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प्रोडक्ट रिटर्न करना था, कस्टमर केयर को फोन किया, बात करते ही हजारों उड़ गए, ये फ्रॉड डरा देगा!

ऑनलाइन पोर्टल से खरीददारी पर अनोखी साइबर ठगी, भूल कर भी ये गलती न कीजिए

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साइबर ठगी का अनोखा मामला (तस्वीर: पिक्सेल)

आप एक वेबसाइट से ऑनलाइन प्रोडक्ट ऑर्डर करते हैं. प्रोडक्ट तय समय पर आपके पास पहुंच भी जाता है. प्रोडक्ट को ओपन करने पर आप उसकी क्वालिटी से संतुष्ट नहीं होते. आप कंपनी के कस्टमर केयर पर फोन करते हैं. सामने से प्रोडक्ट बिना किसी ना नुकुर के प्रोडक्ट को वापस करने के लिए कहा जाता है. आपसे पैसा रिफ़ंड करने के लिए बैंक डिटेल्स मांगे जाते हैं. यहां तक सब ठीक लग रहा लेकिन सब ठीक हुआ नहीं और एक व्यक्ति को हजारों का चूना लग गया. साइबर ठगी का ये अनोखा मामला कर्नाटक से सामने आया है.

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गूगल सर्च ने सारा कांड करवा दिया

आज तक की खबर के मुताबिक मामला कर्नाटक का है. यहां के रहने वाले विशाल ने 18 जुलाई को एक वेबसाइट से ऑनलाइन प्रोडक्ट ऑर्डर किया. 26 जुलाई को प्रोडक्ट उनके पास पहुंच गया, लेकिन जैसा हमने ऊपर बताया, उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं थी. विशाल ने प्रोडक्ट को वापस करने के लिए वेबसाइट के कस्टमर केयर को फोन घुमा दिया.

ध्यान दीजिए कि ऑनलाइन खरीददारी में प्रोडक्ट वापस करना एकदम नॉर्मल है. आमतौर पर पोर्टल बिना किसी दिक्कत के वापसी का निवेदन ले लेते हैं और बदले में नया प्रोडक्ट या पैसा वापस करते हैं. इस केस में भी ऐसा ही हुआ. कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव ने विशाल से बात की और प्रोडक्ट वापस करने के लिए हामी भी भरी. चूंकि पेमेंट विशाल की पत्नी के अकाउंट से हुआ था इसलिए उनसे बाकी डिटेल्स मांगे गए.

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इसके बाद जैसा होता है, एग्जीक्यूटिव ने पैसे वापस करने के लिए बैंक अकाउंट डिटेल्स को वेरीफाई करने के लिए कहा. एग्जीक्यूटिव ने बातों-बातों में बैंक अकाउंट के साथ एटीएम कार्ड के डिटेल्स जैसे CVV और एक्सपायरी भी ले लिए. इतना होना था कि विशाल की पत्नी के अकाउंट से 63 हजार रुपये हवा हो गए. अब पुलिस जांच-पड़ताल कर रही है.

क्या कंपनी वाले ने ये गड़बड़ की?

आपको लग रहा होगा कि कंपनी ने बेईमानी की है या एग्जीक्यूटिव ने फर्जीवाड़ा किया है. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ क्योंकि कॉल असल वेबसाइट के कस्टमर केयर की जगह स्कैम करने वालों को रूट हो गया था. दरअसल साइबर अपराधी कई बड़ी वेबसाइटों का क्लोन बना लेते हैं. ऐसी वेबसाइट असल वेबसाइट से हूबहू मिलती हैं बस कुछ महीन फर्क होते हैं. मसलन ok.com की जगह ok.in.  

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जब भी कोई यूजर गूगल पर जाकर वेबसाइट सर्च करता है और अगर किस्मत खराब हुई तो वो असली की जगह नकली वेबसाइट पर पहुंच जाता है. इसके बाद जो होता है उसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं. जब तक फर्जी वेबसाइट पकड़ में आती है तब तक वो अपना काम करके बंद हो चुकी होती है.

कहानी का सार ये है कि कभी भी गूगल से किसी वेबसाइट के कस्टमर केयर को सर्च करने से बचें. सबसे अच्छा है कि संबंधित वेबसाइट के ऐप से हेल्प सेंटर में जाकर कस्टमर केयर को कॉल किया जाए. दूसरा कोई कितना भी अपना बनने की कोशिश करे. बैंक डिटेल साझा मत करें. किसी एसएमएस या लिंक पर क्लिक भी नहीं करना है. 

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