में चले गए. लेकिन जल्द ही रिकवर भी कर गए. दो साल बाद ही वो बतौर एक्टर अपनी पहली फिल्म की रिलीज़ के प्रीमियर में बैठे थे. फिल्म का नाम था 'बेखुदी' और उनकी हीरोइन थी काजोल.

फिल्म कुछ ख़ास चली नहीं. बिल्कुल कमल के करियर की तरह. उनका फ़िल्मी करियर कोई ख़ास नामलेवा नहीं रहा. बल्कि ये कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अगर 'रंग' के गाने न होते तो कमल सदाना हिंदी सिनेमा के दर्शकों को याद भी न रहते. 'रंग' के मधुर संगीत की वजह से कमल सदाना को पहचानने वाले आज भी मौजूद हैं.
मसलन यही गाना ले लीजिए. कौन होगा जिसने नहीं सुना होगा इसे?
कुछ फ्लॉप फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने टीवी की तरफ रुख किया. ज़ी टीवी के पॉपुलर शो 'कसम से' में काम किया. फिर कुछेक फिल्में भी बनाईं. अपने पिता की फिल्म 'विक्टोरिया नंबर 203' का रीमेक भी बनाया. साल 2014 में उनकी फिल्म ‘रोर’ आई थी, जो कि सुंदरबन के टाइगर्स पर थी. ‘रोर’ के बाद वो लंबे समय तक फिल्मों से दूर हो गए. वापसी हुई साल 2022 में. रेवती ने ‘सलाम वेंकी’ नाम की फिल्म बनाई. लीड रोल में काजोल और विशाल जेठवा थे. आमिर खान ने कैमियो किया. इस फिल्म के ज़रिए काजोल और कमल ने फिर एक बार स्क्रीन शेयर की. फिल्म के सेट एक वीडियो भी बहुत वायरल हुआ था, जहां काजोल पहले दिन कमल से मिलीं. काजोल ने इस बारे में कहा था,
पहले पांच से दस मिनट तक तो मैं कुछ बोल ही नहीं पाई. मैं बस चिल्लाती रही. वो बहुत अच्छा अनुभव था. हम बीच-बीच में मिलते रहे हैं और एक-दूसरे के काम वगैरह के बारे में जानते हैं. लेकिन उनके साथ फिर काम करना बढ़िया था.
कमल ने काजोल से सरप्राइज़ मीट पर कहा था,
काजोल के साथ फिर से शूटिंग कर के मुझे ‘बेखुदी’ वाले दिन याद आ गए. वो लगातार बोलती रहती हैं और मुझे अपनी कुर्सी खिसकानी पड़ गई (हंसते हुए).
'सलाम वेंकी' के बाद वो 'पिप्पा' में भी नज़र आए थे. फिल्म में कमल ने इंडिया के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का रोल किया था.
इस स्टोरी को हमारे साथी मुबारक ने लिखा था. इसे ओरिजनली 21 अक्टूबर 2017 को पब्लिश किया गया था.
वीडियो: अमीषा पटेल और सनी देओल की 'गदर' में जब गोविंदा और काजोल काम करने वाले थे