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अमेरिका से तनाव को ऐसे डील कर रहा भारत, ट्रंप के चिढ़ने की असल वजह भी पता चली

Indo-US Relation: अमेरिकी अधिकारी किसी मुद्दे पर सहमत होते हैं. लेकिन फिर राजनीतिक मंजूरी न मिलने की वजह से पलट जाते हैं. उन्होंने कई बार इसके लिए माफी भी मांगी. बावजूद इसके डील काफी करीब पहुंचने के बावजूद फाइनल नहीं हो पा रही.

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काफी करीब पहुंचने के बावजूद नहीं हो पा रही ट्रेड डील. (फाइल फोटो- पीटीआई)

India और USA के बीच Trade Deal कई प्रयासों के बावजूद अभी तक फाइनल नहीं हो पाई है. इसी बीच Donald Trump ने दबाव बनाने की नीति के तहत भारत पर कुल Tariff बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक कर दिया है. अब इस मामले में एक अखबार के हवाले से कई अहम बिंदु सामने आए हैं. दावा किया गया है कि भारत सरकार इस पूरे मसले पर तटस्थ रुख अपनाए रखना चाहती है. सरकार ने आवेश में आकर कोई सख्त कदम उठाने के मूड में नहीं है बल्कि शांत रहकर इंतजार करके पूरे मामले को अंतिम रूप देने पर ध्यान दे रही है.

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अमेरिका पर भारत की नीति

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप से डील करने वाले देशों को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. पहले वे देश जो ट्रंप के दबाव में आ गए, जैसे बांग्लादेश और पाकिस्तान. दूसरे वे देश जो खुलकर चुनौती दे रहे हैं, जैसे चीन और कनाडा. ये देश खुलकर बोलते हैं और जवाबी कार्रवाई तक करते हैं. लेकिन भारत इन दोनों ही कैटेगरी में शामिल नहीं है. भारत ने मध्य मार्ग अपनाया है यानी बिना कुछ कहे, बिना झुके, चुपचाप मजबूती से खड़ा रहना और मामले पर नजर रखना. 

अधिकारी ने इस स्थिति को “चुपचाप समर्पण न करने” का नाम देते हुए कहा कि भारत ने अपना रास्ता ढूंढ लिया है. यह है विरोध का मध्यमार्ग. सरकार सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं कर रही बल्कि नपा-तुला जवाब दे रही है. यह सब बिना चीजों का ढिंढोरा पीटे हो रहा है. 

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रूस पर भारत की दो टूक

वहीं रूस से तेल खरीदने और BRICS से जुड़ने पर भी भारत का रुख साफ है. सरकार के एक सूत्र ने अखबार को बताया कि भारत किस देश से व्यापार करेगा, किस ग्रुप से जुड़ेगा, यह उसका संप्रभु फैसला है. रूस भारत का पुराना और गहरा दोस्त है. उससे डिफेंस का साजो-सामान या तेल खरीदना या BRICS जैसे वैश्विक समूह का सदस्य होने जैसे मुद्दों का अमेरिका के साथ व्यापार से कोई लेना-देना नहीं है. इन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.

बार-बार रुख बदल रहे ट्रंप के अधिकारी

एक अधिकारी के मुताबिक, सरकार अमेरिका के साथ टैरिफ और ट्रेड डील पर बातचीत करने को तैयार हैं. लेकिन ट्रंप लगातार अपना रुख बदल रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी थी. 1 अगस्त से पहले अंतरिम डील पूरी होने की उम्मीद थी. लेकिन कुछ गैर-व्यापारिक और कूटनीतिक मसलों की वजह से बातचीत अटक गई. 

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बताया गया कि अमेरिकी अधिकारी किसी मुद्दे पर सहमत होते हैं. लेकिन फिर राजनीतिक मंजूरी न मिलने की वजह से पलट जाते हैं. उन्होंने कई बार इसके लिए माफी भी मांगी. बावजूद इसके डील काफी करीब पहुंचने के बावजूद फाइनल नहीं हो पा रही. अब सवाल यह है कि ट्रंप अचानक इतने दबाव क्यों बना रहे हैं, जबकि भारत-अमेरिका संबंध पिछले 20 सालों में लगातार मजबूत हुए हैं.

ट्रंप की चिढ़ और पाकिस्तान एंगल

इसे लेकर अधिकारियों का मानना है कि शायद ट्रंप इस बात से चिढ़े हुए हैं कि भारत अड़ा हुआ है. झुकने को तैयार नहीं है. जबकि कई और देश पहले ही उनकी शर्तें मान चुके हैं. इसके साथ ही ट्रंप के चिढ़े होने में पाकिस्तान एंगल भी है. सूत्र ने अखबार को बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने बार-बार कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया. युद्ध रुकवाया. लेकिन भारत सरकार ने कभी भी इस दावे को सही नहीं माना. आधिकारिक तौर पर इसका खंडन किया.

आयात पर ज्यादा फोकस

इसके अलावा, भारत का स्पष्ट कहना है कि कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों में बहुत ज्यादा छूट नहीं दी जा सकती क्योंकि इनसे करोड़ों गरीब किसानों की आजीविका जुड़ी है. अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ निर्यात को नुकसान पहुंचाएंगे. लेकिन फिलहाल भारत के लिए आयात ज्यादा जरूरी हैं. इसे लेकर अधिकारी ने बताया कि निर्यात आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे और सरकार सोच-समझकर इस स्थिति से निकलेगी. 

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