एक स्मार्टफोन में बहुत सारे कम्पोनेंट होते हैं. लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि फ़ोन बनाने वाली कम्पनी सारे पुर्ज़े ख़ुद ही बनाए. सैमसंग और ऐपल वैसे तो स्मार्टफोन मार्केट में राइवल हैं, लेकिन ऐपल के आइफोन में लगी हुई डिस्प्ले को सैमसंग ही बनाता है. डिस्प्ले सप्लाई चैन कंसलटेंट्स (DSCC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कम डिस्प्ले ख़रीदने की वजह से ऐपल को अच्छा-ख़ासा हर्जाना चुकाना पड़ा है. ये हर्जाना लगभग 7,100 करोड़ रुपए का है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, डिस्प्ले की ख़रीद को लेकर ऐपल और सैमसंग के बीच में एक क़रार है. इसके तहत ऐपल को हर साल एक तय लिमिट की डिस्प्ले ख़रीदनी होती है. ऐसा क़रार स्क्रीन की क़ीमत को कम करने के लिए होता है. कोविड-19 के चलते इस साल मार्केट कमज़ोर है. अमेरिका और दूसरे देशों में ऐपल के स्टोर महीनों बंद पड़े रहे. इस सबके चलते ऐपल ज़्यादा आइफ़ोन नहीं बेच पाया. इसी वजह से डिस्प्ले की ज़रूरत भी कम हो गई और बात हर्जाने तक आ गई.
‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक़, सैमसंग ने पिछले हफ़्ते अपने रेवेन्यू और ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट की दूसरी तिमाही की रिपोर्ट साझा की थी. इस रिपोर्ट में सैमसंग ने अपने डिस्प्ले बिज़नेस में एक “वन-टाइम” पेमेंट की बात लिखी है. जानकारों का मानना है कि ये भुगतान ऐपल की तरफ़ से किया गया है. सैमसंग ने भुगतान की रक़म नहीं लिखी है, लेकिन DSCC की रिपोर्ट बताती है कि ये रक़म 950 मिलियन अमेरिकी डॉलर है. करेन्सी ट्रांसलेट करने पर ये रक़म लगभग 7,157 करोड़ रुपए बनती है.
पहले भी देना पड़ा है हर्जाना
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि ऐपल को कम डिस्प्ले ख़रीदने की वजह से हर्जाना चुकाना पड़ा हो. पिछले साल भी कम स्क्रीन ख़रीदने की वजह से ऐपल ने सैमसंग को जुलाई में 683 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए थे, जो लगभग 5,149 करोड़ रुपए बनते हैं. इस सबके बीच यह बात भी सामने आयी है कि ऐपल आइफ़ोन की डिस्प्ले के लिए सैमसंग की जगह कोई नया सप्लायर ढूंढ रहा है. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ऐपल की बातचीत फ़िलहाल चीन के BOE टेक्नॉलजी ग्रुप के साथ चल रही है. अगर ये डील हो जाती है, तो हमें अगले साल के आइफ़ोन मॉडल में नई डिस्प्ले देखने को मिलेगी.
ये स्टोरी हमारे साथी फैसल ने लिखी है.
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