जम्मू कश्मीर का कुपवाड़ा जिला. इसी में आता है हंदवाड़ा नाम का एक कस्बा. यहां सेना के दो अधिकारी, दो जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस का एक जवान शहीद हो गए. ये पांच सुरक्षाकर्मी आतंकियों के कब्जे से आम लोगों को निकालने के ऑपरेशन में गए थे. लेकिन ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए. इनके नाम हैं कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश कुमार, लांस नायक दिनेश सिंह और सब इंस्पेक्टर सगीर काजी.
कर्नल आशुतोष शर्मा
वे 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर भी थे. ऑपरेशन पर गई टीम का नेतृत्व कर्नल शर्मा ही कर रहे थे. वे ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स रेजीमेंट से थे. काफी समय से कश्मीर घाटी में तैनात थे. कर्नल आशुतोष कई सफल ऑपरेशन के हिस्सा रहे थे. कश्मीर में तैनाती के दौरान उन्हें दो बार वीरता पुरस्कार मिल चुका था. यह एक दुर्लभ उपलब्धि है. शहीद आशुतोष शर्मा को कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर कपड़ों में ग्रेनेड छिपाए हुए आतंकी से अपने जवानों की जिंदगी बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया गया था. दरअसल, एक आतंकी उनके जवानों की ओर अपने कपड़ों में ग्रेनेड लेकर बढ़ रहा था. तब शर्मा ने बहादुरी का परिचय देते हुए आतंकी को गोली मारकर अपने जवानों की जान बचाई थी.

कर्नल शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के परवाना गांव के रहने वाले थे. हालांकि उनकी परिवार जयपुर में रहता है. वे अपने पीछे पत्नी, बेटी और मां को छोड़ गए. उनके भाई भी जयपुर में ही रहते हैं. उनके परिवार ने बताया कि होली पर कर्नल शर्मा घर आए थे. उनके भाई पीयूष ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि वह होलिका दहन के वक्त घर पर आए थे. आने के बारे में उन्होंने हमें कुछ वहीं बताया था.
It was his daughter’s 12th Birthday on May 1st. He lay down his life in the line of duty on the 2nd.
One family will never be whole again. #RIP Col Ashutosh. pic.twitter.com/lPcN8K2liy
— Shreya Dhoundial (@shreyadhoundial) May 3, 2020
कर्नल आशुतोष शर्मा जब दोबारा कश्मीर में ड्यटी पर गए तो उनकी पत्नी पल्लवी और बेटी तमन्ना ढाई साल पहले जयपुर शिफ्ट हो गए थे. उनकी पत्नी ने इंडिया टुडे से कहा कि उनके पति ने अपने साथियों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो किया, उस पर उन्हें नाज़ हैं. उन्होंने कहा कि उनके साहस और जज्बे के लिए उन्हें याद रखा जाएगा. पल्लवी ने कहा,
वर्दी से उन्हें बहुत प्रेम था. उनकी यूनिट उनका पैशन और प्राथमिकता थी. मेरा दर्द कभी भरा नहीं जा सकता. न ही इसे सहन किया जा सकता है. लेकिन जो कुछ भी उन्होंने किया. उस पर मुझे गर्व है. वह कहते थे कि आतंकियों को मार कर मैं घर आउंगा. हां, कल वह आ रहे हैं लेकिन तिरंगे में लिपटकर.
Unspeakable fortitude of families of heroes. Pallavi Sharma, wife of Colonel Ashutosh Sharma, who was killed in action last night in #Handwara, speaks to @PoojaShali about her husband today. She *chooses* to along with their daughter. No salutes enough. pic.twitter.com/dwLjSdwmE3
— Shiv Aroor (@ShivAroor) May 3, 2020
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्नल आशुतोष शर्मा को श्रद्धांजलि दी. साथ ही परिवार को 50 लाख रुपये और एक सदस्य को नौकरी देने का ऐलान किया.
मेजर अनुज सूद
वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के रहने वाले थे. वे फौजी परिवार से आते थे. उनके पिता चंद्रकांत सूद ब्रिगेडियर के पद से रिटायर हुए थे. इंडिया टुडे के मनजीत सहगल के अनुसार, पंजाब पब्लिक स्कूल, नाभा के छात्र रहे अनुज सूद पढ़ाई में बेहद तेज रहे. पीपीएस में हर क्लास में मेजर अनुज सूद ने खुद को अव्वल साबित किया.
अनुज सूद का चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में हो गया था, लेकिन उन्होंने आईआईटी की जगह एनडीए को चुना. एनडीए में मेजर सूद ने कीर्तिमान स्थापित किया. 6 बार वे अपने अनुशासन और इंटेलिजेंस के चलते अव्वल रहे. इन्फैंट्रीमैन होने के बावजूद उन्होंने आईआईएससी बेंगलुरु से एमटेक किया और डिस्टिंक्शन मार्क से टॉप किया.
He has made a supreme sacrifice. It was part of his duty&what he was trained for. I feel sad for his wife as they just got married 3-4 months back. He was meant to save lives: Rtd Brig Chandrakant Sood, father of late Major Anuj Sood, who lost his life in an encounter in Handwara pic.twitter.com/hjIWSymKMv
— ANI (@ANI) May 3, 2020
उनके पिता ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि अनुज से सबसे बड़ा बलिदान दिया. यही उसकी कर्त्तव्य था. 3-4 महूीने पहले ही मेजर अनुज की शादी हुई थी. उसकी पत्नी के बारे में सोचकर दुख होता है. सोशल मीडिया पर मेजर सूद की एक इंस्टाग्राम पोस्ट वायरल है. इसमें उन्होंने लिखा था,
जब आप बड़े होते हैं तो पता चलता है कि केवल साहस और सम्मान का ही मतलब होता है. इन दोनों को खो दिया तो आप केवल जूतों पर लगी मिट्टी भर रह जाते हैं.
नायक राजेश कुमार
वे पंजाब के मनसा जिले के रहने वाले थे. उनका गांव राजराणा सारदुलगढ़ तहसील में पड़ता है. उनका शव 4 मई को गांव आएगा. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद के परिवार को 10 लाख रुपये और घर के एक सदस्य को नौकरी देने का ऐलान किया है.
My deep condolences to the family of NK Rajesh Kumar, 21 RR, from village Rajrana, District Mansa, who laid down his life for the Nation while fighting militants in Handwara. A Government job and Rs. 10 Lakh as Ex-Gratia will be given as a mark of respect to the Next of Kin. pic.twitter.com/DqsAexcCaj
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) May 3, 2020
लांस नायक दिनेश सिंह
वे उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले थे. वे साल 2015 में सेना में शामिल हुए थे. वे अपने पीछे पिता गोधन सिंह और मां तुलसी देवी को छोड़ गए. दिनेश दिसंबर 2019 में आखिरी बार घर आए थे. परिवार उनकी शादी की तैयारी कर रहा था. उनके पिता भी सेना से रिटायर हैं. उनकी एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है. लांस नायक दिनेश सिंह जून में छुट्टी पर आने वाले थे.
जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ एनकाउण्टर में उत्तराखंड के लांसनायक दिनेश सिंह समेत 5 सैन्य अधिकारी और जवानों की शहादत को शत-शत नमन।ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति व शोक संतप्त परिजनों को संबल प्रदान करें।मुझे विश्वास है हमारी सेना इन बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने देगी। pic.twitter.com/FEwv7JSReo
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) May 3, 2020
सगीर काजी
वे भी हंदवाड़ा में ऑपरेशन के दौरान शहीद हए. वे 1999 में जम्मू कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए थे. साल 2006 में वह स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में शामिल हो गए. जम्मू कश्मीर पुलिस ने काउंटर टेरेरिज्म के लिए एसओजी बनाया था. एसओजी में रहते हुए सगीर काजी ने कई ऑपरेशंस में हिस्सा लिया.
Sub Inspector Sageer Ahmad Pathan @ Qazi who was born in 1978 in Trad Karnah of Kupwara District was appointed as Constable in 1999 in Armed Wing of Jammu and Kashmir Police.
He volunteered for working in Police SOG ,an elite Counter-Terrorist Force in 2006. pic.twitter.com/lDGPblCVvB— J&K Police (@JmuKmrPolice) May 3, 2020
उन्हें तीन बार आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिए गए. 2009 में उन्हें शेरे कश्मीर पुलिस मेडल दिया गया. 2011 में वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस मेडल मिला. इसके अलावा डीजीपी की ओर से कमेंडेशन मेडल भी मिला. था. शकील काजी का जन्म 1978 में कुपवाड़ा जिले के त्राड करनाह में हुआ था.
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