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प्रांजल धर की एक कविता 'प्यार और इंक रिमूवर'

एक कविता रोज में एक युवा कवि की मशहूर कविता

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प्रेम पाती में उमड़ रहे शब्दों से झांकता है इंक रिमूवर आजकल। जब प्रेम एक ‘योजना’ हो तो एक बार लिखने से पहले सौ बार सोचना भी बहुत कम पड़ जाता है, पाती में लिखा शब्द योजना की परतों में बुरी तरह गड़ जाता है, और योजना को ‘अंजाम’ तक पहुंचाने की गाढ़ी लालसा में हर बार शब्दों पर इंक रिमूवर चढ़ जाता है.

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