पुलिस वालों को पीटा, CM से मिले, आशुतोष राणा ने लल्लनटॉप को और क्या-क्या बताया?
दी लल्लनटॉप के साथ बातचीत में आशुतोष राणा ने अपने छात्र राजनीति के दौर के कई खुलासे किए हैं.

एक्टर आशुतोष राणा राजनीति में आना (actor ashutosh rana in politics) चाहते थे. ये उनके यूनिवर्सिटी के दिनों की बात है, वे छात्र राजनीति में सक्रिय थे. इन्हीं दिनों एक बार, उन्होंने पुलिस वालों के साथ मारपीट कर दी थी, क्योंकि पुलिस वालों ने उनके साथियों पर छेड़छाड़ का झूठा आरोप लगाया था और उन्हें सार्वजनिक रूप से मारा पीटा था. दी लल्लनटॉप के साथ बातचीत में आशुतोष राणा ने इस तरह के कई खुलासे किए हैं.
आशुतोष राणा ने क्या बताया?द लल्लनटॉप के चर्चित टॉक शो Guest In The Newsroom में सौरभ द्विवेदी के साथ बातचीत में आशुतोष ने बताया कि वह मध्यप्रदेश के सागर जिले की डॉ. हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे. आशुतोष, शहर के सिविल लाइंस इलाके में एक सैलून में अपने दोस्तों के साथ रोजाना बैठा करते थे. ये सैलून उनका अड्डा हुआ करता था.
आशुतोष बताते हैं,
"एक दिन मुझे एक दोस्त ने बताया कि पुलिस ने हमारे दो दोस्तों को पीटा है. ये सिविल लाइंस की बात है. हम वहां पहुंचे और देखा कि दो पुलिस वाले उन्हें पीट रहे थे. फिर मामला कुछ और हो गया, जब मैंने भी उन्हें (पुलिस वालों को) पीटना शुरू कर दिया. मैं तभी जानता था कि ये मामला यहां नहीं सुलझेगा. मैंने अपने दोस्त से कहा कि इससे पहले कि हमें पुलिस स्टेशन ले जाया जाए, वो यूनिवर्सिटी भाग जाए और स्टूडेंट्स को इकट्ठा करें. अगले दिन हमारा अंग्रेजी का एग्जाम था."
इसके बाद आशुतोष राणा से इस घटना को विस्तार से बताने को कहा गया तो वो मुस्कराए और कहा,
“मुझे ऐसा लगता है कि मैं उस वक़्त एक अलग आदमी था.”
आशुतोष याद करते हैं कि एक मोबाइल स्क्वाड उस जगह पर आया था, उसमें कई जवान थे. और आशुतोष को पता था कि अब मामला और गर्म होने वाला था.
आशुतोष कहते हैं,
"मुझे पता था कि अगर मैं भागूंगा, तो वे मुझे मारेंगे और मुझे उसी जगह से ले जाएंगे, जहां से वे मुझे पकड़ेंगे. इसलिए सीधे वैन में बैठना ही बेहतर था. पूरी तरह से अव्यवस्था फैल चुकी थी. जब तक मैं पुलिस स्टेशन पहुंचा, करीब 1 हजार 500 स्टूडेंट्स ने पुलिस स्टेशन घेर लिया था. नेताओं ने कॉल किए. ये निर्णय लिया गया कि मुझे अंदर बंद नहीं किया जाएगा क्योंकि अगले दिन मेरा इंग्लिश का एग्जाम था. इसलिए, मुझे एक कमरे में रखा गया, जिसकी खिड़कियां खुली थीं. वहां मैंने और लड़कों के साथ पढ़ाई की. पुलिसवाले इस बात पर अड़े थे कि वे मुझे जाने नहीं देंगे.''
हालांकि, आशुतोष के मुताबिक, वो ऐसे व्यक्ति थे, जिसे पावरफुल लोग प्यार करते थे. अगले दिन सुबह 6 बजे आशुतोष को मजिस्ट्रेट के बंगले ले जाया गया, जहां से उन्हें जमानत दे दी गई.
आशुतोष बताते हैं,
“मैं परीक्षा में बैठा और उसके तुरंत बाद, हम, पुलिसवालों को सस्पेंड करने की मांग करते हुए सिविल लाइन स्टेशन पर भूख हड़ताल पर बैठ गए. उन स्टूडेंट्स ने कोई छेड़खानी भी नहीं की थी फिर भी उनकी पिटाई की गई थी. छेड़खानी जैसी चीज भयानक है और हमारे ग्रुप के लड़के ऐसी चीजों में कभी शामिल नहीं थे."
आशुतोष बताते हैं कि इस मामले को लेकर वो मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री से मिले.
आशुतोष कहते हैं,
“मामला अब और गंभीर हो गया था. हम इंदौर पहुंचे, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री एक समारोह में हिस्सा ले रहे थे. हम अंदर घुसे, उनकी कार में बैठे और उनसे कहा कि आप ध्यान नहीं दे रहे हैं कि क्या हो रहा है. फिर आखिरकार उनका (पुलिस वालों का) ट्रांसफर कर दिया गया.”
आशुतोष बताते हैं कि आखिरकार, जब कॉलेजों में छात्र राजनीति पर बैन लगा दिया गया, तो वो "टूटा हुआ और लक्ष्यहीन" सा महसूस कर रहे थे. इसके बाद वो दिल्ली चले गए, जहां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दाखिला ले लिया.
वीडियो: गेस्ट इन दी न्यूजरूम: आशुतोष राणा ने दारोगा को पीटने, छात्र राजनीति, NSD और इंडस्ट्री के कौन से किस्से सुनाए?