उत्तराखंड में आई भीषण आपदा में मरने वालों की संख्या 41 तक पहुंच चुकी है. अभी भी 160 से अधिक लोग लापता हैं. जो लापता हैं, उनको ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. लापता लोगों की तलाश कर रहीं राहत और बचाव टीमों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अधिक मुश्किल तपोवन की टनल में फंसे लोगों को तलाश करने में हो रही है. शुरू से ही अंदेशा जताया जा रहा है कि यहां 25 से 30 लोग फंसे हो सकते हैं. 14 फरवरी की सुबह यहीं से दो लोगों के शव मिले, जिसके बाद मृतकों का आधिकारिक आंकड़ा 40 पार कर गया. बाकियों की तलाश जारी है.
आज दिनांक 14/02/2021 की सुबह टनल में मिले दोनों शवों की शिनाख्त हो गयी है।
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— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 14, 2021
तपोवन की गुफा में पानी ही पानी भरा है. मलबा है, कीचड़ है. आपदा को एक हफ्ता हो गया है. गुफा पूरी तरह चोक हो चुकी है. ऐसे में यहां बचाव अभियान काफी मुश्किलों भरा है. NTPC प्रोजेक्ट के जनरल मैनेजर आरपी अहिरवाल का कहना है –
“गुफा में शुक्रवार को ड्रिल करके एक फुट का होल किया गया है, जिससे कैमरा और एक पाइप अंदर तक जा सके. इससे हमें ये पता चल सकेगा कि अंदर कितने लोग हैं और ये कहां फंसे हैं. इससे उन्हें निकालने में मदद मिलेगी.”
नए प्रोजेक्ट्स पर 2 साल पहले बैन लगा था
वहीं इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक PMO की तरफ से दो साल पहले ही कहा गया था कि उत्तराखंड में कोई भी नया हाइडेल प्रोजेक्ट फिलहाल न लगाया जाए. एक मीटिंग में कुल 13 प्रोजेक्ट्स को फ्लैग किया गया था. इनमें से ये दो प्रोजेक्ट भी शामिल थे, जो उत्तराखंड की आपदा में बर्बाद हुए हैं.
उत्तराखंड की आपदा
उत्तराखंड में चमोली के रैणी इलाके में धौली गंगा और ऋषि गंगा नदियां मिलती हैं. यहीं बना है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट. इसी के पास 7 फरवरी की सुबह ग्लेशियर टूटा था. ग्लेशियर के टूटते ही नदी ओवरफ्लो हो गई, बहाव में पानी के साथ-साथ भारी मात्रा में चट्टानों का मलबा भी था. तेज रफ्तार से बहते इस सैलाब ने तबाही मचा दी. पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया. रास्ते में आई हर चीज को सैलाब ने बर्बाद कर दिया. ऋषिगंगा से 5 किलोमीटर दूर NTPC का प्रोजेक्ट भी प्रभावित हुआ था.
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