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सौराष्ट्र में बीजेपी के सबसे बड़े पाटीदार कमांडर का बेटा चुनाव जीता या हारा?

चुनाव में हार्दिक फैक्टर कितना काम किया ये इस सीट के नतीजे से साफ़ हो जाएगा

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बीजेपी उम्मीदवार जयेश रादड़िया (बाएं), कांग्रेस उम्मीदवार रवि आम्बलिया (दाएं)
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विनय सुल्तान
18 दिसंबर 2017 (Updated: 18 दिसंबर 2017, 12:16 PM IST)
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सीट- जेतपुर (राजकोट) बीजेपी- जयेश रादड़िया-98948कांग्रेस- रवि आम्बलिया-73367
अंतर- 25581
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में पाटीदार अनामत आंदोलन को काफी बड़े फैक्टर के तौर पर देखा जा रहा है. पाटीदारों का रुझान इस चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है. ऐसे में बीजेपी के बड़े पाटीदार नेताओं के लिए अपना गढ़ बचाना काफी बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. ऐसे ही एक नेता हैं जयेश रादड़िया. जयेश सूबे के बड़े पाटीदार नेता विट्ठल रादड़िया के बेटे हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस ने रवि आम्बलिया को मैदान में उतारा है.
चुनाव प्रचार के दौरान जयेश रादड़िया
चुनाव प्रचार के दौरान जयेश रादड़िया

विट्ठल रादड़िया सूबे की सियासत का बड़ा नाम हैं. उनके करियर की शुरुआत बीजेपी से हुई. फिर वो शंकर सिंह वाघेला के साथ कांग्रेस में चले गए. 2009 के लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस की टिकट पर पोरबंदर से सांसद चुने गए. 2013 में समय के मिजाज़ को भांपते हुए उन्होंने सांसदी से इस्तीफ़ा दे दिया और फिर से बीजेपी में चले गए. उनके बेटे जयेश रादड़िया ने भी पिता के पदचिन्हों का अनुसरण किया.
2012 के चुनाव में जयेश जेतपुर सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे. 2013 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया और विधायकी से भी. 2013 के उपचुनाव में वो बीजेपी की टिकट से लड़े और फिर से विधानसभा पहुंच गए. उन्हें पर्यटन मंत्री बनाकर मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई. उनके सामने कांग्रेस ने रवि आम्बलिया को टिकट दिया है. आम्बलिया हालांकि 'पास' का हिस्सा नहीं थे लेकिन वो आरक्षण आंदोलन के दौरान काफी सक्रिय थे.
चुनाव प्रचार के दौरान रवि आम्बलिया
चुनाव प्रचार के दौरान रवि आम्बलिया

पिछला चुनाव 2013 के उप चुनाव में जयेश रादड़िया को एक तरफा जीत हासिल हुई थी. उन्होंने इस चुनाव में 78,216 वोट हासिल किए थे. जबकि उनके विरोधी कांग्रेस उम्मीदवार जगदीश पम्भर को महज 25,310 वोट ही हासिल कर पाए.
सीट का समीकरण
यह सीट पाटीदार बाहुल्य सीट है. जयेश को पाटीदार आंदोलन की वजह से घर में ही चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. इसी विधानसभा के गांव जेतलसर में एक पाटीदार अधेड़ ने आरक्षण आंदोलन के दौरान जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद आरक्षण आंदोलन ने काफी तेजी पकड़ी थी. हार्दिक पटेल इस विधानसभा में रैली कर चुके हैं. ऐसे में जयेश के लिए यह मुकाबला काफी कड़ा साबित हुआ.


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