
कट्टरपंथी लायक.
#कैसी है फ़िल्म? कुरुति एक फास्ट पेस्ड सस्पेंस थ्रिलर है. जो सोशल और पॉलिटिकल मुद्दों पर बात करती हुई चलती है. फ़िल्म स्टार्ट स्लो लेती है. लेकिन कुछ ही देर बाद फ़िल्म में बैक टू बैक ट्विस्ट आने लगते हैं. और फ़िल्म आपको एक मिनट के लिए भी नहीं छोड़ती. कुरुति का कैमरा वर्क कमाल और अभिनंदन रामानुजम की सिनेमैटोग्राफी उम्दा है. जिसमें जेक्स बिजॉय का बैकग्राउंड स्कोर और जान फूंकता है. देश में फ़ैल रही धार्मिक कट्टरता कैसे दिन प्रति दिन ज़हर बनकर लोगों के मन में घुलती जा रही है, ये इस फ़िल्म में बखूबी दिखाया गया है.
यहां तारीफ़ बनती है फ़िल्म के राइटर अनीश पल्लयल की, जिनकी क्रिस्प राइटिंग के चलते फ़िल्म कहीं भी राह से नहीं भटकती.डायरेक्टर मनु वरियर का भी निर्देशन कमाल है. अनीश के लिखे एक-एक सीन के साथ मनु ने जस्टिस किया है.
फ़िल्म में जो कमी नज़र आती है वो ये है कि कहीं-कहीं मामला ओवर ड्रामेटिक हो जाता है. अनेकों चोटें लगने के बाद भी एक्टर स्लो-मो में आराम से गिरता-पड़ता है. तेज़ाब से ऑलमोस्ट थर्ड डिग्री बर्न झेलने वाला बंदा कुछ देर बाद आराम से घूमता हुआ नज़र आता है. ये कुछ चीज़ें हैं, जो खलती हैं. जिसका अगर ध्यान रखा जाता तो फ़िल्म और मज़ेदार होती.

रोशन इब्राहिम उर्फ़ इब्रू के रोल में.
#एक्टिंग इब्राहिम उर्फ इबरु का रोल निभाया है रोशन मैथ्यू ने. रोशन का काम अच्छा है. अनेक द्वंदों से गुज़र रहे इब्राहिम के किरदार को रोशन ने बाखूबी पकड़ा है. कट्टरपंथी लेकिन बहुत ही कंपोज्ड लायक के रोल को पृथ्वीराज सुकुमारन ने बारीकियों को ध्यान में रखते हुए निभाया है. एक्टर गफ़ूर ने एक टीनएजर रसूल की भूमिका बहुत अच्छे से अदा की है. जो आसपास की कट्टरता देख उसी रंग में रंगने लगता है. इबरु के हर वक़्त झुंझलाए रहने लेकिन सटीक बात करने वाले पिता मूसा का करैक्टर प्ले किया है ममुक्कोया ने. पूरी फ़िल्म में ये करैक्टर सबसे कमाल लिखा गया है. जिसे ममुक्कोया ने बहुत बेहतरीन ढंग से निभाया भी है.

एक ज़माने में चंदन की लकड़ियां स्मगल करने वाले मूसा.
#देखें या नहीं? 'कुरुति' आज के दौर में कट्टरता की ओर बढ़ते समाज की हक़ीक़त को सामने रखते हुए एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म का पूरा मज़ा देती है. फ़िल्म की कथा, पटकथा दर्शकों को फ़िल्म से लगातार जोड़े रखने में कामयाब होती है. सोने पर सुहागा हैं एक्टर्स. जिन्होंने शानदार काम किया है. हमारे हिसाब से तो 'कुरुति' एक अच्छी फ़िल्म है, जिसे मिस नहीं करना चाहिए.