औरतों की वेश-भूषा में मंच पर नाचते ये शख्स थे रामचंद्र मांझी, जिन्हें कहा गया भिखारी ठाकुर के नाच का आख़िरी लौंडा. इस लोककला को कहा गया लौंडा नाच. आज बात इसी नृत्य को काढ़ने वाले कलाकार भिखारी ठाकुर की. एक ऐसा शख़्स, जिसने भोजपुरी की हजामत इस सलीके से बनाई कि इसे तमाम भाषाओं के बीच हीरो बनाकर खड़ा कर दिया. ऐसे गीत लिखे, ऐसे बिदेसिया गाये, ऐसे नाटक रचे, कि उन्हें कहा गया - भोजपुरी का शेक्सपीयर. क्या कहानी है भिखारी ठाकुर की, जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.