जल्दी ही 5G स्पीड पर मूवी डाउनलोड करने का सपना देखने वाले ये पढ़ लें
6G कब तक आएगा, ये भी बताएंगे.
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6G तकनीक मिलेगी देश को 2024 तक
केंद्र सरकार ने अगले दो साल में 6G सर्विस लॉन्च करने का टारगेट रखा है. केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार 23 नवंबर को ये जानकारी दी थी. मतलब सब ठीक रहा तो 2023 के अंत में या 2024 के शुरू में भारतीयों को 6G सर्विस यूज करने के लिए मिल सकती है. लेकिन क्या सब ठीक रहेगा? जानने की कोशिश करेंगे कि 6G का भारत में क्या भविष्य है और हमारे दूरसंचार मंत्री के दावे में कितना दम है. लेकिन पहले 5G की स्थिति पर बात कर लेते हैं. सरकार ने कन्फर्म किया है कि 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी 2022 की दूसरी तिमाही में होने की संभावना है. इसके लिए TRAI ने काम शुरू कर दिया है. भारत की तीनों प्रमुख मोबाइल कंपनियों एयरटेल, वोडाफ़ोन आइडिया और जियो ने अपने 5G नेटवर्क परीक्षण के लिए एक साल का वक्त और मांगा है. इसका मतलब साफ़ है कि भले ही आपके स्मार्टफ़ोन नई तकनीक के साथ आ रहे हैं, लेकिन आपको तेज गति वाला इंटरनेट इंजॉय करने के लिए शायद 2023 के मध्य तक इंतज़ार करना पड़े. बता दें कि 5वीं पीढ़ी की इस उन्नत सेलुलर तकनीक से अपलोड और डाउनलोड स्पीड को 4G की 1 Gbps (गीगा बीट्स प्रति सेकंड) की तुलना में 20 Gbps तक बढ़ाया जा सकता है. अपनी भाषा में कहें तो एक मूवी को डाउनलोड करने में अभी अगर 7 मिनट लगते हैं तो 5G में सिर्फ 6 सेकेंड लगेंगे. ये तो हुई अपनी, यानी एक आम इंटरनेट यूजर की बात. इसके अलावा इस तकनीक से और भी कई काम आसान हो जाएंगे. जैसे रोबोट से ऑपरेशन करवाना, क्योंकि रियल टाइम में तेज और बिना रुके इंटरनेट मिल सकेगा. इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक़ देश की तीनों टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों ने Department of Telecom (DoT) को लिखे एक पत्र में 5G को लेकर अपनी तैयारी के लिए एक और साल का वक्त मांगा है. इससे पहले 5G सर्विस की तैयारी पूरी करने के लिए इन कंपनियों को मिली समयसीमा 26 नवंबर को ख़त्म हो गई है. एयरटेल और जियो ने इसी साल जून से 5G का परीक्षण शुरू किया था. वहीं वोडाफ़ोन आइडिया ने पिछले महीने से ट्रायल शुरू किया. अब चूंकि इन कंपनियों ने एक और साल का वक्त मांगा है, तो इसका मतलब है कि कम से कम नवंबर 2022 तक ये सर्विस देश में शुरू नहीं होने वाली. हालांकि सरकार पहले इसे अगले साल के पहले तिमाही में करने की योजना बना रही थी. टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि अभी वो जिस तकनीक का परीक्षण कर रही हैं, वो पहले आई 5G तकनीक से बिल्कुल अलग है. तकनीकी दिक्कतों, जैसे हैंड्सेट, डिवाइस और टेस्टिंग किट्स के अलावा बुनियादी ढांचे का पूरी तरह तैयार ना होना भी देरी का एक बड़ा कारण है. इसके साथ बजट भी एक समस्या है, जिसकी भरपाई के लिए हाल ही में कंपनियों की तरफ से प्रीपेड प्लांस में बढ़ोतरी भी की गई है. कंपनियो का ये भी कहना है कि हालांकि इस तकनीक पर तैयारी काफ़ी पहले से ही की जा रही है, लेकिन अभी भी जिस ईकोसिस्टम की ज़रूरत है, उसके लिए पर्याप्त साझेदार नहीं मिल पाए हैं. तो मोटी बात ये कि हम जो सपने देख रखे थे कि इस साल के अंत तक 5G हमारे स्मार्टफ़ोन पर चलने लगेगा, वो अब पूरा होता नज़र नहीं आता. बहुत आशावादी होकर भी सोचें तो 2022 के अंत में या 2023 के शुरुआती महीने में 5G मिल पाएगा.
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