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नौकरी पेशा लोगों की नींद उड़ाने वाला ChatGPT अपनी ही कंपनी डुबा रहा, लेकिन कैसे?

OpenAI के जीपीटी 3.5 और जीपीटी-4 मॉडल काफी पॉपुलर रहे थे. मगर दोनों ही मॉडल अभी तक लागत की भी भरपाई नहीं कर सके हैं.

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OpenAI ने पिछले साल नवंबर में चैटजीपीटी लॉन्च किया था. (तस्वीर साभार- Freepik)

पिछले साल नवंबर में AI चैटबॉट ChatGPT आया तो लगा कि इंसानों की पूरी जमात ही बेरोजगार हो जाएगी. जॉब मार्केट में तो हड़कंप मच गया था. चर्चाएं हो रही थीं कि आने वाले सालों में आधी कामकाजी आबादी की जगह ChatGPT जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म/सर्विस ले लेंगे. लिंक्डइन पर खुद को एआई एक्सपर्ट साबित करने की होड़ लग गई. ChatGPT का बढ़िया इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं इसके टिप्स सिखाए जाने लगे.

बहरहाल, दो महीने बाद ChatGPT को लॉन्च हुए एक साल पूरे हो जाएंगे. मगर इस बीच एक चौंकाने वालाी खबर आ रही है कि ChatGPT बनाने वाली कंपनी Open AI 2024 के आखिर तक दिवालिया हो सकती है. यह दावा ‘एनालिटिक्स इंडिया’ मैगजीन ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है. 

डूबने के कगार पर कैसे पहुंची ChatGPT?

Open AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में कई प्रोडक्ट्स पर काम करती है. इसमें से ही एक है ChatGPT-4. वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल है जो टेक्स्ट से जुड़े काम करता है. इसे काफी पॉपुलैरिटी मिली. मगर ये प्रोडक्ट कंपनी की माली हालत पर कुछ ज्यादा ही भारी पड़ रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक ये टेक्नोलॉजी डेवलप करने में कंपनी को 54 करोड़ डॉलर (करीब 450 करोड़ रुपये) का खर्चा आया था. मगर इस खर्च के मुकाबले कमाई न के बराबर है. अकेले ChatGPT को चलाने में एक दिन में ही 7 लाख डॉलर यानी 5.8 करोड़ रुपये का खर्चा आ रहा है. OpenAI के जीपीटी 3.5 और जीपीटी-4 मॉडल काफी पॉपुलर रहे थे. मगर दोनों ही मॉडल अभी तक लागत की भी भरपाई नहीं कर सके हैं.

कंपनी ने जब ChatGPT को मार्केट में उतारा तब लगा था कि कंपनी को इस प्रोडक्ट से अच्छी खासी कमाई हो जाएगी. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैगजीन के मुताबिक इसके कई कारण हैं, जैसे-

- OpenAI जिस दिन ChatGPT को पेटेंट कराने पहुंची उसी दिन से इसकी लोकप्रियता कम होनी शुरू हो गई. दावा किया जाने लगा कि इस कदम से कई यूजर ChatGPT से किनारा कर लेंगे. रिपोर्ट में ये ट्रेंड साफ तरीके से देखा जा सकता है. जून में साइट पर ट्रैफिक 9.7 फीसदी घटा था जबकि जुलाई में यह घटकर 9.6 फीसदी पर पहुंच गया है. इसी तरह यूजर्स की संख्या भी घटी है. जून में ChatGPT के 1.7 अरब यूजर थे जो 12 फीसदी घटकर जुलाई में 1.5 अरब पर पहुंच गए.

- दूसरा कारण है, ChatGPT की टेक्नोलॉजी. कई कंपनियां ChatGPT इस्तेमाल करने की वजह से उसकी API का इस्तेमाल करके अपना खुद का चैटबॉट बना रही हैं. अपने कर्मचारियों को भी ChatGPT की बजाय इनहाउस बनाए बॉट को इस्तेमाल करने के लिए कह रही हैं.

- इसके अलावा ChatGPT का कॉम्पिटीशन भी बढ़ गया है. मेटा के Llama2, गूगल का बार्ड और एलन मस्क का xAI इसके सबसे तगड़े कॉम्पिटिटर हैं. ChatGPT पैसे लेकर भी गिनी चुनी सर्विस देता है. वहीं, Llama2 फ्री है और इस्तेमाल करने में आसान भी है. एक और वजह बताई जा रही है, GPU यानी ग्राफिक्स  की कमी. ओपनएआई के मालिक सैम ऑल्टमैन ने बताया था कि मार्केट में GPU की सप्लाई काफी कम है. इसकी वजह से कंपनी नए मॉडल डेवलप करने में असमर्थ है.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर कंपनी ने कमाई नहीं शुरू की तो 2024 तक यह दिवालिया हो जाएगी. कंपनी में माइक्रोसॉफ्ट ने 2019 में 10 अरब डॉलर का निवेश किया था. कंपनी का खर्च फिलहाल इसी पैसे से चल रहा है. 2023 में कंपनी ने 20 करोड़ डॉलर की कमाई का अनुमान रखा है. जो लागत के हिसाब से काफी कम है.

वहीं 2024 में कंपनी ने 1 अरब डॉलर की कमाई का टारगेट रखा है. हालांकि, जिस हिसाब से घाटा बढ़ रहा है उसके बाद इस टारगेट को हासिल करना मुश्किल नजर आ रहा है. ChatGPT में अपार संभावनाएं हैं. इससे कोई इन्कार नहीं है. लेकिन अब कंपनी को एआई सर्विस के जरिए कमाई का जरिया भी तलाशना होगा.

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