5 जुलाई 2018 (Updated: 5 जुलाई 2018, 10:59 AM IST) कॉमेंट्स
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फिल्म डायरेक्टर अविनाश दास ने 5 जुलाई को एक फेसबुक पोस्ट लिखी है. इस फेसबुक पोस्ट में उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के पैरोकार रहे रसूल मियां का जिक्र किया है, जिनका लिखा गीत भोजपुरी गायिका चंदन तिवारी ने गाया है. आज के दौर में प्रासंगिक रसूल मियां के बारे में जानना जितना ज़रूरी है, उससे भी ज्यादा ज़रूरी है उनका लिखा हुआ पढ़ना, उसे सुनना और फिर उसे गुनना. ये पोस्ट अविनाश दास के फेसबुक वॉल से ली गई है.
सन 1857 में अंग्रेज़ों ने आख़िरी मुग़ल बादशाह को दिल्ली से खदेड़ कर रंगून भेज दिया था. इस घटना के 12 साल बाद गुजरात में गांधी पैदा हुए और 15 साल बाद गोपालगंज (बिहार) के थाना मीरगंज में रसूल मास्टर पैदा हुए. हिंदू-मुसलमान के बीच खाई चौड़ी करने में जब पूरी ब्रिटिश हुकूमत एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाए हुए थी, मास्टर रसूल कौमी सद्भाव के गीत लिख रहे थे, आज़ादी के तराने लिख रहे थे. अदब की तारीख़ ने रसूल को भले भुला दिया हो, आज जब फिर से हमारी इस सद्भावना पर बुरी नज़र डाली जा रही है, रसूल मास्टर प्रासंगिक हो उठे हैं. भोजपुरी की युवा लोक गायिका चंदन तिवारी ने उनका एक गीत गाया है. आप भी पढ़िए और सुनिए. इसमें राग भी है और लोक भी. सीधे-सरल शब्द और आत्मा को तृप्त करने वाली लय.
चंदन तिवारी का गाया गीत यहां सुनिएपूरी लाइनें हैं-
गमकता जगमगाता है अनोखा राम का सेहरा
जो देखा है वो कहता है रमेती राम का सेहरा
हजारों भूप आये थे जनकपुर बांध कर सेहरा
रखा अभिमान सेहरों का सलोने श्याम का सेहरा
उधर है जानकी के हाथ में जयमाल शादी की
इधर है राम के सर पर विजय प्रणाम का सेहरा
लगा हर एक लड़ियों में ये धागा बंदेमातरम का
गुंथा है सत के सूई से सिरी सतनाम का सेहरा
हरी, हरीओम पढ़कर के ये मालन गूंथ लायी है
नंदन बन स्वर्ग से लायी है मालन श्याम का सेहरा
कलम धो-धो के अमृत से लिखा है मास्टर ने ये सेहरा
सुनाया है रसूल ने आज ये इनाम का सेहरा
आज जब राम के मुरीदों ने रसूल जैसे मुर्शिदों को अविश्वास के कठघरे में खड़ा कर दिया है, इस गीत को बार-बार पढ़ना और बार-बार सुनना आपको इन्सानी आस्था के एक शांत और सौहार्दपूर्ण लोक में पहुंचा देगा. शुक्रिया चंदन तिवारी, आप ऐसे और गीत गाएं और क़ामयाबी की बुलंदियां हासिल करें.
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