Remdesivir इंजेक्शन को लेकर गाइडलाइन में साफ निर्देश दिए गए हैं.
रेमडेसिविर की देश में कमी हो गई है. कई राज्यों से इस तरह की खबरें आ रही हैं. केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर का प्रोडक्शन दोगुना करने की इजाजत दे दी है. वहीं सरकार के हस्तक्षेप के बाद देश के तमाम रेमडेसिविर मैन्युफैक्चरर्स ने इस इंजेक्शन की कीमत कम करने का फैसला किया है. प्रति 100 मिलीग्राम के डोज के रेमडेसिविर के इंजेक्शन की कीमत पहले से बहुत कम हो गई है.
ये है नई लिस्ट

देश में रेमडेसिविर की किल्लत दूर करने के लिए सरकार ने इसके प्रोडक्शन की क्षमता दोगुना करने की इजाजत दे दी है. अभी तक 38.8 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन हर महीने बनते थे, अब इसे 78 लाख तक बढ़ाने के लिए कहा जा चुका है. वहीं महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने रेमडेसिविर की सप्लाई को लेकर केंद्र पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि केंद्र के डर से रेमडेसिविर बनाने वाली कंपनियां महाराष्ट्र में इसकी सप्लाई नहीं कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कंपनियों को धमकी दी जा रही है कि अगर वे महाराष्ट्र को यह इंजेक्शन देंगे तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. यह दुखद और चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा कि सरकार कोई पॉलिसी नहीं बना पा रही. महाराष्ट्र सरकार खरीदना चाहती है लेकिन बेचने वालों को रोका जा रहा है. अगर सरकार ने इसी तरह का रवैया अपनाया तो हमें लगता है कि यह महाराष्ट्र और देश के हित में नहीं है. इस स्थिति में महाराष्ट्र सरकार के पास इन 16 निर्यातकों से रेमडेसिवीर के स्टॉक को जब्त करने और जरूरतमंदों को आपूर्ति करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. किल्लत के बीच इसके कालाबजारी की भी खबरें आ रही हैं. मध्य प्रदेश के इंदौर और उत्तर प्रदेश के कानपुर में ऐसी कालाबाजारी के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की है. इंदौर में कालाबाजारी करने वाले तीन लोग गिरफ्तार किए गए हैं. ये लोग 20,000 रुपए प्रति डोज में रेमडेसिविर बेच रहे थे. वहीं कानपुर में भी रेमडेसिविर के 265 डोज जब्त किए गए हैं. तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इंदौर क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार किया है जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की अपनी कंपनी में बिना लाइसेंस के रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रहा था. आरोपी डॉ. विनय त्रिपाठी के पास से 16 बॉक्स में 400 नकली वॉयल भी मिले हैं.