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तमिलनाडु में कच्चे अंडे से बनी मेयोनीज़ पर एक साल का बैन, जानिए क्यों ऐसी मेयोनीज़ खाने से बचना चाहिए?

तमिलनाडु सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया है कि कच्चे अंडे के इस्तेमाल से बनी मेयोनीज़ की मैन्यूफैक्चरिंग, स्टोरेज और सेल पर एक साल का बैन लगाया जाता है. ये बैन 8 अप्रैल से लागू हो गया है. इसे लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए लगाया गया है.

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why you should not eat mayonnaise made with raw eggs
कई लोग रोज़ मेयोनीज़ का इस्तेमाल करते हैं (फोटो: Getty Images)
29 अप्रैल 2025 (Published: 03:21 PM IST) कॉमेंट्स
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हममें से ज़्यादातर लोगों के फ्रिज में मेयोनीज़ का एक डब्बा ज़रूर रहता है. कभी इसे ब्रेड पर लगाकर खाया जाता है. कभी मैक्ररोनी या पास्ता में डालकर. अब जिन लोगों को मेयोनीज़ खूब पसंद है, उनके लिए एक बैड न्यूज़ है.

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कभी मेयोनीज़ खाई है आपने? (फोटो: Freepik)

इसी मेयोनीज़ पर तमिलनाडु सरकार ने बैन लगा दिया है. एक नोटिफिकेशन जारी कर राज्य सरकार ने कहा, ‘कच्चे अंडे के इस्तेमाल से बनी मेयोनीज़ की मैन्यूफैक्चरिंग, स्टोरेज और सेल पर एक साल का बैन लगाया जाता है. ये बैन 8 अप्रैल से लागू हो गया है. इसे लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए लगाया गया है.’

नोटिफिकेशन के मुताबिक, कच्चे अंडे से बनी मेयोनीज़ एक ‘हाई रिस्क फूड’ है. इससे फूड पॉइज़निंग का खतरा है. ऐसा देखने में आया है कि कई फूड बिज़नेस ऑपरेटर्स मेयोनीज़ बनाने के लिए कच्चे अंडे का इस्तेमाल करते हैं. सही से स्टोर न होने की वजह से इसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं. ये सेहत के लिए सेफ नहीं है.

हमने आर्टेमिस हॉस्पिटल्स में क्लीनिकल न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर अंशुल सिंह से पूछा कि अगर कोई कच्चे अंडे से तैयार मेयोनीज़ खाए, तो उससे क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं?

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डॉ. अंशुल सिंह, हेड, क्लीनिकल न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स डिपार्टमेंट, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स

डॉक्टर अंशुल कहती हैं कि समस्या केवल कच्चा अंडा नहीं है. अगर कच्चे अंडे से तैयार की गई मेयोनीज़ को ठीक तरह स्टोर नहीं किया गया है, या सेफ्टी का ध्यान रखते हुए नहीं बनाया गया है. तब उसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं. खासकर साल्मोनेला टायफिम्यूरियम, साल्मोनेला एंटरिटिडिस, ई. कोलाई और लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेनेस नाम के बैक्टीरिया. जब आप ऐसी दूषित मेयोनीज़ खाते हैं. तो ये बैक्टीरिया आपके शरीर में भी पहुंच जाते हैं. जिससे फूड पॉइज़निंग हो सकती है. यानी उबकाई-उल्टी, पेट दर्द, बुखार और दस्त जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. इसी वजह से तमिलनाडु सरकार ने कच्चे अंडे से तैयार मेयोनीज़ पर बैन लगा दिया है. तमिलनाडु के बाद कर्नाटक के डॉक्टर्स भी ऐसी मेयोनीज़ पर बैन लगाने की सिफारिश कर रहे हैं. 

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मार्केट में बिना अंडे वाली मेयोनीज़ भी आती हैं (फोटो: Freepik)

वैसे मार्केट में, बिना अंडे वाली भी मेयोनीज़ आती हैं. इन्हें वीगन मेयोनीज़ या एगलेस मेयोनीज़ कहा जाता है. इसमें अंडे की जगह दूसरी चीज़ों को डाला जाता है. जैसे सोया प्रोटीन, सोया मिल्क, दूध, मस्टर्ड और एक्वाफाबा. उबले चने के पानी को एक्वाफाबा कहते हैं. इनकी मदद से बिना अंडे के एक बढ़िया गाढ़ी और चिकनी मेयोनीज़ बनाई जाती है. इसके दो फायदे होते हैं. एक तो इसे शाकाहारी और वीगन लोग खा सकते हैं. दूसरा, इसमें साल्मोनेला जैसे हानिकारक बैक्टीरिया के पनपने का भी कोई खतरा नहीं होता.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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