बिहार में चुनाव है. देशभर में इस चुनाव की चर्चा है. ‘दी लल्लनटॉप’ की टीमें बिहार के चप्पे-चप्पे से एकदम चौचक खबरें निकालकर ला रही हैं. साथ में आपको बता रहे हैं रोचक चुनावी किस्से और बेहद दिलचस्प जानकारियां. अच्छा ये बताइए कि अगर आपसे पूछा जाए कि इस बार के चुनाव में ऐसे कौन-कौन लोग मैदान में हैं, जिनके पिता या दादा प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, तो आप बता पाइएगा? नहीं पता? चलिए हम बताते हैं.
तेजस्वी यादव

तो साहब इस लिस्ट में पहला नाम है तेजस्वी यादव का. उनके पापा लालू यादव और मम्मी राबड़ी देवी, दोनों ही बिहार के सीएम रहे हैं. इस बार तो तेजस्वी खुद ही सीएम फेस हैं, महागठबंधन का चेहरा हैं. राघोपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. वैसे पढ़ाई तो केवल नौवीं तक की है, लेकिन बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे हैं. पिता और माता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. क्रिकेट का जबरदस्त शौक रखते हैं. रणजी भी खेले हैं और आईपीएल में दिल्ली की टीम का हिस्सा भी रहे हैं.
तेज प्रताप यादव

अगला नाम तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव का है. राजनीति तो उन्हें विरासत में मिली है. 2015 में बिहार की महुआ विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे और नीतीश कुमार की कैबिनेट में मंत्री भी बने थे. तेज प्रताप अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं. कहने वाले कहते हैं कि उनके पास पिता के गुण हैं. वो कभी कृष्ण और शंकर के भेस में दिखते हैं, तो कभी सत्तू बनाते और ट्रैक्टर चलाते दिखते हैं. उनका कहना है कि तेजस्वी अर्जुन हैं और वो कृष्ण हैं.
नीतीश मिश्रा

चलिए अब बताते हैं नीतीश मिश्रा के बारे में. उनके पिता जगन्नाथ मिश्रा भी बिहार के मुख्यमंत्री थे. और चाचा ललित नारायण मिश्रा कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे थे. साल 2000 में नीतीश मिश्रा ने पहली बार भारतीय जन कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इसके बाद जेडीयू के टिकट पर लगातार दो बार 2005 और 2010 में उन्होंने जीत हासिल की. 2015 में वो मामूली अंतर से चूक गए, लेकिन इस बार फिर बीजेपी के टिकट पर झंझारपुर विधानसभा सीट से मैदान में हैं. इंग्लैंड से पढ़े हैं और एमबीए की डिग्री भी है.
निखिल मंडल

अब बात बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल यानी बीपी मंडल के पोते निखिल मंडल की. 1967 में सांसद रहे बीपी मंडल 1968 में 50 दिनों तक बिहार के सीएम भी रहे थे. ‘मंडल आयोग’ के कारण पूरे देश में उनकी चर्चा हुई. निखिल मंडल, जेडीयू के प्रवक्ता हैं, पटना हाईकोर्ट में वकील हैं. इनकी पढ़ाई दिल्ली के करोड़ीमल कॉलेज से हुई है. पार्टी ने उन्हें इस बार मधेपुरा सीट से मैदान में उतारा है.
आसिफ गफूर

अब आपको बताते हैं आसिफ गफूर के बारे में. आसिफ के दादा अब्दुल गफूर भी बिहार के सीएम रहे थे. 2 जुलाई, 1973 से 11 अप्रैल, 1975 तक. अब्दुल गफूर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे थे और कांग्रेस में उनकी बहुत इज्जत थी. 2004 में अब्दुल गफूर की मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया उनके पोते आसिफ गफूर ने. आसिफ बिहार कांग्रेस के महासचिव भी हैं और 2010 में बरौली से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हें इसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.
देवेंद्र मांझी

और अब बताते हैं जीतनराम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी के बारे में. जीतनराम मांझी को सीएम पद तब मिला, जब 2014 चुनावों में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने सीएम पद छोड़ दिया था. बाद में मांझी ने अपनी पार्टी ‘हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा’ बना ली और इस बार उनकी पार्टी एनडीए में शामिल है. सात सीटों पर चुनाव लड़ रही है. मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी भी मखदुमपुर विधानसभा (सुरक्षित सीट) से मैदान में हैं. वो साल 2006 से ही जीतनराम मांझी के निजी सहायक के रूप में काम करते आए हैं.
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