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आपके स्मार्टफोन में एक नहीं दो बैटरी हैं, दूसरी वाली आपके 'समय' का बहुत ख्याल रखती है

आपने गौर किया होगा, स्मार्टफोन हमेशा सही-सही टाइम बताता है. फोन में सेलुलर नेटवर्क हो या नहीं, सिम लगी हो या नहीं, वाईफाई और इंटरनेट भी नहीं हो, तब भी. टाइम हमेशा राइट ही दिखता है. आखिर ऐसा कैसे होता है?

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फोन की छुपी हुई बैटरी (तस्वीर:सोशल मीडिया)

आमतौर पर स्मार्टफोन में सिर्फ एक बैटरी नजर आती है. आप कहेंगे, 'हां पता है, काम की बात बताओ'… लेकिन ऐसा है नहीं, हमारे स्मार्टफोन में एक नहीं बल्कि दो बैटरी होती हैं. इतना ही नहीं, दूसरी बैटरी का काम पहली बैटरी से ज्यादा होता है. यही नहीं अभी और है, ये वाली बैटरी को चार्ज भी नहीं करना पड़ता. 

इतना पढ़कर शायद आप कहोगे कि भाई कोई मजाक चल रिया है क्या. नहीं जनाब, कोई मजाक नहीं. बल्कि सच्ची-मुच्ची में स्मार्टफोन में दो बैटरियां होती हैं. एक बैटरी टाइम बताने के लिए और एक बाकी काम के लिए. इतना पढ़ने के बाद अब तो वाकई में आपको खीज आने लगी होगी.

इसीलिए हम आपको बताते हैं स्मार्टफोन की RTC (Real-time clock) और उसको चलाने वाली बेहद छोटी लेकिन तगड़ी बैटरी के बारे में.

आपने गौर किया होगा कि स्मार्टफोन हमेशा सही-सही टाइम बताता है. फोन में सेलुलर नेटवर्क हो या ना हो, सिम लगी हो या ना लगी हो, वाईफाई और इंटरनेट भी ना हो, तब भी टाइम हमेशा राइट ही दिखता है. हद तो तब होती है जब बैटरी बिल्कुल खत्म हो गई हो तब भी टाइम का टाइम कभी खराब नहीं होता. बोले तो सही ही दिखाता है स्क्रीन पर.

इसके पीछे जो चिप काम करती है उसको कहते हैं CMOS चिप. CMOS मतलब Complementary Metal-Oxide-Semiconductor. एक किस्म का मेमोरी सर्किट बोर्ड जो इनबिल्ड बैटरी से ऑपरेट होता है. CMOS चिप कंप्यूटर प्रोसेसर से लेकर मेमोरी चिप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गजेट्स में इस्तेमाल होती है. स्मार्टफोन में इसी चिप का इस्तेमाल घड़ी के लिए होता है. चिप फोन के मदरबोर्ड में लगी होती है और असल बैटरी के खत्म होने या निकाले जाने पर भी घड़ी के चलने लायक एनर्जी जनरेट करती रहती है.  

फोन जैसे ही पॉवर-ऑन होता है वैसे ही CMOS चिप नजदीकी जीपीएस सेटेलाइट से कनेक्ट हो जाती है और मोबाइल सही टाइम दिखाने लगता है. 

इसी तकनीक का इस्तेमाल लैपटॉप में भी होता है. इस चिप में लगी बैटरी बहुत छोटी होती है, मगर बंद हो रखे फोन की घड़ी को भी कई महीनों तक चलाने के लिए काफी होती है. एक बार फोन चालू तो ये बैटरी का काम खत्म. एक किस्म की सुप्त अवस्था या हाईबरनेशन. बाकी काम असल बैटरी के माथे. 

वैसे आजकल के स्मार्टफोन तो कुछ ज्यादा ही स्मार्ट हो चले हैं. उनको जैसे ही पता चलता है कि फोन की बैटरी पूरी तरह से खत्म होने वाली है तो वो अपनी ऊर्जा को सेव कर लेते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक पूरी तरह से डिस्चार्ज हो चुकी बैटरी में भी 3.2 volts ताकत बची होती है. ये पावर ट्रांसफर होती है RTC में और वो महीनों की जगह सालों तक राइट टाइम दिखाती रहती है.