बुलंदशहर में SHO की मॉब लिंचिंग हुई. मगर योगी सरकार उससे ज्यादा तवज्जो क्या गोकशी को दे रही है? CM ने इस घटना के एक दिन बाद उच्च स्तरीय मीटिंग की. इसका मुख्य अजेंडा गोकशी था. जिस सुमित के अब दंगाइयों में होने की खबरें आ रही हैं, बिना जांच करवाए ही उसके परिवार के लिए 10 लाख रुपये की सरकारी मदद का ऐलान भी किया गया. मगर मीटिंग के कागज़ तक में इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का जिक्र नहीं है. 5 दिसंबर को भी CM की ओर से निर्देश जारी हुआ. ये भी गोकशी से ही जुड़ा था.
3 दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर में एक SHO भीड़ के हाथों मार दिया गया. एक खेत के अंदर गाय के कटे हिस्से और उसे लेकर जताए गए गोकशी के शक पर ये सारा फसाद शुरू हुआ. इंस्पेक्टर की मॉब लिंचिंग के अगले दिन, यानी 4 दिसंबर की रात की बात है. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर एक ऊपर वाले लेवल की मीटिंग बुलाई. चीफ सेक्रटरी, UP के पुलिस मुखिया, गृह विभाग के प्रिंसिपल सचिव, खुफिया विभाग के ADGP (अडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) सब आए. इस मीटिंग में मुख्यमंत्री ने कहा कि गोकशी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो. और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या पर क्या बोले? कुछ मालूम नहीं है. इसलिए भी मालूम नहीं है कि जैसे बाकी बातें साफ-साफ कही गईं, वैसे सुबोध की हत्या पर कुछ बताया नहीं गया. इसका ज़िक्र भी नहीं हुआ. इस बारे में कोई बात हुई भी कि नहीं, ये भी नहीं पता. लेकिन मुख्यमंत्री की वरीयता क्या है, इसका अंदाजा आपको अडिशनल चीफ सेक्रटरी (इन्फॉर्मेशन) अवनीश अवस्थी के बयान से लग जाएगा. मीटिंग खत्म होने के बाद अवनीश ने मीडिया से कहा-
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस मामले की ठीक से जांच करने का निर्देश दिया अधिकारियों को. जिन लोगों ने गाय काटी, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने का आदेश भी जारी किया गया.

क्या इंस्पेक्टर का भीड़ के हाथों मारा जाना गंभीर मुद्दा नहीं है?
आप कहेंगे कि मामले की जांच में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या भी कवर होगी. लेकिन जिस तरह गोकशी का साफ-साफ ज़िक्र हुआ, उसी तरह SHO सुबोध की हत्या का ज़िक्र क्यों नहीं हुआ? इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मीटिंग में इंस्पेक्टर सुबोध के हत्यारों को लेकर कोई फैसला लिया ही नहीं गया. इसी वजह से अब उनकी वरीयताओं पर सवाल उठ रहे हैं. क्या उनके लिए इंस्पेक्टर की हत्या गंभीर मुद्दा नहीं है? विपक्ष भी सरकार पर ये आरोप लगा रही है. उसका कहना है कि योगी सरकार इंस्पेक्टर के हत्यारों को पकड़ने से ज्यादा तवज्जो गोकशी करने वालों को दे रही है. वैसे 6 दिसंबर को योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में इंस्पेक्टर सुबोध के परिवार से मुलाकात तो की है. दोषियों को सजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी और पेंशन देने का भी एलान किया है . इल्जाम ये नहीं है कि सुबोध की हत्या की जांच नहीं हो रही या नहीं होगी. सवाल सरकार की वरीयता का है.
Inspector Subodh kumar singh sacrificed his life to uphold law & order in the district.
With his demise, we have lost one of our finest officers who will always be alive in our hearts as our hero.
Our condolences for his family members & prayers for the noble soul. #UPPolice pic.twitter.com/8azl0Hzlk3— UP POLICE (@Uppolice) December 3, 2018
मीटिंग के कागज़ में गोकशी है, सुमित है, इंस्पेक्टर नहीं हैं
4 दिसंबर, 2018 को मुख्यमंत्री ने जो हाई-लेवल मीटिंग बुलाई थी, उससे जुड़ी एक कागज भी जारी किया गया. इसमें मीटिंग का, उसमें हुई बातों का ब्योरा है. इस कागज में ऊपर की तरफ बोल्ड अक्षरों में इस मीटिंग का अजेंडा लिखा है. सबसे ऊपर लिखा है कि CM ने बुलंदशहर की घटना के संबंध में फलां-फलां के साथ मीटिंग की. इसके नीचे लिखा है कि मुख्यमंत्री ने घटना की गंभीरता से जांच कर गोकशी में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया. इसके नीचे लिखा है कि घटना में जान गंवाने वाले सुमित के परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख रुपये की मदद दी जाएगी. कहीं भी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या का जिक्र नहीं किया गया है.
#BulandshahrViolence: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath to meet family of Police inspector Subodh Singh in Lucknow tomorrow. pic.twitter.com/yNGCjlWWOr
— ANI UP (@ANINewsUP) December 5, 2018
योगी सरकार की प्रायॉरिटी क्या है?
न केवल ऊपर, बल्कि अंदर भी इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का एक बार भी जिक्र नहीं मिलता. गोकशी का जिक्र है. गोकशी में शामिल लोगों को सजा दी जाए, इसका जिक्र है. गोकशी की घटना बड़ी साजिश का हिस्सा है, ये भी लिखा है. सुमित के परिवार को आर्थिक मदद देने की बात भी लिखी है. योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद राज्य में चल रहे अवैध बूचड़खानों को बंद करवा दिया था. 19 मार्च, 2017 से सारे गैरकानूनी बूचड़खाने बंद हैं. इस कागज में भी अवैध बूचड़खानों पर लगे बैन की बात लिखी हुई है. ये भी लिखा है कि सभी DM और पुलिस अधीक्षकों को ताकीद की गई है कि उनके इलाके में ये अवैध कार्य यानी गोकशी न हो. अगर होती है, तो ये उनकी सामूहिक जिम्मेदारी होगी. माहौल खराब करने वाले लोगों को बेनकाब करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की भी बात लिखी है. मगर इंस्पेक्टर सुबोध की मॉब लिंचिंग का एक बार भी जिक्र नहीं मिलता.

सुमित का नाम मॉब लिंचिंग वाले आरोपियों में है
3 दिसंबर की घटना में SHO सुबोध के अलावा सुमित नाम का एक शख्स भी मारा गया था. उसके परिवार ने कहा कि सुमित उस हत्यारी भीड़ का हिस्सा नहीं था. वो अपने एक दोस्त को छोड़ने के सिलसिले में घटना वाली जगह से गुजर रहा था. मगर पुलिस ने उसे क्लीन चिट नहीं दी. बात ये आई कि सुमित भी उसी भीड़ का हिस्सा था. यूपी पुलिस ने बताया कि सुमित का नाम मॉब लिंचिंग वाले आरोपियों की लिस्ट में है. उसका नाम FIR में भी है. चूंकि अब वो ज़िंदा ही नहीं है, इसीलिए अगर जांच में वो दोषी पाया भी जाता है तो भी उसे कोई सज़ा नहीं हो सकती. यानी अभी ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि सुमित घटना में शामिल नहीं था.

बिना जांच के सुमित के परिवार को सरकारी मदद क्यों?
योगी आदित्यनाथ की पुलिस जहां ये बात कह रही है, वहीं खुद मुख्यमंत्री उसके परिवार को आर्थिक मदद दे रहे हैं. अब कुछ ऐसे वीडियोज़ भी आ रहे हैं, जिनमें कथित तौर पर सुमित उस दंगाई भीड़ के साथ नज़र आता है. अगर ये सही है, तो फिर ये माना जाएगा कि वो खुद भी दंगाई था. हत्यारी भीड़ का हिस्सा था. अगर ऐसा है, तो एक ‘दंगाई’ के परिवार को सरकारी मदद क्यों मिलनी चाहिए?


एक और मीटिंग हुई, उसमें भी बस गोकशी पर ऑर्डर दिया गया
4 दिसंबर की रात हुई मीटिंग के बाद अगले दिन, यानी 5 दिसंबर को भी मुख्यमंत्री की तरफ से निर्देश जारी हुआ. इसमें गोकशी के खिलाफ कार्रवाई की बात थी. गाय को काटना, उनके अवैध कारोबार और गैरकानूनी तरीकों से चल रहे बूचड़खानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की ताकीद दी गई थी. मुख्य सचिव ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके राज्य के सभी जिलों में तैनात DM, SSP और SP से बात की. सबको मुख्यमंत्री के निर्देशों के बारे में बताया. ये पूरी एक्सरसाइज गोकशी के लिए थी. मतलब 3 दिसंबर की घटना के बाद मुख्यमंत्री ने सबसे ज्यादा गंभीरता गोकशी पर दिखाई है. इसीलिए उनकी प्रायॉरिटी से जुड़े सवाल उठ रहे हैं.
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