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'साइकिल का आना सबसे बड़ी खुशी थी...', एक्टर प्रकाश राज ने सुनाई अपनी गरीबी की कहानी

बॉलीवुड की 'सिंघम' और 'वॉन्टेड' जैसी फिल्मों में विलन बने प्रकाश राज ने अपने परिवार के संघर्षों के बारे में बात की है. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता का जीवन का एक ही मकसद था जीवन किस तरह से निपटना है. क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे.

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प्रकाश राज ने अपने परिवार के शुरुआती दिनों के संघर्ष पर बात की. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

एक्टर प्रकाश राज (Prakash Raj) ने अपने परिवार के शुरुआती दिनों के संघर्ष पर बात की. प्रकाश राज लल्लनटॉप के शो 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' (Guest in the Newsroom) में आए थे. इस दौरान उन्होंने सिनेमा, बॉलीवुड में करियर से लेकर राजनीति पर अपनी राय रखी. प्रकाश राज ने बताया कि अपनी मां के धर्म परिवर्तन और माता-पिता की शादी के बारे में भी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने परिवार में सबसे बड़ी खुशी तब महसूस करते थे. जब पहली बार साइकिल आई थी.

प्रकाश राज ने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा,

"मेरी मां का नाम स्वर्णलता था. वह एक नर्स थीं. वह अपने परिवार की सबसे बड़ी संतान थीं. मां के तीन बहन और एक भाई थे. जब वह सिर्फ 12 साल की थीं, तो उनकी मां का निधन हो गया. उस समय उनके पिता यानी मेरे नाना के पास पर्याप्त पैसा नहीं था. इसलिए मेरी मां और उनकी दो बहनें बेलगाम के एक अनाथालय में भेज दी गईं. जिसका नाम था 'डिवाइन प्रोविडेंस'. इस अनाथालय को कुछ जर्मन नन चलाती थीं. वहीं मेरी मां और उनकी दो बहनें पली-बढ़ीं. संभवतः उसी वजह से वे ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गईं. बाद में मेरी मां नर्स बनीं. जबकि उनकी दो बहनें शिक्षिका बन गईं."

प्रकाश राज ने आगे बताया,

"मेरी मां बाद में बेंगलुरू आ गईं. जहां उन्होंने नर्स के रूप में काम करना शुरू किया. उनका जीवन बहुत कठिन था क्योंकि उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी. उनका मुख्य उद्देश्य बच्चों की देखभाल करना था. 60 और 70 के दशक में लोग एक शहर से दूसरे शहर माइग्रेट कर रहे थे. मेरे पिता भी मंगलुरू छोड़कर यहां आ गए थे. मेरे पिता जिनका नाम मंजूनाथ राय था. किताबों की बाइंडिंग का काम करते थे. उनकी मेरी मां से मुलाकात एक अस्पताल में हुई थी. जहां उन्हें तेज बुखार हुआ था और उनकी देखभाल मेरी मां कर रही थीं. इसके बाद दोनों प्यार हुआ और शादी कर ली."

प्रकाश राज ने आगे बताया कि उनके जन्म के बाद माता-पिता की तीन और संताने हुईं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार का जीवन संघर्षों से भरा था. उन्होंने यह भी बताया कि परिवार में सबसे बड़ी खुशी जिस चीज पर देखी गई. वह साइकिल आने पर थी. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता का जीवन का एक ही मकसद था जीवन किस तरह से निपटना है. क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे.

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